भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन का मुख्य कार्य क्या है जिसे इसके पहले के मिशन में हासिल नहीं किया जा सका? जिन देशों ने इस कार्य को हासिल कर लिया है उनकी सूची दीजिए। प्रक्षेपित अंतरिक्ष यान की उपप्रणालियों को ...
भू-संसाधन उपग्रह विभिन्न प्रकार के होते हैं, जो पृथ्वी की सतह और संसाधनों की जानकारी जुटाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। मुख्यतः ये उपग्रह निम्नलिखित प्रकार के होते हैं: चित्रात्मक उपग्रह (Imaging Satellites): ये उपग्रह पृथ्वी की सतह की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेते हैं। ये तस्वीरें भू-उपयोग, वन्यजRead more
भू-संसाधन उपग्रह विभिन्न प्रकार के होते हैं, जो पृथ्वी की सतह और संसाधनों की जानकारी जुटाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। मुख्यतः ये उपग्रह निम्नलिखित प्रकार के होते हैं:
- चित्रात्मक उपग्रह (Imaging Satellites): ये उपग्रह पृथ्वी की सतह की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेते हैं। ये तस्वीरें भू-उपयोग, वन्यजीवों के habitats और प्राकृतिक संसाधनों के अध्ययन में सहायक होती हैं।
- ध्रुवीय उपग्रह (Polar Satellites): ये उपग्रह पृथ्वी के ध्रुवों के ऊपर से गुजरते हैं और सभी latitudes पर डेटा एकत्र करते हैं। ये जलवायु परिवर्तन, मौसम और पर्यावरण पर नजर रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- मौसम उपग्रह (Meteorological Satellites): ये उपग्रह मौसम की स्थिति और जलवायु परिवर्तन की निगरानी करते हैं। वे बादलों, तापमान, और तूफानों की जानकारी प्रदान करते हैं।
- नवीनतम उपग्रह (Remote Sensing Satellites): ये उपग्रह विभिन्न तरंग दैर्ध्य पर डेटा संग्रहित करते हैं, जैसे अवरक्त और रेडियो तरंगें। इसका उपयोग पर्यावरण, कृषि और संसाधन प्रबंधन में किया जाता है।
- ग्लोबल नैविगेशन उपग्रह (GNSS): ये उपग्रह भू-स्थानिक डेटा प्रदान करते हैं, जिसका उपयोग मानचित्रण और नेविगेशन में किया जाता है।
ये सभी उपग्रह विभिन्न भू-संसाधनों की निगरानी, प्रबंधन और संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे विकास और संरक्षण के लिए आवश्यक डेटा उपलब्ध होता है।
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भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन का मुख्य कार्य और पूर्ववर्ती मिशनों की उपलब्धियां चंद्रयान-3 का मुख्य कार्य: भारत का तीसरा चंद्रमा मिशन, चंद्रयान-3, मुख्य रूप से मूल रूप से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करना है। इसके पहले के मिशन, चंद्रयान-2, में लैंडर के गिरने के कारण यहRead more
भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन का मुख्य कार्य और पूर्ववर्ती मिशनों की उपलब्धियां
चंद्रयान-3 का मुख्य कार्य:
भारत का तीसरा चंद्रमा मिशन, चंद्रयान-3, मुख्य रूप से मूल रूप से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करना है। इसके पहले के मिशन, चंद्रयान-2, में लैंडर के गिरने के कारण यह कार्य पूरा नहीं हो सका था। चंद्रयान-3 के साथ, ISRO ने सटीक लैंडिंग तकनीकों और प्रणालियों को सुनिश्चित किया है ताकि चंद्रमा पर नियंत्रित और सुरक्षित लैंडिंग की जा सके।
जिन देशों ने सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की है:
चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान की उपप्रणालियाँ:
आभासी प्रक्षेपण नियंत्रण केन्द्र (VLCC) की भूमिका:
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र में स्थित आभासी प्रक्षेपण नियंत्रण केन्द्र (VLCC) ने चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसकी मुख्य भूमिकाएँ थीं:
संक्षेप में, चंद्रयान-3 का मुख्य कार्य चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग को सफल बनाना है, जो चंद्रयान-2 में पूरा नहीं हो सका। अमेरिका, सोवियत संघ, और चीन ने इस कार्य को सफलतापूर्वक पूरा किया है। चंद्रयान-3 में उन्नत उपप्रणालियाँ हैं, और VLCC ने लॉन्च के दौरान रियल-टाइम निगरानी और समन्वय के माध्यम से सफल प्रक्षेपण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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