क्या कारण है कि हमारे देश में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अत्यधिक सक्रियता है? इस सक्रियता ने बायोफार्मा के क्षेत्र को कैसे लाभ पहुँचाया है? (250 words) [UPSC 2018]
परिचय मनुष्यों में भोजन का पाचन एक जटिल और बहुपरकारी प्रक्रिया है, जिसमें भोजन को छोटे-छोटे अणुओं में तोड़ा जाता है ताकि शरीर उसे ऊर्जा, वृद्धि और मरम्मत के लिए उपयोग कर सके। यह प्रक्रिया कई चरणों में होती है, जिसमें यांत्रिक और रासायनिक दोनों प्रकार की क्रियाएँ शामिल होती हैं। 1. खाद्य सेवन मुख (मौRead more
परिचय
मनुष्यों में भोजन का पाचन एक जटिल और बहुपरकारी प्रक्रिया है, जिसमें भोजन को छोटे-छोटे अणुओं में तोड़ा जाता है ताकि शरीर उसे ऊर्जा, वृद्धि और मरम्मत के लिए उपयोग कर सके। यह प्रक्रिया कई चरणों में होती है, जिसमें यांत्रिक और रासायनिक दोनों प्रकार की क्रियाएँ शामिल होती हैं।
1. खाद्य सेवन
- मुख (मौथ): पाचन की प्रक्रिया मुँह में शुरू होती है, जहाँ भोजन को चबाकर और लार के साथ मिलाया जाता है। लार में मौजूद सैलिवरी अमाइलेज़ कार्बोहाइड्रेट्स का प्रारंभिक पाचन करता है।
- उदाहरण: 2023 में अनुसंधान ने यह दिखाया है कि ठीक से चबाना और पर्याप्त लार उत्पादन पाचन की शुरुआत में महत्वपूर्ण होते हैं।
2. संचलन (Propulsion)
- निगलना (Swallowing): चबाया हुआ भोजन एक गोलस (Bolus) के रूप में निगला जाता है और इसको अस्थि (Esophagus) के माध्यम से पेट में पहुँचाया जाता है। यह प्रक्रिया पेरिस्टालसिस द्वारा संचालित होती है, जिसमें पाचन तंत्र की पेशियाँ लहराकार संकुचन करती हैं।
- उदाहरण: उन्नत एंडोस्कोपिक तकनीक ने निगलने की समस्याओं की पहचान और उपचार में सुधार किया है।
3. पेट में पाचन
- यांत्रिक और रासायनिक पाचन: पेट में भोजन गैस्ट्रिक जूस के साथ मिलाया जाता है, जिसमें हाईड्रोक्लोरिक एसिड और पेप्सिन शामिल होते हैं। ये प्रोटीन के पाचन में मदद करते हैं और भोजन को एक तरल पदार्थ, चाइम, में बदलते हैं।
- उदाहरण: गैस्ट्रिक एसिड इनहिबिटर्स जैसे प्रोटॉन पंप इनहिबिटर्स का अध्ययन पेट की बीमारियों जैसे कि एसिड रिफ्लक्स और पेप्टिक अल्सर के उपचार में किया जा रहा है।
4. छोटी आंत में पाचन और अवशोषण
- डुओडेनम: चाइम यहाँ बाइल (यकृत द्वारा निर्मित) और पैन्क्रियाटिक जूस (जिसमें लिपेज, एमाइलेज़, और प्रोटीज़ शामिल हैं) के साथ मिलाया जाता है, जिससे वसा, कार्बोहाइड्रेट्स, और प्रोटीन का आगे पाचन होता है।
- उदाहरण: पैन्क्रियाटिक इंसफिशेंसी जैसी स्थितियों के लिए नवीनतम पाचन एंजाइम सप्लीमेंट्स का उपयोग पाचन सुधारने में किया जा रहा है।
- जेजुनम और इलियम: यहाँ पर पोषक तत्व आंतरिक दीवारों (विली और माइक्रोविली) के माध्यम से रक्तप्रवाह में अवशोषित होते हैं।
- उदाहरण: 2023 में किए गए अध्ययन ने स्वस्थ आंत माइक्रोबायोटा के महत्व को उजागर किया है, जो पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ावा देता है।
5. बड़ी आंत का कार्य
- पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स का अवशोषण: बड़ी आंत चाइम से पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स को अवशोषित करती है, जिससे ठोस कचरा (फेकस) बनता है।
- उदाहरण: गट माइक्रोबायोम पर किए गए नवीनतम अनुसंधान ने बड़े आंत्र के स्वास्थ्य और पानी अवशोषण पर प्रभाव डाला है।
- फेकस का निर्माण और उत्सर्जन: बचे हुए अपशिष्ट को रेक्टम में संग्रहीत किया जाता है और गुदा के माध्यम से उत्सर्जित किया जाता है।
- उदाहरण: कोलोरैक्टल स्वास्थ्य में नवीनतम विकास ने आईबीएस और आईबीडी जैसी स्थितियों के उपचार में सुधार किया है।
6. सहायक अंग
- यकृत: बाइल का उत्पादन करता है, जो वसा के इमल्सिफिकेशन में मदद करता है।
- पैन्क्रियास: छोटी आंत में पाचन एंजाइमों का स्राव करता है और रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन का उत्पादन करता है।
- पित्ताशय: बाइल को संग्रहीत और संकेंद्रित करता है, जिसे छोटी आंत में छोड़ा जाता है।
- उदाहरण: यकृत और पैन्क्रियास संबंधी नवीनतम शोध ने यकृत की बीमारियों और मधुमेह प्रबंधन के उपचार में सुधार किया है।
निष्कर्ष
मनुष्यों में भोजन का पाचन एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई चरण शामिल होते हैं, जैसे सेवन, संचलन, यांत्रिक और रासायनिक पाचन, अवशोषण, और उत्सर्जन। इस प्रक्रिया को समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल ऊर्जा और पोषण की आपूर्ति करती है, बल्कि पाचन संबंधी विकारों का उपचार और प्रबंधन भी करती है। हाल के अनुसंधान और तकनीकी विकास ने पाचन प्रक्रिया के समझने और सुधारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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भारत में जैव प्रौद्योगिकी की सक्रियता और बायोफार्मा क्षेत्र पर इसके प्रभाव
1. जैव प्रौद्योगिकी में सक्रियता के कारण:
2. बायोफार्मा क्षेत्र पर प्रभाव:
3. निष्कर्ष: भारत में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अत्यधिक सक्रियता की कई वजहें हैं, जैसे कि विकसित मानव संसाधन, सरकारी समर्थन, और आर्थिक अवसर। इस सक्रियता ने बायोफार्मा क्षेत्र को नई दवाओं के विकास, नैदानिक अनुसंधान, सस्ती दवाओं के निर्माण, और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मदद की है। यह विकास भारतीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली और वैश्विक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।
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