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विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.) एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जहाँ लिए गए निर्णय देशों को गहराई से प्रभावित करते हैं। डब्ल्यू. टी. ओ. का क्या अधिदेश (मैडेट) है और उसके निर्णय किस प्रकार बंधनकारी है ? खाद्य सुरक्षा पर विचार-विमर्श के पिछले चक्र पर भारत के दृढ़-मत का समालोचनापूर्वक विश्लेषण कीजिये। (200 words) [UPSC 2014]
डब्ल्यू.टी.ओ. का अधिदेश (Mandate): विश्व व्यापार संगठन (WTO) एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जिसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक व्यापार नियमों की निगरानी करना और यह सुनिश्चित करना है कि व्यापार सुगमता से, पूर्वानुमानित रूप से और स्वतंत्र रूप से हो सके। इसका अधिदेश सदस्य देशों के बीच व्यापार से संबंधित मुद्दोRead more
डब्ल्यू.टी.ओ. का अधिदेश (Mandate):
डब्ल्यू.टी.ओ. के निर्णयों की बंधनकारी प्रकृति:
खाद्य सुरक्षा पर भारत का दृढ़-मत:
समालोचनात्मक विश्लेषण:
निष्कर्ष: WTO वैश्विक व्यापार नीतियों को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और इसके निर्णय सदस्य राज्यों पर बंधनकारी होते हैं। खाद्य सुरक्षा पर हाल के WTO विचार-विमर्श में भारत का दृढ़-मत यह दर्शाता है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रतिबद्धताओं के साथ-साथ घरेलू प्राथमिकताओं के संतुलन की आवश्यकता है, विशेष रूप से विकासशील देशों के संदर्भ में। इन चर्चाओं का परिणाम वैश्विक खाद्य सुरक्षा नीतियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा।
See lessअंतर्राष्ट्रीय निधीयन संस्थाओं में से कुछ की आर्थिक भागीदारी के लिए विशेष शर्तें होती हैं, जो शर्त लगाती हैं कि उपस्कर के स्रोतन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सहायता का एक बड़ा भाग, अग्रणी देशों से उपस्कर स्रोतन के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। ऐसी शर्तों के गुणों-अवगुणों पर चर्चा कीजिए और क्या भारतीय संदर्भ में ऐसी शर्तों को स्वीकार न करने की एक मजबूत स्थिति विद्यमान है। (200 words) [UPSC 2014]
अंतर्राष्ट्रीय निधीयन संस्थाओं की शर्तें: कुछ अंतर्राष्ट्रीय निधीयन संस्थाएँ, जैसे विश्व बैंक, आईएमएफ, और द्विपक्षीय दात्री संस्थाएँ, आर्थिक भागीदारी के लिए विशेष शर्तें लगाती हैं। इन शर्तों के तहत सहायता का एक बड़ा भाग अग्रणी देशों से उपस्कर और सेवाओं के स्रोतन के लिए उपयोग किया जाना चाहिए। इन शर्तRead more
अंतर्राष्ट्रीय निधीयन संस्थाओं की शर्तें: कुछ अंतर्राष्ट्रीय निधीयन संस्थाएँ, जैसे विश्व बैंक, आईएमएफ, और द्विपक्षीय दात्री संस्थाएँ, आर्थिक भागीदारी के लिए विशेष शर्तें लगाती हैं। इन शर्तों के तहत सहायता का एक बड़ा भाग अग्रणी देशों से उपस्कर और सेवाओं के स्रोतन के लिए उपयोग किया जाना चाहिए। इन शर्तों का उद्देश्य दात्री देशों की अर्थव्यवस्था को लाभ पहुँचाना होता है, क्योंकि सहायता का हिस्सा उनके उद्योगों में पुनर्निवेश किया जाता है।
ऐसी शर्तों के गुण:
ऐसी शर्तों को न स्वीकारने के तर्क:
निष्कर्ष: अंतर्राष्ट्रीय निधीयन संस्थाओं की शर्तों के कुछ लाभ हो सकते हैं, लेकिन भारत को इन शर्तों पर बातचीत करनी चाहिए ताकि वे घरेलू प्राथमिकताओं के साथ बेहतर तालमेल बिठा सकें। विशेष रूप से आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत, घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने और आर्थिक संप्रभुता की रक्षा करने के लिए एक मजबूत स्थिति विद्यमान है।
See lessसंयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थायी सीट की खोज में भारत के समक्ष आने वाली बाधाओं पर चर्चा कीजिए। (200 words) [UPSC 2015]
