भारत आर्कटिक प्रदेश के संसाधनों में किस कारण गहन रुचि ले रहा है ? (150 words ) [UPSC 2018]
कोयला खनन: विकास और पर्यावरणीय प्रभाव परिचय: कोयला खनन भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन इसके प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव भी हैं। इसके बावजूद, यह विकास के लिए अपरिहार्य बना हुआ है। कोयला खनन की अपरिहार्यता: ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका: "भारत की ऊर्जाRead more
कोयला खनन: विकास और पर्यावरणीय प्रभाव
परिचय: कोयला खनन भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन इसके प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव भी हैं। इसके बावजूद, यह विकास के लिए अपरिहार्य बना हुआ है।
कोयला खनन की अपरिहार्यता:
- ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका:
- “भारत की ऊर्जा आवश्यकता” का बड़ा हिस्सा “कोयला” से पूरा होता है। “NTPC” और “सारनी” जैसे थर्मल पावर प्लांट्स कोयला पर निर्भर करते हैं, जिससे स्थिर और सस्ते ऊर्जा स्रोत की उपलब्धता सुनिश्चित होती है।
- आर्थिक विकास:
- “कोयला खनन” “रोजगार के अवसर” प्रदान करता है और “कृषि और औद्योगिक विकास” को प्रोत्साहित करता है। “कोयला भारत लिमिटेड” (CIL) जैसे संस्थानों के माध्यम से कई क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाएँ कोयला खनन से लाभान्वित होती हैं।
पर्यावरणीय प्रतिकूल प्रभाव:
- पर्यावरणीय नुकसान:
- “कोयला खनन” से “वृक्षों की कटाई”, “मृदा क्षति”, और “जल प्रदूषण” जैसे समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। “छत्तीसगढ़” और “झारखंड” में कोयला खनन के कारण पर्यावरणीय नुकसान देखा गया है।
- स्वास्थ्य प्रभाव:
- “वायु प्रदूषण” और “खनन क्षेत्रों के आसपास की स्वास्थ्य समस्याएँ” भी कोयला खनन के प्रतिकूल प्रभाव हैं, जो स्थानीय समुदायों को प्रभावित करते हैं।
निष्कर्ष: कोयला खनन विकास के लिए अपरिहार्य है क्योंकि यह ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, इसके पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए “सतत खनन प्रथाएँ” और “वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों” पर जोर देना आवश्यक है।
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भारत की आर्कटिक प्रदेश के संसाधनों में रुचि
परिचय: भारत की आर्कटिक प्रदेश में रुचि बढ़ रही है, जिसका कारण क्षेत्रीय संसाधनों और भू-राजनीतिक महत्व की खोज में निहित है।
संसाधनों की खोज:
वैश्विक सहयोग:
निष्कर्ष: भारत की आर्कटिक प्रदेश में गहन रुचि ऊर्जा संसाधनों, समुद्री मार्गों, और वैश्विक सहयोग के अवसरों के कारण बढ़ रही है। यह रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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