जलविद्युत दुनिया भर में निम्न कार्बन उत्सर्जन वाली ऊर्जा आपूर्ति का एक प्रमुख स्रोत है, लेकिन भारत के कुल इलेक्ट्रिसिटी मिक्स में इसकी हिस्सेदारी बहुत कम बनी हुई है। चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
भारत की आर्कटिक प्रदेश के संसाधनों में रुचि परिचय: भारत की आर्कटिक प्रदेश में रुचि बढ़ रही है, जिसका कारण क्षेत्रीय संसाधनों और भू-राजनीतिक महत्व की खोज में निहित है। संसाधनों की खोज: खानिज और ऊर्जा संसाधन: आर्कटिक क्षेत्र में तेल और गैस के विशाल भंडार संभावित रूप से वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति को प्रभाविRead more
भारत की आर्कटिक प्रदेश के संसाधनों में रुचि
परिचय: भारत की आर्कटिक प्रदेश में रुचि बढ़ रही है, जिसका कारण क्षेत्रीय संसाधनों और भू-राजनीतिक महत्व की खोज में निहित है।
संसाधनों की खोज:
- खानिज और ऊर्जा संसाधन:
- आर्कटिक क्षेत्र में तेल और गैस के विशाल भंडार संभावित रूप से वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति को प्रभावित कर सकते हैं। भारत, जो ऊर्जा आयात पर निर्भर है, इन संसाधनों की संभावनाओं के प्रति आकर्षित है। रूस के यामाल प्रायद्वीप में ऊर्जा परियोजनाएँ भारतीय कंपनियों के लिए संभावित निवेश अवसर प्रदान करती हैं।
- समुद्री मार्ग:
- आर्कटिक क्षेत्र में नई समुद्री मार्ग जैसे कि “उत्तर-पश्चिम मार्ग” और “उत्तर-पूर्व मार्ग” खुल रहे हैं, जो भारत के लिए वाणिज्यिक और रणनीतिक महत्व के हो सकते हैं। भारत की जलवायु अनुसंधान परियोजनाएँ और “प्रधानमंत्री की आर्कटिक नीति” इस रणनीति को दर्शाते हैं।
वैश्विक सहयोग:
- अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान:
- भारत ने “आर्कटिक परिषद” में सहयोगी सदस्य के रूप में शामिल होकर अनुसंधान और प्रौद्योगिकी में योगदान दिया है। “आर्कटिक रिसर्च” में भागीदारी वैश्विक जलवायु परिवर्तन अध्ययन के लिए भी महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष: भारत की आर्कटिक प्रदेश में गहन रुचि ऊर्जा संसाधनों, समुद्री मार्गों, और वैश्विक सहयोग के अवसरों के कारण बढ़ रही है। यह रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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जलविद्युत ऊर्जा, कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन भारत के कुल इलेक्ट्रिसिटी मिक्स में इसकी हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम है। भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता में जलविद्युत की हिस्सेदारी लगभग 12% है, जबकि अन्य नवीकरणीय स्रोत जैसे कि सौर और पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रRead more
जलविद्युत ऊर्जा, कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन भारत के कुल इलेक्ट्रिसिटी मिक्स में इसकी हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम है। भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता में जलविद्युत की हिस्सेदारी लगभग 12% है, जबकि अन्य नवीकरणीय स्रोत जैसे कि सौर और पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है।
इसकी एक प्रमुख वजह है जलविद्युत परियोजनाओं की उच्च लागत और लंबा निर्माण समय। इसके अलावा, कई क्षेत्रों में नदी प्रवाह की अस्थिरता और पर्यावरणीय चिंताओं के कारण परियोजनाओं की शुरुआत में रुकावटें आती हैं।
वहीं, पर्यावरणीय प्रभाव और स्थानीय समुदायों पर असर के चलते विरोध भी होता है। भारत सरकार ने जलविद्युत को प्रमुख नवीकरणीय स्रोत के रूप में मान्यता दी है, लेकिन इसके विकास में सुधार की आवश्यकता है ताकि यह ऊर्जा मिक्स में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके।
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