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थायी सीट की खोज में भारत के समक्ष आने वाली बाधाएँ भौगोलिक प्रतिरोध: भारत की स्थायी सीट की खोज में प्रमुख बाधाओं में से एक भौगोलिक प्रतिरोध है। चीन और पाकिस्तान जैसे देश भारत के स्थायी सदस्यता के प्रयासों का विरोध करते हैं। चीन, विशेष रूप से, भारत के UNSC में स्थाRead more
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थायी सीट की खोज में भारत के समक्ष आने वाली बाधाएँ
भौगोलिक प्रतिरोध:
भारत की स्थायी सीट की खोज में प्रमुख बाधाओं में से एक भौगोलिक प्रतिरोध है। चीन और पाकिस्तान जैसे देश भारत के स्थायी सदस्यता के प्रयासों का विरोध करते हैं। चीन, विशेष रूप से, भारत के UNSC में स्थायी सदस्य बनने के खिलाफ है और यह तर्क करता है कि इससे UNSC की संरचना जटिल हो जाएगी और इसकी प्रभावशीलता प्रभावित हो सकती है।
क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व:
भारत की स्थायी सीट की खोज में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। अफ्रीकी संघ और अन्य क्षेत्रीय संगठन मानते हैं कि UNSC में अफ्रीकी और अन्य क्षेत्रों की अधिक प्रतिनिधित्व की आवश्यकता है। इसके चलते, अफ्रीका के लिए एक स्थायी सीट की मांग को लेकर दबाव बढ़ा है, जिससे भारत के प्रयासों को चुनौती मिलती है।
संस्थानिक प्रतिरोध:
संस्थानिक प्रतिरोध भी एक बड़ी बाधा है। UNSC की संरचना और इसके स्थायी सदस्यों की संख्या में परिवर्तन के लिए UN चार्टर में संशोधन की आवश्यकता होती है। यह संशोधन सभी स्थायी UNSC सदस्यों की स्वीकृति और जनरल असेंबली में दो-तिहाई बहुमत की मांग करता है, जो प्राप्त करना कठिन है।
सहमति की कमी:
अंततः, सहमति की कमी भी एक प्रमुख बाधा है। UNSC के विस्तार के लिए व्यापक समर्थन और स्पष्टता की कमी है, जिससे भारत की स्थायी सदस्यता की खोज में अड़चनें आती हैं।
निष्कर्ष:
भारत की UNSC में स्थायी सीट की खोज में भौगोलिक प्रतिरोध, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व, संस्थानिक प्रतिरोध और सहमति की कमी जैसी बाधाएँ शामिल हैं। इन चुनौतियों को पार करने के लिए भारत को व्यापक अंतर्राष्ट्रीय समर्थन और कूटनीतिक प्रयासों की आवश्यकता है।
See lessयूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन) के मैक्ब्राइड आयोग के लक्ष्य और उद्देश्य क्या-क्या है ? इनमें भारत की क्या स्थिति है ? (200 words) [UPSC 2016]
यूनेस्को के मैक्ब्राइड आयोग के लक्ष्य और उद्देश्य और भारत की स्थिति परिचय यूनेस्को के मैक्ब्राइड आयोग (1980) का पूरा नाम "कमेटी ऑन एम्सट्रिंग इनफॉर्मेशन फ्लो" है। इसका गठन वैश्विक संचार और सूचना प्रवाह की असमानताओं को दूर करने के लिए किया गया था। इस आयोग ने एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट, "मैक्रोब्राइड रिपोरRead more
यूनेस्को के मैक्ब्राइड आयोग के लक्ष्य और उद्देश्य और भारत की स्थिति
परिचय यूनेस्को के मैक्ब्राइड आयोग (1980) का पूरा नाम “कमेटी ऑन एम्सट्रिंग इनफॉर्मेशन फ्लो” है। इसका गठन वैश्विक संचार और सूचना प्रवाह की असमानताओं को दूर करने के लिए किया गया था। इस आयोग ने एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट, “मैक्रोब्राइड रिपोर्ट” प्रस्तुत की, जिसमें संचार और सूचना के क्षेत्र में समानता की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
लक्ष्य और उद्देश्य
भारत की स्थिति
निष्कर्ष मैक्ब्राइड आयोग ने वैश्विक संचार और सूचना प्रवाह में समानता की आवश्यकता को रेखांकित किया। भारत ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन संचार और सूचना असमानताओं को पूरी तरह से दूर करने के लिए निरंतर प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
