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भू-संसाधन उपग्रह कितने प्रकार के होते हैं? संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
भू-संसाधन उपग्रह विभिन्न प्रकार के होते हैं, जो पृथ्वी की सतह और संसाधनों की जानकारी जुटाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। मुख्यतः ये उपग्रह निम्नलिखित प्रकार के होते हैं: चित्रात्मक उपग्रह (Imaging Satellites): ये उपग्रह पृथ्वी की सतह की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेते हैं। ये तस्वीरें भू-उपयोग, वन्यजRead more
भू-संसाधन उपग्रह विभिन्न प्रकार के होते हैं, जो पृथ्वी की सतह और संसाधनों की जानकारी जुटाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। मुख्यतः ये उपग्रह निम्नलिखित प्रकार के होते हैं:
ये सभी उपग्रह विभिन्न भू-संसाधनों की निगरानी, प्रबंधन और संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे विकास और संरक्षण के लिए आवश्यक डेटा उपलब्ध होता है।
See lessचंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर के नाम बताइए।
चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर के नाम बताइए 1. चंद्रयान-3 का परिचय: चंद्रयान-3: यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित तीसरी चंद्रमा मिशन है। इसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करना और चंद्रमा की विशेषताओं पर डेटा एकत्र करना है। 2. लैंडर और रोवर के नाम: लैंडर: चंद्रयान-3 का लRead more
चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर के नाम बताइए
1. चंद्रयान-3 का परिचय:
2. लैंडर और रोवर के नाम:
3. हाल के उदाहरण और संदर्भ:
4. निष्कर्ष:
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का विस्तृत विवरण दीजिए।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का विस्तृत विवरण परिचय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भारत की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी है, जिसे 15 अगस्त 1969 को स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को राष्ट्रीय विकास के लिए उपयोग करना और अंतरिक्ष विज्ञान में अग्रणी भूमिका निभाना है। ISRO नेRead more
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का विस्तृत विवरण
परिचय
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भारत की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी है, जिसे 15 अगस्त 1969 को स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को राष्ट्रीय विकास के लिए उपयोग करना और अंतरिक्ष विज्ञान में अग्रणी भूमिका निभाना है। ISRO ने अपनी स्थापना के बाद से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं।
1. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और स्थापना
2. प्रमुख उपलब्धियाँ और मिशन
3. प्रमुख कार्यक्रम और परियोजनाएँ
4. तकनीकी नवाचार
5. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और प्रभाव
6. चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा
निष्कर्ष
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपनी स्थापना के बाद से कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके निरंतर नवाचार और विकास की दिशा में उठाए गए कदम अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की भूमिका को मजबूत करते हैं और भविष्य में वैश्विक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण योगदान के संकेत प्रदान करते हैं।
See lessअतिसूक्ष्म प्रौद्योगिकी (नैनोटेक्नोलॉजी) 21वीं शताब्दी की प्रमुख प्रौद्योगिकियों में से एक क्यों है? अतिसूक्ष्म विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर भारत सरकार के मिशन की प्रमुख विशेषताओं तथा देश के विकास के प्रक्रम में इसके प्रयोग के क्षेत्र का वर्णन कीजिए। (200 words) [UPSC 2016]
