Critically examine the evoluation of Indian nationalism since the late 19th century. [64th BPSC Mains Exam 2018]
ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों, जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, और नाइट्रस ऑक्साइड, के बढ़ने से उत्पन्न होने वाली एक गंभीर समस्या है। इन गैसों का वायुमंडल में अधिक मात्रा में होना सूरज की गर्मी को पृथ्वी की सतह पर फंसा देता है, जिससे पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ता है। इसे ग्लोबल वRead more
ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों, जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, और नाइट्रस ऑक्साइड, के बढ़ने से उत्पन्न होने वाली एक गंभीर समस्या है। इन गैसों का वायुमंडल में अधिक मात्रा में होना सूरज की गर्मी को पृथ्वी की सतह पर फंसा देता है, जिससे पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ता है। इसे ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है।
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव पृथ्वी के पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र पर गहरे असर डालते हैं। इसके प्रमुख प्रभाव इस प्रकार हैं:
- वातावरण का तापमान बढ़ना:
- पृथ्वी का औसत तापमान लगातार बढ़ रहा है, जो ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्र के स्तर के बढ़ने, और अधिक गर्मी के कारण पर्यावरण में असंतुलन पैदा कर रहा है।
- समुद्र स्तर का वृद्धि:
- ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियरों और ध्रुवीय बर्फ के पिघलने से समुद्र स्तर बढ़ रहा है। इसका प्रभाव तटीय क्षेत्रों और द्वीपों पर देखा जा रहा है, जहां बाढ़, जलमग्नता और भूस्खलन हो रहे हैं।
- मौसम में बदलाव:
- अधिक गर्मी के कारण अधिक बर्फबारी, सूखा, उष्णकटिबंधीय तूफान और गर्मी की लहरें उत्पन्न हो रही हैं। यह कृषि उत्पादन, वन्यजीवों और मानव जीवन को प्रभावित करता है।
- प्राकृतिक आपदाएँ:
- ग्लोबल वार्मिंग के कारण अत्यधिक मौसम परिवर्तन हो रहे हैं, जिससे अकाल, बाढ़, जंगलों की आग और तटीय क्षेत्रों में बाढ़ की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
भारत का योगदान ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में
भारत, एक विकासशील देश होने के बावजूद, ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयास कर रहा है:
- नवीकरणीय ऊर्जा में वृद्धि:
- भारत ने सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जल ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश किया है। भारत ने 2022 तक 175 GW नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया था।
- पारिस्थितिकी संतुलन के लिए वन संरक्षण:
- भारत ने वन क्षेत्रों के संरक्षण और वृक्षारोपण अभियान को बढ़ावा दिया है। “मि. भारत” जैसे अभियानों के द्वारा हरित आवरण बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
- स्मार्ट सिटी और पर्यावरणीय नीति:
- भारत सरकार ने स्मार्ट सिटी मिशन की शुरुआत की है, जिसमें ऊर्जा संरक्षण, जल संरक्षण और कम कार्बन उत्सर्जन वाली इमारतों का निर्माण शामिल है।
- राष्ट्रीय एक्शन प्लान ऑन क्लाइमेट चेंज (NAPCC):
- भारत ने NAPCC के तहत जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, जैसे ऊर्जा दक्षता, स्वच्छ ऊर्जा, और जलवायु परिवर्तन से संबंधित ज्ञान का प्रसार।
“निकट भविष्य में पूरा विश्व, इस ग्रह के मानव के द्वारा की जाने वाली गलतियों के कारण, पानी में डूब जाएगा।” उक्त कथन पर विचार
यह कथन ग्लोबल वार्मिंग के खतरों और उसके परिणामस्वरूप समुद्र स्तर में वृद्धि के बारे में एक गंभीर चेतावनी है। समुद्र स्तर का बढ़ना, विशेष रूप से ग्लेशियरों और आर्कटिक बर्फ के पिघलने के कारण, तटीय क्षेत्रों के लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकता है। यदि इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो कई तटीय शहर और द्वीप जलमग्न हो सकते हैं।
हालांकि, यह कुछ हद तक अतिरेक हो सकता है, लेकिन इसमें सच्चाई है कि अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो मानवता के लिए खतरनाक परिणाम हो सकते हैं। यह कथन उस खतरे को उजागर करता है जो ग्लोबल वार्मिंग के कारण उत्पन्न हो सकता है।
निष्कर्ष
ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुकी है, और इसका मुकाबला करने के लिए विश्वभर में सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं। भारत का योगदान सकारात्मक रहा है, लेकिन हमें अभी भी और अधिक सक्रिय उपायों की आवश्यकता है। यदि हम इस दिशा में प्रभावी कदम नहीं उठाते, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए खतरे बढ़ सकते हैं।
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Evolution of Indian Nationalism Since the Late 19th Century The evolution of Indian nationalism from the late 19th century marks a significant chapter in India’s struggle for freedom. It reflects a dynamic movement influenced by socio-economic changes, political awareness, and cultural revival. EarlRead more
Evolution of Indian Nationalism Since the Late 19th Century
The evolution of Indian nationalism from the late 19th century marks a significant chapter in India’s struggle for freedom. It reflects a dynamic movement influenced by socio-economic changes, political awareness, and cultural revival.
Early Stages of Nationalism (Late 19th Century)
Moderate Phase (1885–1905)
Extremist Phase (1905–1920)
Gandhian Era (1920–1947)
Role of Literature and Press
Conclusion
Indian nationalism evolved as a reaction to colonial exploitation and as an assertion of cultural identity. It transitioned from elite-led constitutional efforts to mass-based movements that united diverse groups under a common goal: freedom from British rule. This journey reflects India’s ability to integrate modernity with tradition, paving the way for its independence in 1947.
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