See less"विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.) के अधिक व्यापक लक्ष्य और उद्देश्य वैश्वीकरण के युग में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रबंधन और प्रोन्नति करना है। परन्तु (संधि) वार्ताओं की दोहा परिधि मृतोन्मुखी प्रतीत होती है, जिसका कारण विकसित और विकासशील देशों के बीच मतभेद है ।" भारतीय परिप्रेक्ष्य में, इस पर चर्चा कीजिए । (200 words) [UPSC 2016]
डब्ल्यू.टी.ओ. के लक्ष्य और दोहा दौर की वार्ताओं पर भारतीय परिप्रेक्ष्य परिचय विश्व व्यापार संगठन (WTO) का उद्देश्य वैश्वीकरण के युग में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रबंधित और प्रोत्साहित करना है। हालांकि, दोहा दौर की वार्ताएँ विकसित और विकासशील देशों के बीच मतभेदों के कारण ठप हो गई हैं। डब्ल्यू.टी.ओ.Read more
डब्ल्यू.टी.ओ. के लक्ष्य और दोहा दौर की वार्ताओं पर भारतीय परिप्रेक्ष्य
परिचय विश्व व्यापार संगठन (WTO) का उद्देश्य वैश्वीकरण के युग में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रबंधित और प्रोत्साहित करना है। हालांकि, दोहा दौर की वार्ताएँ विकसित और विकासशील देशों के बीच मतभेदों के कारण ठप हो गई हैं।
डब्ल्यू.टी.ओ. के लक्ष्य और उद्देश्य
दोहा दौर की वार्ताओं में चुनौतियाँ
भारतीय परिप्रेक्ष्य
निष्कर्ष डब्ल्यू.टी.ओ. के व्यापक लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रबंधित और प्रोत्साहित करना है, लेकिन दोहा दौर की वार्ताओं में विकसित और विकासशील देशों के बीच मतभेदों के कारण प्रगति में रुकावट आई है। भारतीय दृष्टिकोण से, कृषि सब्सिडी और बाजार पहुंच जैसे मुद्दे महत्वपूर्ण हैं, और इसके समाधान से वैश्विक व्यापार प्रणाली में समावेशिता और समानता सुनिश्चित की जा सकती है।
See lessसंयुक्त राष्ट्र आर्थिक व सामाजिक परिषद् (इकोसॉक) के प्रमुख प्रकार्य क्या हैं? इसके साथ संलग्न विभिन्न प्रकार्यात्मक आयोगों को स्पष्ट कीजिए। (150 words) [UPSC 2017]
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद् (इकोसॉक) संयुक्त राष्ट्र की एक प्रमुख संस्था है, जो आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, और मानवीय मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कार्य करती है। इसके प्रमुख प्रकार्य निम्नलिखित हैं: अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक और सामाजिक मामलों पर चर्चा: वैश्विक आर्थRead more
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद् (इकोसॉक) संयुक्त राष्ट्र की एक प्रमुख संस्था है, जो आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, और मानवीय मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कार्य करती है। इसके प्रमुख प्रकार्य निम्नलिखित हैं:
अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक और सामाजिक मामलों पर चर्चा: वैश्विक आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चाओं का आयोजन और समन्वयन।
नीतियों और अनुशंसाओं का निर्माण: सदस्य देशों के लिए नीतिगत दिशा-निर्देश और अनुशंसाएँ विकसित करना।
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों का समन्वयन: विभिन्न एजेंसियों के कार्यों का समन्वयन और निगरानी।
सतत विकास लक्ष्यों का समर्थन: 2030 एजेंडा के तहत सतत विकास लक्ष्यों की प्रगति की समीक्षा और समर्थन।
इकोसॉक के साथ संलग्न प्रमुख प्रकार्यात्मक आयोग:
आर्थिक आयोग: क्षेत्रीय स्तर पर आर्थिक मुद्दों का विश्लेषण, जैसे एशिया और प्रशांत के लिए आर्थिक और सामाजिक आयोग (ESCAP)।
See lessसामाजिक आयोग: सामाजिक नीतियों और मानकों की निगरानी, जैसे सामाजिक विकास आयोग (CSD)।
आबादी और विकास आयोग: जनसंख्या संबंधी नीतियों पर अनुसंधान और सिफारिशें।
नारकोटिक ड्रग्स पर आयोग: अंतर्राष्ट्रीय ड्रग नीति और नियंत्रण।
