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प्राकृतिक पादप वृद्धि नियामकों की विस्तार से चर्चा कीजिए।
परिचय: प्राकृतिक पादप वृद्धि नियामक, जिन्हें पादप हार्मोन भी कहा जाता है, वे रासायनिक यौगिक हैं जो पौधों की वृद्धि, विकास और पर्यावरणीय उत्तेजनाओं के प्रति प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। ये हार्मोन पादपों के विभिन्न शारीरिक और जैव रासायनिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्राकृतिRead more
परिचय: प्राकृतिक पादप वृद्धि नियामक, जिन्हें पादप हार्मोन भी कहा जाता है, वे रासायनिक यौगिक हैं जो पौधों की वृद्धि, विकास और पर्यावरणीय उत्तेजनाओं के प्रति प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। ये हार्मोन पादपों के विभिन्न शारीरिक और जैव रासायनिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्राकृतिक पादप वृद्धि नियामकों के प्रमुख प्रकार:
अनुप्रयोग और लाभ:
निष्कर्ष: प्राकृतिक पादप वृद्धि नियामक जैसे ऑक्सिन्स, गिब्बेरेलिन्स, साइटोकिनिन्स, एब्सिसिक एसिड, और एथीलीन पादपों की वृद्धि और विकास को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण होते हैं। इनके उपयोग से कृषि, हॉटिकल्चर और पारिस्थितिकीय प्रबंधन में सुधार हुआ है, जो पर्यावरणीय स्थिरता और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देता है।
See less70S एवं 80S राइबोजोम्स में 'S' क्या दर्शाता है?
परिचय: 70S और 80S राइबोजोम्स में 'S' का अर्थ स्वेडबर्ग इकाई (Svedberg unit) से है, जो सेडिमेंटेशन दर को मापने का एक मानक है। यह इकाई राइबोजोम्स के आकार, रूप और घनत्व को दर्शाती है। स्वेडबर्ग इकाई: स्वेडबर्ग इकाई (S) से यह समझा जाता है कि कण सेंट्रीफ्यूगेशन के दौरान कितनी तेजी से नीचे की ओर बैठते हैंRead more
परिचय: 70S और 80S राइबोजोम्स में ‘S’ का अर्थ स्वेडबर्ग इकाई (Svedberg unit) से है, जो सेडिमेंटेशन दर को मापने का एक मानक है। यह इकाई राइबोजोम्स के आकार, रूप और घनत्व को दर्शाती है।
स्वेडबर्ग इकाई:
70S राइबोजोम्स:
80S राइबोजोम्स:
निष्कर्ष: 70S और 80S राइबोजोम्स में ‘S’ स्वेडबर्ग इकाई को दर्शाता है, जो राइबोजोम्स की सेडिमेंटेशन दर को मापने का मानक है। यह इकाई राइबोजोम्स के आकार और कार्यक्षमता को समझने में महत्वपूर्ण है, विशेषकर प्रोकैरियोटिक और यूकेरियोटिक कोशिकाओं में।
See lessकिण्वन को परिभाषित कीजिए।
किण्वन को परिभाषित कीजिए परिभाषा किण्वन एक जैविक प्रक्रिया है जिसमें सूक्ष्मजीव (जैसे बैक्टीरिया, यीस्ट या फफूंद) की उपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट्स (जैसे शर्करा) को बिना ऑक्सीजन (एरोबिक) के पराबर्तन की प्रक्रिया द्वारा परिवर्तित किया जाता है। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप विभिन्न रसायनिक उत्पाद उत्पन्Read more
किण्वन को परिभाषित कीजिए
परिभाषा
किण्वन एक जैविक प्रक्रिया है जिसमें सूक्ष्मजीव (जैसे बैक्टीरिया, यीस्ट या फफूंद) की उपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट्स (जैसे शर्करा) को बिना ऑक्सीजन (एरोबिक) के पराबर्तन की प्रक्रिया द्वारा परिवर्तित किया जाता है। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप विभिन्न रसायनिक उत्पाद उत्पन्न होते हैं, जैसे एथेनॉल (शराब), लैक्टिक एसिड, या कार्बन डाइऑक्साइड।
किण्वन की प्रक्रिया
किण्वन के प्रकार
1. एथेनॉल किण्वन
2. लैक्टिक एसिड किण्वन
3. एसीटिक एसिड किण्वन
हाल के उदाहरण
1. खाद्य और पेय उद्योग
2. ईंधन उत्पादन
3. दवा उद्योग
निष्कर्ष
किण्वन एक महत्वपूर्ण जैविक प्रक्रिया है जो शर्करा को विभिन्न उत्पादों में परिवर्तित करती है, और यह खाद्य, पेय, दवा, और ऊर्जा उद्योगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस प्रक्रिया के समझने से न केवल पारंपरिक खाद्य और पेय पदार्थों के निर्माण में मदद मिलती है, बल्कि यह आधुनिक औद्योगिक और चिकित्सा अनुप्रयोगों में भी महत्वपूर्ण है।
See lessअधिकांश जीवाणु कोशिका भित्तियाँ किस पदार्थ की होती हैं?
