नीतिशास्त्र एवं नैतिकता में विभेद कीजिये तथा नीतिशास्त्रीय कार्यों के निर्धारक तत्त्वों की व्याख्या कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2018]
प्रभावी प्रशासन और लोक सेवा के प्रति समर्पण 1. सेवा की प्रतिबद्धता: प्रभावी प्रशासन के लिए लोक सेवा के प्रति गहरी प्रतिबद्धता आवश्यक है। उदाहरण के तौर पर, दिल्ली की COVID-19 प्रतिक्रिया में अधिकारियों की प्रतिबद्धता ने टीकों और संसाधनों के वितरण में दक्षता सुनिश्चित की, जिससे सार्वजनिक विश्वास और कलRead more
प्रभावी प्रशासन और लोक सेवा के प्रति समर्पण
1. सेवा की प्रतिबद्धता: प्रभावी प्रशासन के लिए लोक सेवा के प्रति गहरी प्रतिबद्धता आवश्यक है। उदाहरण के तौर पर, दिल्ली की COVID-19 प्रतिक्रिया में अधिकारियों की प्रतिबद्धता ने टीकों और संसाधनों के वितरण में दक्षता सुनिश्चित की, जिससे सार्वजनिक विश्वास और कल्याण बढ़ा।
2. उत्तरदायित्व और पारदर्शिता: लोक सेवा के प्रति समर्पण में उच्च मानकों का पालन और पारदर्शिता शामिल है। प्रधानमंत्री जन धन योजना एक उदाहरण है, जहाँ प्रशासनिक समर्पण ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया और गरीबों के लिए बैंकों की सेवाओं को सुगम बनाया।
3. सक्रिय समस्या समाधान: प्रशासनिक अधिकारियों को सार्वजनिक मुद्दों का सक्रिय समाधान करना चाहिए। स्वच्छ भारत मिशन ने स्वच्छता और sanitation में समर्पण के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य और जीवन गुणवत्ता में सुधार किया।
4. नैतिक नेतृत्व: समर्पण में नैतिक आचरण और उदाहरण पेश करना शामिल है। उत्तर प्रदेश के भ्रष्टाचार विरोधी पहल ने दिखाया कि लोक सेवा के प्रति समर्पण भ्रष्टाचार को कम करने और शासन को बेहतर बनाने में सहायक होता है।
इस प्रकार, लोक सेवा के प्रति समर्पण प्रभावी प्रशासन के लिए आवश्यक है, जो बेहतर शासन और सार्वजनिक कल्याण को सुनिश्चित करता है।
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नीतिशास्त्र और नैतिकता में विभेद 1. परिभाषा: नीतिशास्त्र (Ethics) पेशेवर या सामाजिक संदर्भ में व्यवहार को मार्गदर्शित करने वाले सिद्धांतों का एक संरचित सेट है। यह आमतौर पर औपचारिक दिशा-निर्देशों और पेशेवर मानकों में संहिताबद्ध होता है। उदाहरण के लिए, IAS अधिकारियों के लिए आचार संहिता नैतिक सिद्धांतोRead more
नीतिशास्त्र और नैतिकता में विभेद
1. परिभाषा:
2. स्रोत:
नीतिशास्त्रीय कार्यों के निर्धारक तत्त्व
1. व्यक्तिगत ईमानदारी: व्यक्तिगत ईमानदारी और मूल्यों में निरंतरता नीतिशास्त्रीय व्यवहार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उदाहरण के लिए, डॉ. एपीजे Abdul Kalam ने पारदर्शिता बनाए रखी, जिससे उनके नैतिक दृष्टिकोण को बल मिला।
2. कानूनी ढांचा: कानून और नियम नीतिशास्त्रीय कार्यों की सीमाएँ निर्धारित करते हैं। हाल के भ्रष्टाचार विरोधी कानून ने शासन में नैतिक आचरण को सुदृढ़ किया है।
3. संगठनात्मक संस्कृति: एक संगठन की नैतिक जलवायु व्यवहार को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, Patagonia ने पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति अपने प्रतिबद्धता के माध्यम से नैतिक संस्कृति को बढ़ावा दिया है।
4. सामाजिक मानक और मूल्य: सांस्कृतिक और सामाजिक मानक नैतिक व्यवहार को आकारित करते हैं। जैसे #MeToo आंदोलन ने कैसे सामाजिक मूल्यों की बदलती धारा के अनुसार नैतिक मानक और आचरण को प्रभावित किया है।
इस प्रकार, नीतिशास्त्र और नैतिकता दोनों मार्गदर्शक होते हैं, लेकिन नीतिशास्त्र बाहरी और प्रणालीगत होता है, जबकि नैतिकता व्यक्तिगत और सांस्कृतिक रूप से प्रभावित होती है। नैतिक कार्यों के निर्धारक तत्त्व व्यक्तिगत ईमानदारी, कानूनी ढांचा, संगठनात्मक संस्कृति, और सामाजिक मानक हैं।
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