अक्सर कहा जाता हैं कि निर्धनता भ्रष्टाचार की और प्रवृत्त करती हैं। परंतु ऐसे भी उदाहरणों की कमी नहीं हैं, जहाँ सम्पन्न एवं शक्तिशाली लोग बड़ी यात्रा में भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाते हैं। लोगों में व्याप्त भ्रष्टाचार के आधारभूत ...
समाज में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदम **1. कानूनी ढांचे को मजबूत करना (Strengthening Legal Framework): कठोर कानून और प्रवर्तन: भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस कानून लागू करें और उनका सख्ती से पालन करवाएँ। भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2018 ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण बRead more
समाज में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदम
**1. कानूनी ढांचे को मजबूत करना (Strengthening Legal Framework):
- कठोर कानून और प्रवर्तन: भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस कानून लागू करें और उनका सख्ती से पालन करवाएँ। भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2018 ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) और एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) को सशक्त बनाना जरूरी है।
**2. पारदर्शिता को बढ़ावा देना (Promoting Transparency):
- खुला डेटा और रिपोर्टिंग: सरकारी लेन-देन और निर्णय प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करें। RTI (सूचना का अधिकार) जैसे सिस्टम को लागू करें, जो नागरिकों को सार्वजनिक मामलों की जानकारी प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, COVID-19 राहत वितरण में अनियमितताएँ RTI के माध्यम से उजागर हुईं।
**3. सूचना देने वालों को प्रोत्साहित करना (Encouraging Whistleblowers):
- सुरक्षा और प्रोत्साहन: उन लोगों की सुरक्षा और प्रोत्साहन प्रदान करें जो भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करते हैं। सूचना देने वालों की सुरक्षा अधिनियम, 2014 इस उद्देश्य के लिए बनया गया है, जिससे उन्हें प्रतिशोध से बचाया जा सके।
**4. नैतिक मानकों को बढ़ावा देना (Promoting Ethical Standards):
- शिक्षा और प्रशिक्षण: स्कूल और कॉलेज की पाठ्यक्रम में नैतिकता और भ्रष्टाचार विरोधी शिक्षा शामिल करें। सार्वजनिक अधिकारियों के लिए नियमित प्रशिक्षण आयोजित करें। भारत की राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी रणनीति (2019) में यह पहल शामिल है।
**5. प्रौद्योगिकी का उपयोग (Leveraging Technology):
- डिजिटल प्लेटफार्म: प्रौद्योगिकी का उपयोग करके मानव हस्तक्षेप को कम करें और भ्रष्टाचार के अवसर घटाएँ। आयकर दाखिल करना और सार्वजनिक खरीद के लिए डिजिटल प्लेटफार्म लागू करें।
**6. संस्थानिक अखंडता को मजबूत करना (Strengthening Institutional Integrity):
- जवाबदेही तंत्र: सार्वजनिक संस्थानों की निगरानी और ऑडिट करने के लिए स्वतंत्र निकायों की स्थापना करें। महालेखा परीक्षक (CAG) की भूमिका इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
इन कदमों को अपनाकर समाज में भ्रष्टाचार को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है और सार्वजनिक संस्थानों में विश्वास बनाए रखा जा सकता है।
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भ्रष्टाचार की चुनौतियाँ 1. विश्वास का क्षय: भ्रष्टाचार सार्वजनिक विश्वास को कमजोर करता है। उदाहरण के लिए, दिल्ली शराब नीति घोटाला (2022) ने सरकार और सार्वजनिक संस्थाओं के प्रति विश्वास को चोट पहुँचाई। 2. अक्षमता और संसाधनों की अव्यवस्था: भ्रष्टाचार अक्षमता और संसाधनों की अव्यवस्था का कारण बनता है, जRead more
भ्रष्टाचार की चुनौतियाँ
1. विश्वास का क्षय: भ्रष्टाचार सार्वजनिक विश्वास को कमजोर करता है। उदाहरण के लिए, दिल्ली शराब नीति घोटाला (2022) ने सरकार और सार्वजनिक संस्थाओं के प्रति विश्वास को चोट पहुँचाई।
2. अक्षमता और संसाधनों की अव्यवस्था: भ्रष्टाचार अक्षमता और संसाधनों की अव्यवस्था का कारण बनता है, जिससे आवश्यक सेवाओं के लिए फंड्स का दुरुपयोग होता है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) में भ्रष्टाचार ने फंड्स के दुरुपयोग और कम प्रभावी कार्यान्वयन की समस्या उत्पन्न की है।
3. आर्थिक प्रभाव: भ्रष्टाचार आर्थिक विकास को बाधित करता है और निवेश को हतोत्साहित करता है। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला ने भारतीय टेलीकॉम क्षेत्र को नुकसान पहुँचाया और निवेश जलवायु को प्रभावित किया।
4. सामाजिक असमानता: भ्रष्टाचार सामाजिक असमानता को बढ़ाता है, क्योंकि यह अमीरों और ताकतवर लोगों को फायदेमंद बनाता है। राशन कार्ड घोटाले ने गरीबों को आवश्यक वस्त्रों से वंचित किया है।
भ्रष्टाचार को रोकने के कदम
1. कानूनी ढांचे को सुदृढ़ करें: कानूनी ढांचे को मजबूत करें और भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करें। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम को नवीनतम रूप में अपडेट किया जाना चाहिए ताकि नए भ्रष्टाचार के स्वरूपों को भी शामिल किया जा सके।
2. पारदर्शिता को बढ़ावा दें: पारदर्शिता के उपाय अपनाएँ, जैसे कि सार्वजनिक सेवाओं और खरीददारी के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म। डिजिटल इंडिया पहल इस दिशा में एक कदम है, जिससे सरकारी प्रक्रियाएँ अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनती हैं।
3. सूचना प्रदाता संरक्षण को बढ़ाएँ: सूचना प्रदाता संरक्षण प्रणाली को सशक्त करें ताकि भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग करने वालों को प्रतिशोध का डर न हो। सूचना प्रदाता संरक्षण अधिनियम की प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता है।
4. नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करें: जनभागीदारी को बढ़ावा दें और फीडबैक और निगरानी के लिए प्लेटफॉर्म्स प्रदान करें। RTI (सूचना का अधिकार) और सिटीजन फीडबैक सिस्टम्स नागरिकों को अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने में मदद करते हैं।
5. प्रशासन और जवाबदेही में सुधार करें: अच्छे शासन प्रथाओं और आंतरिक ऑडिट्स को प्रोत्साहित करें। नियमित ऑडिट्स और अनुपालन जांचें सुनिश्चित करती हैं कि संसाधन प्रभावी रूप से उपयोग किए जाएँ और भ्रष्टाचार को जल्दी पहचाना जाए।
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए कानूनी, तकनीकी, और नागरिक उपायों को अपनाकर समाज में भ्रष्टाचार के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
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