अधिकांश जीवाणु कोशिका भित्तियाँ किस पदार्थ की होती हैं? जीवाणु कोशिका भित्तियाँ मुख्य रूप से पेप्टिडोग्लाइкан (या म्यूरिन) से बनी होती हैं। पेप्टिडोग्लाइкан एक संरचनात्मक पोलिसैकेराइड है जिसमें निम्नलिखित तत्व शामिल हैं: ग्लाइकोपेप्टाइड चेन: ये लंबे पॉलीसैकेराइड अनुक्रम होते हैं जो जीवाणु कोशिका भितRead more
अधिकांश जीवाणु कोशिका भित्तियाँ किस पदार्थ की होती हैं?
जीवाणु कोशिका भित्तियाँ मुख्य रूप से पेप्टिडोग्लाइкан (या म्यूरिन) से बनी होती हैं।
पेप्टिडोग्लाइкан एक संरचनात्मक पोलिसैकेराइड है जिसमें निम्नलिखित तत्व शामिल हैं:
महत्वपूर्ण बिंदु:
निष्कर्ष:
जीवाणु कोशिका भित्तियाँ मुख्यतः पेप्टिडोग्लाइкан से बनी होती हैं, जो उनकी संरचना और स्थिरता के लिए जिम्मेदार है।
See lessमॉर्फिन को कभी-कभी अहिफेनी (ओपिएट्स) क्यों कहा जाता है?
मॉर्फिन को अहिफेनी (ओपिएट्स) क्यों कहा जाता है? परिचय मॉर्फिन एक शक्तिशाली एनेस्थेटिक दवा है जिसका उपयोग दर्द निवारण के लिए किया जाता है। इसे कभी-कभी "अहिफेनी" या "ओपिएट्स" के रूप में संदर्भित किया जाता है। यह महत्वपूर्ण है कि हम समझें कि क्यों मॉर्फिन को इस श्रेणी में रखा जाता है। ओपिएट्स की परिभाषRead more
मॉर्फिन को अहिफेनी (ओपिएट्स) क्यों कहा जाता है?
परिचय मॉर्फिन एक शक्तिशाली एनेस्थेटिक दवा है जिसका उपयोग दर्द निवारण के लिए किया जाता है। इसे कभी-कभी “अहिफेनी” या “ओपिएट्स” के रूप में संदर्भित किया जाता है। यह महत्वपूर्ण है कि हम समझें कि क्यों मॉर्फिन को इस श्रेणी में रखा जाता है।
ओपिएट्स की परिभाषा
1. ओपिएट्स क्या होते हैं?
