What is the major focus of UNDP Human Development Report, 2019? In what way does the analysis go beyong income, average and present condition? Critically examine. [64th BPSC Mains Exam 2018]
मौर्य साम्राज्य (322-185 ई.पू.) भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण काल था, जो कला और स्थापत्य के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदानों के लिए जाना जाता है। इस काल में भारतीय कला और वास्तुकला में बड़े बदलाव आए, जो विशेष रूप से सम्राट अशोक के शासनकाल में स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। मौर्य कला का गहरा संबRead more
मौर्य साम्राज्य (322-185 ई.पू.) भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण काल था, जो कला और स्थापत्य के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदानों के लिए जाना जाता है। इस काल में भारतीय कला और वास्तुकला में बड़े बदलाव आए, जो विशेष रूप से सम्राट अशोक के शासनकाल में स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। मौर्य कला का गहरा संबंध बौद्ध धर्म से था, क्योंकि सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को अपनाया था और इसके प्रचार-प्रसार के लिए कला का उपयोग किया था।
मौर्य कला की विशेषताएँ
- स्तूप और स्मारक:
- मौर्य कला में सबसे प्रमुख योगदान स्तूप और स्मारकों का था। सांची का स्तूप, जो मौर्य काल की कला का एक प्रमुख उदाहरण है, इसे सम्राट अशोक ने बनवाया था। यह स्तूप बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण स्थल थे, जो भगवान बुद्ध के अवशेषों की पूजा के लिए बनाए गए थे।
- धम्मचक्कप्रवर्तक (धर्मचक्र) और शाही स्तूप का निर्माण हुआ, जो धर्म के प्रचार का माध्यम बने।
- बेल्ट और गेट्स:
- मौर्य काल की एक अन्य प्रमुख विशेषता थी शाही गेट्स और उनके आकार का विकास। धम्मचक्र स्तंभ जो कि अशोक द्वारा स्थापित किए गए थे, उनकी वास्तुकला में बेल्ट का विशेष प्रयोग किया गया था।
- इन स्तंभों पर धार्मिक संदेशों और धर्म का प्रचार किया जाता था, विशेष रूप से बौद्ध धर्म से संबंधित। ये स्तंभ भारतीय वास्तुकला के प्रतीक बन गए।
- पाषाण उकेरा हुआ कला:
- मौर्य कला में पाषाण पर उकेरे गए चित्र और शिल्पकारी का महत्वपूर्ण स्थान था। अशोक के शिलालेख और उनकी धर्मशास्त्रों के संदेश इन कला रूपों का हिस्सा थे।
- इन शिलालेखों में अशोक ने अपने साम्राज्य में बौद्ध धर्म के सिद्धांतों का पालन करने की घोषणा की थी।
- सिंहासन और मूर्तियाँ:
- मौर्य कला में सिंहासन और अन्य मूर्तियों की भी प्रमुखता थी। विशेष रूप से सिंहासन और हाथी की मूर्तियाँ बहुत प्रसिद्ध हुईं, जो मौर्य काल की निपुणता और शक्ति को दर्शाती हैं।
- मौर्य काल में पेंटिंग और मूर्तिकला का प्रभाव बहुत बढ़ा था, और इनका धर्म और राजनीति से गहरा संबंध था।
भवन निर्माण कला की विशेषताएँ
मौर्य काल के भवन निर्माण कला में कुछ प्रमुख विशेषताएँ थीं:
- लकड़ी और पत्थर का प्रयोग:
- मौर्य काल में भवनों के निर्माण के लिए लकड़ी और पत्थर का बहुतायत से उपयोग किया गया। भले ही अधिकांश मौर्य काल के भवन और संरचनाएँ अब नष्ट हो चुकी हों, लेकिन उपलब्ध अवशेषों से पता चलता है कि स्थापत्य कला में लकड़ी का भी प्रमुख स्थान था।
- भव्य महल और किले:
- मौर्य काल में राजमहल और किलों का निर्माण हुआ था। यह किले और महल भव्यता के प्रतीक थे। सम्राट अशोक के समय में कई किलों का निर्माण हुआ था, जिनमें पाटलिपुत्र (आज का पटना) प्रमुख था।
- संगठित शहर और नगर निर्माण:
- मौर्य काल के दौरान भारतीय नगरों में बड़े पैमाने पर नगर नियोजन हुआ था। इन नगरों की सड़कों का निर्माण और भवनों का डिज़ाइन बहुत व्यवस्थित और योजना के अनुसार था।
बौद्ध धर्म और मौर्य कला का संबंध
- धम्मचक्र और अशोक स्तंभ:
- सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को राज्य धर्म के रूप में अपनाया और इसके प्रचार के लिए अशोक स्तंभ और धम्मचक्र का निर्माण कराया। यह स्तंभ बौद्ध धर्म के सिद्धांतों और आदेशों का प्रसार करने के लिए बने थे।
- स्तूप निर्माण:
- मौर्य काल के दौरान, बौद्ध धर्म के प्रभाव में स्तूपों का निर्माण हुआ। इन स्तूपों में भगवान बुद्ध के अवशेष रखे जाते थे, और इनका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व था।
- अशोक के शिलालेख:
- बौद्ध धर्म के सिद्धांतों के प्रचार के लिए सम्राट अशोक ने शिलालेखों का इस्तेमाल किया, जिनमें धर्म, अहिंसा, और सत्य के महत्व की बातें की गई थीं। इन शिलालेखों में बौद्ध धर्म की शिक्षाओं को आम जनता तक पहुँचाने के प्रयास किए गए थे।
निष्कर्ष
मौर्य कला और भवन निर्माण कला ने भारतीय संस्कृति और स्थापत्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सम्राट अशोक के समय में बौद्ध धर्म का प्रचार और उसकी कलात्मक अभिव्यक्ति कला के माध्यम से की गई, जिसमें स्तूप, शिलालेख और अशोक स्तंभ प्रमुख थे। इन सभी ने भारतीय कला की धारा को एक नई दिशा दी और बौद्ध धर्म की शिक्षाओं को फैलाने में मदद की। मौर्य कला न केवल स्थापत्य और मूर्तिकला में, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक प्रचार में भी एक मील का पत्थर साबित हुई।
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The United Nations Development Programme (UNDP) Human Development Report 2019, titled "Beyond Income, Beyond Averages, Beyond Today: Inequalities in Human Development in the 21st Century," focuses on addressing inequalities in human development. It emphasizes how disparities in opportunities, ratherRead more
The United Nations Development Programme (UNDP) Human Development Report 2019, titled “Beyond Income, Beyond Averages, Beyond Today: Inequalities in Human Development in the 21st Century,” focuses on addressing inequalities in human development. It emphasizes how disparities in opportunities, rather than just outcomes, are reshaping societies and hindering progress.
Key Highlights of the Report
How the Analysis Goes Beyond Income, Averages, and Present Conditions
1. Multidimensional Approach:
2. Focus on Capabilities:
3. Intergenerational Inequalities:
4. Spotlight on Gender:
Critical Examination of the Report
Strengths:
Limitations:
Illustrative Examples
Conclusion
The UNDP Human Development Report 2019 is a comprehensive analysis that sheds light on the complex and interconnected nature of inequalities. While it provides a robust framework for understanding and addressing disparities, its success depends on the commitment of global and local policymakers to translate its insights into concrete action.
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