अतिसूक्ष्म प्रौद्योगिकी (नैनोटेक्नोलॉजी) का महत्व 1. 21वीं शताब्दी की प्रमुख प्रौद्योगिकी: अतिसूक्ष्म प्रौद्योगिकी, जिसमें 1 से 100 नैनोमीटर के बीच के आयामों पर सामग्री और उपकरणों की निर्मिति होती है, वास्तव में क्रांतिकारी है। इसके कारण, नैनोटेक्नोलॉजी में निम्नलिखित विशेषताएँ हैं: सटीकता और दक्षताRead more
अतिसूक्ष्म प्रौद्योगिकी (नैनोटेक्नोलॉजी) का महत्व
1. 21वीं शताब्दी की प्रमुख प्रौद्योगिकी:
अतिसूक्ष्म प्रौद्योगिकी, जिसमें 1 से 100 नैनोमीटर के बीच के आयामों पर सामग्री और उपकरणों की निर्मिति होती है, वास्तव में क्रांतिकारी है। इसके कारण, नैनोटेक्नोलॉजी में निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:
2. भारत सरकार के मिशन की प्रमुख विशेषताएँ:
3. विकास में अनुप्रयोग:
इस प्रकार, नैनोटेक्नोलॉजी ने भारत के विकास को प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से संजीवनी दी है।
See lessअंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों की चर्चा कीजिए। इस प्रौद्योगिकी का प्रयोग भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायक हुआ है? (200 words) [UPSC 2016]
भारत की अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उपलब्धियाँ 1. प्रमुख उपलब्धियाँ: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र: भारत ने आंध्र प्रदेश में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) से अनेक सफल उपग्रह प्रक्षेपण किए हैं। चंद्रयान-1 (2008): भारत का पहला चंद्रमा मिशन, जिसने चंद्रमा की सतह पर पानी के संकेतों की खोज कीRead more
भारत की अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उपलब्धियाँ
1. प्रमुख उपलब्धियाँ:
2. सामाजिक-आर्थिक विकास में सहायक:
इन उपलब्धियों ने भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति बनाया और सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
See lessभारत ने चन्द्रयान व मंगल कक्षीय मिशनों सहित मानव रहित अंतरिक्ष मिशनों में असाधारण सफलता प्राप्त की है, लेकिन मानव सहित अंतरिक्ष मिशनों में प्रवेश का साहस नहीं किया है। मानव-सहित अंतरिक्ष मिशन लांच करने में प्रौद्योगिकीय व सुप्रचालनिक सहित मुख्य रुकावटें क्या हैं? समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए । (150 words) [UPSC 2017]
मानव-सहित अंतरिक्ष मिशन में रुकावटें: प्रौद्योगिकीय और सुप्रचालनिक बाधाएँ **1. प्रौद्योगिकीय चुनौतियाँ: **1. जीवित रहने की प्रणालियाँ: उन्नत प्रणालियाँ: मानव मिशनों के लिए ऐसे जीवित रहने की प्रणालियों की आवश्यकता होती है जो अंतरिक्ष में मानव जीवन को सुरक्षित रख सकें। भारत के चंद्रयान और मंगलयान मिशनRead more
मानव-सहित अंतरिक्ष मिशन में रुकावटें: प्रौद्योगिकीय और सुप्रचालनिक बाधाएँ
**1. प्रौद्योगिकीय चुनौतियाँ:
**1. जीवित रहने की प्रणालियाँ:
**2. अंतरिक्ष यान डिजाइन और परीक्षण:
**2. सुप्रचालनिक चुनौतियाँ:
**1. वित्तीय प्रतिबंध:
**2. अवसंरचना विकास:
**3. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की कमी:
हालिया उदाहरण:
समालोचनात्मक परीक्षण:
भारत की अपना स्वयं का अंतरिक्ष केंद्र प्राप्त करने की क्या योजना है और हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम को यह किस प्रकार लाभ पहुँचाएगी? (150 words) [UPSC 2019]
India's Plan for a Space Station and Its Benefits 1. Plan for Space Station: Initiative: India plans to establish its own space station as part of the Gaganyaan mission. The Indian Space Research Organisation (ISRO) has proposed a modular space station that will be developed over the next decade. ThRead more
India’s Plan for a Space Station and Its Benefits
1. Plan for Space Station:
2. Enhancement of Space Program:
This initiative marks a significant milestone in India’s space exploration ambitions, contributing to its strategic and scientific capabilities.