2. मॉर्फिन का स्रोत
रासायनिक गुण और प्रभाव
1. रासायनिक संरचना
2. शारीरिक प्रभाव
हाल के उदाहरण और विकास
1. ओपिओइड संकट
2. चिकित्सा उपयोग और विकल्प
3. अनुसंधान और नवाचार
निष्कर्ष मॉर्फिन को अहिफेनी (ओपिएट्स) कहा जाता है क्योंकि यह अफीम के पौधे से निकला एक प्राकृतिक यौगिक है और ओपिएट्स के सामान्य गुणों को साझा करता है, जिसमें इसकी प्रभावशीलता और व्यसन की संभावना शामिल है। मॉर्फिन और अन्य ओपिएट्स के उपयोग से जुड़ी चुनौतियाँ सुरक्षित उपयोग और निरंतर अनुसंधान की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं।
See lessपौधे के 'भ्रूणपोष (एण्डोस्पर्म)' पर एक टिप्पणी लिखिए।
भ्रूणपोष (एण्डोस्पर्म) पर टिप्पणी परिचय भ्रूणपोष (एण्डोस्पर्म) पौधों के बीजों में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण ऊतक है, जो बीज के अंकुरण और भ्रूण के विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। यह ऊतक बीज के भीतर भ्रूण और बीज के अन्य भागों के बीच पोषण की भूमिका निभाता है। भ्रूणपोष का निर्माण भ्रूणपोRead more
भ्रूणपोष (एण्डोस्पर्म) पर टिप्पणी
परिचय भ्रूणपोष (एण्डोस्पर्म) पौधों के बीजों में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण ऊतक है, जो बीज के अंकुरण और भ्रूण के विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। यह ऊतक बीज के भीतर भ्रूण और बीज के अन्य भागों के बीच पोषण की भूमिका निभाता है।
भ्रूणपोष का निर्माण भ्रूणपोष का निर्माण ‘डबल फर्टिलाइजेशन’ (डबल निषेचन) की प्रक्रिया के माध्यम से होता है, जिसमें एक शुक्राणु अंडाणु के साथ मिलकर जाईगोट (zygote) बनाता है और दूसरा शुक्राणु दो पोलर नाभिकों के साथ मिलकर त्रैविक भ्रूणपोष (triploid endosperm) का निर्माण करता है। भ्रूणपोष के निर्माण की प्रक्रिया के आधार पर इसे तीन मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
भ्रूणपोष के कार्य
हाल की उदाहरण और अनुप्रयोग
निष्कर्ष भ्रूणपोष बीज विज्ञान का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो भ्रूण के विकास और अंकुरण के लिए आवश्यक पोषक तत्वों का संचित करता है। इसके पोषण संबंधी गुण और बीज विकास में इसकी भूमिका इसे पौधों और कृषि अनुसंधान में महत्वपूर्ण बनाती है। हाल के तकनीकी और जैविक परिवर्तनों से भ्रूणपोष की क्षमता और उपयोगिता को बेहतर बनाया जा रहा है, जिससे वैश्विक पोषण और फसल उत्पादन में सुधार हो रहा है।
See lessजैव आवर्धन क्या है?
जैव आवर्धन: एक अवलोकन परिभाषा और तंत्र जैव आवर्धन (Biomagnification) एक प्रक्रिया है जिसमें विषैले पदार्थों की सांद्रता खाद्य श्रृंखला के ऊपरी स्तरों पर बढ़ जाती है। यह तब होता है जब ये पदार्थ जीवों में आसानी से विघटित या उत्सर्जित नहीं होते, जिससे इनकी सांद्रता उच्च तात्त्विक स्तरों पर बढ़ जाती है।Read more
जैव आवर्धन: एक अवलोकन
परिभाषा और तंत्र जैव आवर्धन (Biomagnification) एक प्रक्रिया है जिसमें विषैले पदार्थों की सांद्रता खाद्य श्रृंखला के ऊपरी स्तरों पर बढ़ जाती है। यह तब होता है जब ये पदार्थ जीवों में आसानी से विघटित या उत्सर्जित नहीं होते, जिससे इनकी सांद्रता उच्च तात्त्विक स्तरों पर बढ़ जाती है।
कैसे होता है:
हाल के उदाहरण और प्रभाव
परिणाम और समाधान
पारिस्थितिकी पर प्रभाव:
मानव स्वास्थ्य जोखिम:
निवारण उपाय:
निष्कर्ष जैव आवर्धन एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय मुद्दा है जिसका व्यापक प्रभाव पारिस्थितिक तंत्र और मानव स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसे समझना और इससे निपटना पर्यावरणीय नीति, प्रदूषण नियंत्रण, और जन जागरूकता के समन्वित प्रयास की आवश्यकता है।
See lessउन विभिन्न तरीकों पर चर्चा कीजिए जिनसे सूक्ष्मजीवी इस समय हो रही ईंधन की कमी से पार पाने में मदद कर सकते हैं। (150 words)[UPSC 2023]
परिचय सूक्ष्मजीवी वर्तमान में हो रही ईंधन की कमी से निपटने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ये जीव नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के रूप में जैव-ईंधन और बायोगैस उत्पादन में सहायक हैं, जो पारंपरिक जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम कर सकते हैं। जैव-ईंधन का उत्पादन शैवाल और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीवों काRead more