ये आयोग इकोसॉक की व्यापक नीति निर्माण और अनुशंसा प्रक्रिया में सहायक होते हैं।
'आवश्यकता से कम नगदी, अत्यधिक राजनीति ने यूनेस्को को जीवन-रक्षण की स्थिति में पहुँचा दिया है ।' अमेरिका द्वारा सदस्यता परित्याग करने और सांस्कृतिक संस्था पर 'इजराइल विरोधी पूर्वाग्रह' होने का दोषारोपण करने के प्रकाश में इस कथन की विवेचना कीजिए । (150 words) [UPSC 2019]
यूनेस्को को 'जीवन-रक्षण की स्थिति' में पहुँचा देने के कारण कई प्रमुख मुद्दे हैं: 1. नगदी की कमी: यूनेस्को को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उसकी कार्यक्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। अमेरिका जैसे प्रमुख सदस्य देशों द्वारा वित्तीय योगदान में कमी, जैसे कि 2018 में अमेरिका द्वारा सदसRead more
यूनेस्को को ‘जीवन-रक्षण की स्थिति’ में पहुँचा देने के कारण कई प्रमुख मुद्दे हैं:
1. नगदी की कमी:
यूनेस्को को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उसकी कार्यक्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। अमेरिका जैसे प्रमुख सदस्य देशों द्वारा वित्तीय योगदान में कमी, जैसे कि 2018 में अमेरिका द्वारा सदस्यता परित्याग, ने संगठन की वित्तीय स्थिरता को संकट में डाल दिया है।
2. राजनीतिक विवाद:
यूनेस्को पर ‘इजराइल विरोधी पूर्वाग्रह’ का आरोप, विशेषकर उस समय जब कई प्रस्ताव और निर्णय इजराइल के खिलाफ लिए गए, ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में विवाद पैदा किया है। अमेरिका और अन्य देशों के द्वारा इस पूर्वाग्रह के खिलाफ विरोध ने संगठन की राजनीतिक स्थिति को कमजोर कर दिया है।
3. सांस्कृतिक और शैक्षणिक मिशन पर प्रभाव:
इन समस्याओं के कारण, यूनेस्को अपने सांस्कृतिक और शैक्षणिक मिशनों को प्रभावी ढंग से लागू करने में असमर्थ हो रहा है, जिससे वैश्विक सांस्कृतिक संरक्षण और शिक्षा के प्रयास प्रभावित हो रहे हैं।
इन मुद्दों के समाधान के लिए, यूनेस्को को वित्तीय स्थिरता और राजनीतिक पूर्वाग्रहों को संबोधित करने की आवश्यकता है ताकि वह अपने लक्ष्यों को पूरा कर सके और वैश्विक सांस्कृतिक साझेदारी में योगदान दे सके।
See lessगरि 'ग्गापार युद्ध' के नर्तमान परिदृश्य में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू० ० ओ०) को जिन्दा बने रहना है, तो उसके सुधार के कौन-कौन से प्रमुख क्षेत्र हैं, विशेष रूप से भारत के हित को ध्यान में रखते हुए? (250 words) [UPSC 2018]
डब्ल्यूटीओ सुधार के प्रमुख क्षेत्र: भारत के दृष्टिकोण से वर्तमान परिदृश्य में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को वैश्विक व्यापार युद्धों और बढ़ती भू-राजनीतिक तनावों के बीच जीवित रहने और प्रभावी बने रहने के लिए कई सुधारों की आवश्यकता है। विशेष रूप से, भारत के हितों को ध्यान में रखते हुए, निम्नलिखितRead more
डब्ल्यूटीओ सुधार के प्रमुख क्षेत्र: भारत के दृष्टिकोण से
वर्तमान परिदृश्य में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को वैश्विक व्यापार युद्धों और बढ़ती भू-राजनीतिक तनावों के बीच जीवित रहने और प्रभावी बने रहने के लिए कई सुधारों की आवश्यकता है। विशेष रूप से, भारत के हितों को ध्यान में रखते हुए, निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान देने की आवश्यकता है:
1. विवाद निपटान तंत्र में सुधार: भारत को विवाद निपटान तंत्र में पारदर्शिता और दक्षता की आवश्यकता है। डब्ल्यूटीओ के अपील तंत्र में सुधार किया जाना चाहिए, जिससे फैसलों में समय की देरी और पूर्वाग्रह की शिकायतों को कम किया जा सके।
2. कृषि सब्सिडी और व्यापार संरक्षण: भारत के कृषि क्षेत्र को उचित संरक्षण की आवश्यकता है। डब्ल्यूटीओ में कृषि सब्सिडी के नियमों को समायोजित किया जाना चाहिए, ताकि विकासशील देशों को अपनी कृषि नीतियों को लागू करने में सहजता मिले और कृषि क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
