संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थायी सीट की खोज में भारत के समक्ष आने वाली बाधाओं पर चर्चा कीजिए। (200 words) [UPSC 2015]
समुद्र ब्रह्मांड का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो वैश्विक पारिस्थितिक तंत्र, जलवायु नियमन, और मानव गतिविधियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस संदर्भ में, आई.एम.ओ. (अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन) पर्यावरण संरक्षण और समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पर्यावरण संरक्षण में भूमिका: आईRead more
समुद्र ब्रह्मांड का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो वैश्विक पारिस्थितिक तंत्र, जलवायु नियमन, और मानव गतिविधियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस संदर्भ में, आई.एम.ओ. (अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन) पर्यावरण संरक्षण और समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पर्यावरण संरक्षण में भूमिका:
आई.एम.ओ. ने समुद्री प्रदूषण को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं:
- MARPOL संधि: समुद्र से प्रदूषण की रोकथाम के लिए MARPOL (अंतर्राष्ट्रीय संधि) एक महत्वपूर्ण ढांचा है। यह संधि तेल, रसायन, गंदगी और अन्य प्रदूषकों के समुद्र में गिरने को रोकने के लिए नियम बनाती है, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
- Ballast Water Management: यह संधि बैलास्ट पानी के माध्यम से फैलने वाले अवांछित समुद्री जीवों की रोकथाम के लिए है। इस नियम के तहत, जहाजों को अपने बैलास्ट पानी का प्रबंधन और उपचार करना होता है, जिससे समुद्री जैव विविधता को संरक्षित किया जा सके।
- सतत शिपिंग: आई.एम.ओ. जहाजों से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रयासरत है। ऊर्जा दक्षता के लिए मानक और कार्बन तीव्रता सूचकांक जैसे उपाय, जहाजों की ईंधन दक्षता बढ़ाते हैं और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करते हैं।
समुद्री सुरक्षा और संरक्षा में भूमिका:
आई.एम.ओ. समुद्री सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण नियमों और संधियों को लागू करता है:
- SOLAS संधि: “Safety of Life at Sea” (SOLAS) संधि, जहाजों की सुरक्षा के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित करती है। यह सुनिश्चित करती है कि जहाज आपातकालीन स्थितियों में उचित रूप से सुसज्जित हों और समुद्र में जीवन की सुरक्षा की जा सके।
- ISM कोड: “International Safety Management” (ISM) कोड, सुरक्षा और प्रदूषण की रोकथाम के लिए एक प्रबंधन ढांचा प्रदान करता है। यह कोड जहाज ऑपरेटरों को सुरक्षा प्रक्रियाओं का पालन करने और आपातकालीन प्रतिक्रिया योजनाओं को लागू करने के लिए प्रेरित करता है।
- ISPS कोड: “International Ship and Port Facility Security” (ISPS) कोड, समुद्री सुरक्षा के जोखिमों, जैसे आतंकवाद और समुद्री डकैती, से निपटने के लिए उपाय प्रदान करता है। यह सुरक्षा आकलन और सुरक्षा योजनाओं के विकास की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
आई.एम.ओ. की इन पहलों के माध्यम से समुद्र की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान होता है। ये प्रयास वैश्विक समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता और सुरक्षा को बनाए रखने में सहायक हैं।
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थायी सीट की खोज में भारत के समक्ष आने वाली बाधाएँ भौगोलिक प्रतिरोध: भारत की स्थायी सीट की खोज में प्रमुख बाधाओं में से एक भौगोलिक प्रतिरोध है। चीन और पाकिस्तान जैसे देश भारत के स्थायी सदस्यता के प्रयासों का विरोध करते हैं। चीन, विशेष रूप से, भारत के UNSC में स्थाRead more
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थायी सीट की खोज में भारत के समक्ष आने वाली बाधाएँ
भौगोलिक प्रतिरोध:
भारत की स्थायी सीट की खोज में प्रमुख बाधाओं में से एक भौगोलिक प्रतिरोध है। चीन और पाकिस्तान जैसे देश भारत के स्थायी सदस्यता के प्रयासों का विरोध करते हैं। चीन, विशेष रूप से, भारत के UNSC में स्थायी सदस्य बनने के खिलाफ है और यह तर्क करता है कि इससे UNSC की संरचना जटिल हो जाएगी और इसकी प्रभावशीलता प्रभावित हो सकती है।
क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व:
भारत की स्थायी सीट की खोज में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। अफ्रीकी संघ और अन्य क्षेत्रीय संगठन मानते हैं कि UNSC में अफ्रीकी और अन्य क्षेत्रों की अधिक प्रतिनिधित्व की आवश्यकता है। इसके चलते, अफ्रीका के लिए एक स्थायी सीट की मांग को लेकर दबाव बढ़ा है, जिससे भारत के प्रयासों को चुनौती मिलती है।
संस्थानिक प्रतिरोध:
संस्थानिक प्रतिरोध भी एक बड़ी बाधा है। UNSC की संरचना और इसके स्थायी सदस्यों की संख्या में परिवर्तन के लिए UN चार्टर में संशोधन की आवश्यकता होती है। यह संशोधन सभी स्थायी UNSC सदस्यों की स्वीकृति और जनरल असेंबली में दो-तिहाई बहुमत की मांग करता है, जो प्राप्त करना कठिन है।
सहमति की कमी:
अंततः, सहमति की कमी भी एक प्रमुख बाधा है। UNSC के विस्तार के लिए व्यापक समर्थन और स्पष्टता की कमी है, जिससे भारत की स्थायी सदस्यता की खोज में अड़चनें आती हैं।
निष्कर्ष:
भारत की UNSC में स्थायी सीट की खोज में भौगोलिक प्रतिरोध, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व, संस्थानिक प्रतिरोध और सहमति की कमी जैसी बाधाएँ शामिल हैं। इन चुनौतियों को पार करने के लिए भारत को व्यापक अंतर्राष्ट्रीय समर्थन और कूटनीतिक प्रयासों की आवश्यकता है।
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