परिचय
सूक्ष्मजीवी वर्तमान में हो रही ईंधन की कमी से निपटने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ये जीव नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के रूप में जैव-ईंधन और बायोगैस उत्पादन में सहायक हैं, जो पारंपरिक जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम कर सकते हैं।
जैव-ईंधन का उत्पादन
शैवाल और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीवों का उपयोग बायोडीजल और बायोएथेनॉल उत्पादन के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, शैवाल में उच्च लिपिड सामग्री होती है, जो इसे बायोडीजल के लिए उपयुक्त बनाती है। भारत में CSIR-IICT जैसे संस्थानों द्वारा शैवाल आधारित जैव-ईंधन पर शोध हो रहा है, जो भविष्य में ईंधन संकट से निपटने में मदद कर सकता है।
बायोगैस उत्पादन
अनारोबिक बैक्टीरिया कार्बनिक कचरे को विघटित करके बायोगैस बनाते हैं। भारत में राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंधन कार्यक्रम (NBMMP) के तहत कृषि अपशिष्ट और गोबर से बायोगैस का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे ईंधन की कमी कम करने में मदद मिल रही है।
सूक्ष्मजीवी ईंधन कोशिकाएँ (MFCs)
सूक्ष्मजीवी ईंधन कोशिकाओं का उपयोग करके सूक्ष्मजीवों द्वारा कार्बनिक पदार्थों को विद्युत में परिवर्तित किया जाता है। यह तकनीक अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों में बिजली उत्पादन के लिए शोधाधीन है।
निष्कर्ष
See lessसूक्ष्मजीवों के माध्यम से जैव-ईंधन, बायोगैस और सूक्ष्मजीवी ईंधन कोशिकाओं का उत्पादन स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा प्रदान करता है, जो ईंधन की कमी से निपटने का एक स्थायी समाधान हो सकता है।
DOTS का पूर्ण रूप क्या है?
DOTS का पूर्ण रूप क्या है? **1. DOTS की परिभाषा: DOTS: DOTS का पूर्ण रूप है "डायरेक्टली ऑब्जर्वड ट्रीटमेंट, शॉर्ट-कॉर्स"। यह एक वैश्विक क्षय रोग (TB) नियंत्रण रणनीति है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा विकसित किया गया है, जिसका उद्देश्य क्षय रोग का प्रभावी ढंग से प्रबंधन और इलाज करना है। **2.Read more
DOTS का पूर्ण रूप क्या है?
**1. DOTS की परिभाषा:
**2. DOTS के घटक:
**3. महत्व और कार्यान्वयन:
**4. हाल के उदाहरण और अनुप्रयोग:
**5. निष्कर्ष:
मनुष्य में भोजन के पाचन की क्रियाविधि का वर्णन कीजिए।
परिचय मनुष्यों में भोजन का पाचन एक जटिल और बहुपरकारी प्रक्रिया है, जिसमें भोजन को छोटे-छोटे अणुओं में तोड़ा जाता है ताकि शरीर उसे ऊर्जा, वृद्धि और मरम्मत के लिए उपयोग कर सके। यह प्रक्रिया कई चरणों में होती है, जिसमें यांत्रिक और रासायनिक दोनों प्रकार की क्रियाएँ शामिल होती हैं। 1. खाद्य सेवन मुख (मौRead more
परिचय
मनुष्यों में भोजन का पाचन एक जटिल और बहुपरकारी प्रक्रिया है, जिसमें भोजन को छोटे-छोटे अणुओं में तोड़ा जाता है ताकि शरीर उसे ऊर्जा, वृद्धि और मरम्मत के लिए उपयोग कर सके। यह प्रक्रिया कई चरणों में होती है, जिसमें यांत्रिक और रासायनिक दोनों प्रकार की क्रियाएँ शामिल होती हैं।
1. खाद्य सेवन
2. संचलन (Propulsion)
3. पेट में पाचन
4. छोटी आंत में पाचन और अवशोषण
5. बड़ी आंत का कार्य
6. सहायक अंग
निष्कर्ष
मनुष्यों में भोजन का पाचन एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई चरण शामिल होते हैं, जैसे सेवन, संचलन, यांत्रिक और रासायनिक पाचन, अवशोषण, और उत्सर्जन। इस प्रक्रिया को समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल ऊर्जा और पोषण की आपूर्ति करती है, बल्कि पाचन संबंधी विकारों का उपचार और प्रबंधन भी करती है। हाल के अनुसंधान और तकनीकी विकास ने पाचन प्रक्रिया के समझने और सुधारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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