3. विकासशील देशों की आवाज: डब्ल्यूटीओ में विकासशील देशों के प्रतिनिधित्व को बढ़ाना चाहिए। भारत जैसे देश व्यापार के समान अवसर और न्यायपूर्ण प्रतिस्पर्धा की मांग कर रहे हैं। डब्ल्यूटीओ की प्रक्रियाओं में इन देशों की भूमिका और प्रभाव को बढ़ाना आवश्यक है।
4. डिजिटल व्यापार और ई-कॉमर्स: डिजिटल व्यापार और ई-कॉमर्स पर स्पष्ट और प्रगतिशील नियमों की जरूरत है। भारत के ई-कॉमर्स और टेक्नोलॉजी सेक्टर के हितों को ध्यान में रखते हुए, डब्ल्यूटीओ को डिजिटल लेनदेन और डेटा सुरक्षा पर बेहतर नीतिगत ढांचा तैयार करना चाहिए।
5. पर्यावरणीय और श्रमिक मानक: भारत को पर्यावरणीय संरक्षण और श्रमिक मानकों के लिए वैश्विक मानकों की आवश्यकता है। डब्ल्यूटीओ को ऐसे नियमों को लागू करने की दिशा में काम करना चाहिए जो स्थिरता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा दें।
इन सुधारों से डब्ल्यूटीओ की प्रासंगिकता और प्रभावशीलता बढ़ेगी, और वैश्विक व्यापार को अधिक संगठित और न्यायपूर्ण बनाया जा सकेगा, जिससे भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा की जा सकेगी।
See lessयू.एन. पीसकीपिंग संबंधी प्रयासों में भारत के योगदान का वर्णन कीजिए। साथ ही, यू.एन. पीसकीपिंग फोर्सेज द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों को भी रेखांकित कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत के योगदान: भारत ने संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना (पीसकीपिंग) अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत ने 1950 के दशक से लेकर अब तक कई अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लिया है, जिसमें सैनिक, पुलिस, और नागरिक कर्मियों का योगदान शामिल है। भारत ने शांति सैनिकों की सबसे बड़ी टुकड़ी भेजी है और विभRead more
भारत के योगदान: भारत ने संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना (पीसकीपिंग) अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत ने 1950 के दशक से लेकर अब तक कई अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लिया है, जिसमें सैनिक, पुलिस, और नागरिक कर्मियों का योगदान शामिल है। भारत ने शांति सैनिकों की सबसे बड़ी टुकड़ी भेजी है और विभिन्न संकट क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत का योगदान विशेष रूप से अफ्रीका, मध्य पूर्व, और दक्षिण एशिया में उल्लेखनीय रहा है।
चुनौतियाँ:
इन चुनौतियों के बावजूद, भारत का पीसकीपिंग में योगदान वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
See lessसौर ऊर्जा की पूर्ण क्षमता का दोहन करने में अंतरर्राष्ट्रीय समुदाय की मदद करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) द्वारा निभाई जा सकने वाली भूमिका पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की भूमिका सौर ऊर्जा की पूर्ण क्षमता का दोहन करने में महत्वपूर्ण है। तकनीकी सहयोग और ज्ञान साझाकरण: ISA सदस्य देशों को सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों, शोध और विकास में सहायता प्रदान करता है। यह नए और उन्नत सौर पैनल और सिस्टम्स की जानकारी साझा करता है, जिससे तकनीकी उन्नति कोRead more
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की भूमिका सौर ऊर्जा की पूर्ण क्षमता का दोहन करने में महत्वपूर्ण है।
इस प्रकार, ISA अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देकर सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ा सकता है और वैश्विक ऊर्जा संकट को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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