See less25 दिसम्बर, 2021 को छोड़ा गया जेम्स वेब अंतरिक्ष टेलीस्कोप तभी से समाचारों में बना हुआ है। उसमें ऐसी कौन-कौन सी अनन्य विशेषताएँ हैं जो उसे इससे पहले के अंतरिक्ष टेलीस्कोपों से श्रेष्ठ बनाती हैं ? इस मिशन के मुख्य ध्येय क्या हैं? मानव जाति के लिए इसके क्या संभावित लाभ हो सकते हैं ? (250 words) [UPSC 2022]
जेम्स वेब अंतरिक्ष टेलीस्कोप: विशेषताएँ, ध्येय, और लाभ **1. जेम्स वेब टेलीस्कोप की अनन्य विशेषताएँ: उन्नत इन्फ्रारेड क्षमता: जेम्स वेब इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रम में संचालित होता है, जिससे वह धूल के बादलों के माध्यम से देखने में सक्षम है और उन ब्रह्मांडीय वस्तुओं का अवलोकन कर सकता है जो हबल जैसे टेलीस्कोRead more
जेम्स वेब अंतरिक्ष टेलीस्कोप: विशेषताएँ, ध्येय, और लाभ
**1. जेम्स वेब टेलीस्कोप की अनन्य विशेषताएँ:
**2. मुख्य ध्येय:
**3. मानव जाति के लिए संभावित लाभ:
हाल के उदाहरण:
निष्कर्ष: जेम्स वेब अंतरिक्ष टेलीस्कोप की उन्नत विशेषताएँ और मिशन के लक्ष्य न केवल हमारे ब्रह्मांड की गहरी समझ को प्रकट करेंगे, बल्कि वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी में नए आयाम भी खोलेंगे। यह मानवता के लिए ब्रह्मांडीय खोज में एक महत्वपूर्ण कदम है।
See lessभारत के तीसरे चंद्रमा मिशन का मुख्य कार्य क्या है जिसे इसके पहले के मिशन में हासिल नहीं किया जा सका? जिन देशों ने इस कार्य को हासिल कर लिया है उनकी सूची दीजिए। प्रक्षेपित अंतरिक्ष यान की उपप्रणालियों को प्रस्तुत कीजिए और विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र के 'आभासी प्रक्षेपण नियंत्रण केन्द्र' की उस भूमिका का वर्णन कीजिए जिसने श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण में योगदान दिया है। (250 words) [UPSC 2023]
भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन का मुख्य कार्य और पूर्ववर्ती मिशनों की उपलब्धियां चंद्रयान-3 का मुख्य कार्य: भारत का तीसरा चंद्रमा मिशन, चंद्रयान-3, मुख्य रूप से मूल रूप से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करना है। इसके पहले के मिशन, चंद्रयान-2, में लैंडर के गिरने के कारण यहRead more
भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन का मुख्य कार्य और पूर्ववर्ती मिशनों की उपलब्धियां
चंद्रयान-3 का मुख्य कार्य:
भारत का तीसरा चंद्रमा मिशन, चंद्रयान-3, मुख्य रूप से मूल रूप से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करना है। इसके पहले के मिशन, चंद्रयान-2, में लैंडर के गिरने के कारण यह कार्य पूरा नहीं हो सका था। चंद्रयान-3 के साथ, ISRO ने सटीक लैंडिंग तकनीकों और प्रणालियों को सुनिश्चित किया है ताकि चंद्रमा पर नियंत्रित और सुरक्षित लैंडिंग की जा सके।
जिन देशों ने सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की है:
चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान की उपप्रणालियाँ:
आभासी प्रक्षेपण नियंत्रण केन्द्र (VLCC) की भूमिका:
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र में स्थित आभासी प्रक्षेपण नियंत्रण केन्द्र (VLCC) ने चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसकी मुख्य भूमिकाएँ थीं:
संक्षेप में, चंद्रयान-3 का मुख्य कार्य चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग को सफल बनाना है, जो चंद्रयान-2 में पूरा नहीं हो सका। अमेरिका, सोवियत संघ, और चीन ने इस कार्य को सफलतापूर्वक पूरा किया है। चंद्रयान-3 में उन्नत उपप्रणालियाँ हैं, और VLCC ने लॉन्च के दौरान रियल-टाइम निगरानी और समन्वय के माध्यम से सफल प्रक्षेपण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
See lessभारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023 भारत में एक सशक्त, नवाचारी और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष पारितंत्र के विकास के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कैसे कार्य कर सकती है?(150 शब्दों में उत्तर दें)
भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023 भारत में एक सशक्त, नवाचारी और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष पारितंत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण उत्प्रेरक बन सकती है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाना, निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना हैRead more
भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023 भारत में एक सशक्त, नवाचारी और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष पारितंत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण उत्प्रेरक बन सकती है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाना, निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना है।
पहले, यह नीति भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास में नवाचार को बढ़ावा देती है, जिससे नई प्रौद्योगिकियों और परियोजनाओं का विकास संभव होता है। इसके अलावा, यह नीति निजी क्षेत्र के लिए अवसर प्रदान करती है, जिससे कंपनियाँ अंतरिक्ष से संबंधित सेवाओं और उत्पादों में निवेश कर सकें और प्रतिस्पर्धी बन सकें।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, यह नीति भारत को वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में प्रमुख खिलाड़ी बनने के लिए सुसज्जित करती है, सहयोग और साझेदारी के माध्यम से अपने अंतरिक्ष मिशनों की प्रभावशीलता को बढ़ाती है।
इस प्रकार, भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023 भारत के अंतरिक्ष पारितंत्र को सशक्त और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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