भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2023 में आदित्य-एल1 को लॉन्ब करने के लिए पूर्ण रूप से तैयार है। आदित्य- एल1, आदित्य-1 से कैसे अलग है? साथ ही, आदित्य-एल1 के वैज्ञानिक उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
'ब्लड मून' (Blood Moon) एक खगोलीय घटना है, जिसे पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा की लालिमा के कारण कहा जाता है। जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है, तो वह सूर्य की सीधी किरणों को चंद्रमा तक पहुँचने से रोकती है और इसके वातावरण में बिखरी हुई रोशनी लाल रंग की छटा प्रदान करती है। इस घटना के दौरRead more
‘ब्लड मून’ (Blood Moon) एक खगोलीय घटना है, जिसे पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा की लालिमा के कारण कहा जाता है। जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है, तो वह सूर्य की सीधी किरणों को चंद्रमा तक पहुँचने से रोकती है और इसके वातावरण में बिखरी हुई रोशनी लाल रंग की छटा प्रदान करती है। इस घटना के दौरान, चंद्रमा का रंग लाल, नारंगी या भूरा हो जाता है, जिससे इसे ‘ब्लड मून’ कहा जाता है। यह घटना तब होती है जब पूर्ण चंद्रग्रहण होता है, जो औसतन हर 1.5 साल में होता है। चंद्रग्रहण के दौरान, चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरा या आंशिक रूप से ढका होता है, जिससे ‘ब्लड मून’ का प्रभाव देखा जाता है।
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आदित्य-एल1 और आदित्य-1 में मुख्य अंतर उनकी मिशन प्राथमिकताओं और प्रौद्योगिकी में है। आदित्य-1, 2008 में प्रस्तावित किया गया था, परंतु तकनीकी और समय संबंधी मुद्दों के कारण इसे लॉन्च नहीं किया जा सका। आदित्य-एल1, इसकी उन्नत संस्करण है, जिसे 2023 में लॉन्च करने के लिए तैयार किया गया है। आदित्य-एल1 का मRead more
आदित्य-एल1 और आदित्य-1 में मुख्य अंतर उनकी मिशन प्राथमिकताओं और प्रौद्योगिकी में है। आदित्य-1, 2008 में प्रस्तावित किया गया था, परंतु तकनीकी और समय संबंधी मुद्दों के कारण इसे लॉन्च नहीं किया जा सका। आदित्य-एल1, इसकी उन्नत संस्करण है, जिसे 2023 में लॉन्च करने के लिए तैयार किया गया है।
आदित्य-एल1 का मुख्य उद्देश्य सूर्य की विभिन्न विशेषताओं का अध्ययन करना है। इसके वैज्ञानिक उद्देश्यों में शामिल हैं:
आदित्य-एल1 इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सूर्य के एक विशेष कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
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