प्रश्न का उत्तर अधिकतम 50 शब्दों/5 से 6 पंक्तियाँ में दीजिए। यह प्रश्न 05 अंक का है। [MPPSC 2023] पीयूष ग्रन्थि पर टिप्पणी कीजिए।
परिचय: प्राकृतिक पादप वृद्धि नियामक, जिन्हें पादप हार्मोन भी कहा जाता है, वे रासायनिक यौगिक हैं जो पौधों की वृद्धि, विकास और पर्यावरणीय उत्तेजनाओं के प्रति प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। ये हार्मोन पादपों के विभिन्न शारीरिक और जैव रासायनिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्राकृतिRead more
परिचय: प्राकृतिक पादप वृद्धि नियामक, जिन्हें पादप हार्मोन भी कहा जाता है, वे रासायनिक यौगिक हैं जो पौधों की वृद्धि, विकास और पर्यावरणीय उत्तेजनाओं के प्रति प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। ये हार्मोन पादपों के विभिन्न शारीरिक और जैव रासायनिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्राकृतिक पादप वृद्धि नियामकों के प्रमुख प्रकार:
- ऑक्सिन्स (Auxins):
- विवरण: ऑक्सिन्स पादपों की वृद्धि और विकास को नियंत्रित करते हैं, विशेषकर कोशिका लंबाई में वृद्धि और विभाजन को प्रेरित करते हैं। ये फोटोट्रॉपिज़्म (प्रकाश की ओर वृद्धि) और ग्रेविट्रॉपिज़्म (गुरुत्वाकर्षण के प्रति प्रतिक्रिया) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- उपयोग: ऑक्सिन्स का उपयोग कटिंग्स में जड़ों के विकास को प्रोत्साहित करने और फलों के विकास में सुधार के लिए किया जाता है।
- हालिया उदाहरण: IAA (इंडोल-3-एसीटिक एसिड), एक प्राकृतिक ऑक्सिन, का उपयोग पौधों के विकास को बढ़ाने और उन्नत कृषि प्रौद्योगिकियों में किया जा रहा है।
- गिब्बेरेलिन्स (Gibberellins):
- विवरण: गिब्बेरेलिन्स कोशिका विभाजन और वृद्धि को प्रोत्साहित करते हैं, बीज अंकुरण और फूल आने में योगदान देते हैं। ये गर्मि और फूलने के चरणों को नियंत्रित करते हैं।
- उपयोग: गिब्बेरेलिन्स का उपयोग फलों की मात्रा बढ़ाने और पौधों की वृद्धि को सुधारने के लिए किया जाता है।
- हालिया उदाहरण: गिब्बेरैलिक एसिड (GA3) का उपयोग अंगूर और स्ट्रॉबेरी जैसे फलों की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ाने में किया जा रहा है।
- साइटोकिनिन्स (Cytokinins):
- विवरण: साइटोकिनिन्स कोशिका विभाजन और विभेदन को प्रोत्साहित करते हैं, शूट और जड़ों के विकास में योगदान करते हैं। ये पत्तियों की उम्र बढ़ने को भी विलंबित करते हैं।
- उपयोग: साइटोकिनिन्स का उपयोग टिशू कल्चर में शॉट निर्माण और पौधों के पुनरुत्थान को सुधारने के लिए किया जाता है।
- हालिया उदाहरण: ज़ीटिन का उपयोग पौधों के स्वास्थ्य और उत्पादन को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।
- एब्सिसिक एसिड (Abscisic Acid, ABA):
- विवरण: ABA मुख्य रूप से तनाव प्रतिक्रियाओं और पादप जल संतुलन को नियंत्रित करता है। यह बीजों की निष्क्रियता और स्टोमेटल बंद करने में महत्वपूर्ण होता है।
- उपयोग: ABA का उपयोग सूखे की स्थिति में फसलों की सहनशीलता बढ़ाने के लिए किया जाता है।
- हालिया उदाहरण: ABA का उपयोग गेहूं और मक्का जैसी फसलों की सूखा सहनशीलता को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।
- एथाइलीन (Ethylene):
- विवरण: एथाइलीन एक गैसीय हार्मोन है जो फलों के पकने, फूलने, और पत्तियों के गिरने को नियंत्रित करता है। यह तनाव और उम्र बढ़ने की प्रतिक्रिया में भी भूमिका निभाता है।
- उपयोग: एथीलीन फलों की शेल्फ लाइफ को नियंत्रित करने और फूलने को प्रबंधित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
- हालिया उदाहरण: एथीलीन इनहिबिटर्स का उपयोग केले और टमाटर जैसे फलों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने और पकने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए किया जा रहा है।
अनुप्रयोग और लाभ:
- कृषि: ये हार्मोन फसल की उपज बढ़ाने, फलों की गुणवत्ता सुधारने, और पौधों की वृद्धि को ऑप्टिमाइज़ करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- पारिस्थितिकी: इनका उपयोग तनाव-प्रतिक्रियाशील पौधों के विकास में सुधार और पारिस्थितिकीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।
- वानस्पतिक विज्ञान: ये हार्मोन पौधों की कल्चर और पुनरुत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
निष्कर्ष: प्राकृतिक पादप वृद्धि नियामक जैसे ऑक्सिन्स, गिब्बेरेलिन्स, साइटोकिनिन्स, एब्सिसिक एसिड, और एथीलीन पादपों की वृद्धि और विकास को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण होते हैं। इनके उपयोग से कृषि, हॉटिकल्चर और पारिस्थितिकीय प्रबंधन में सुधार हुआ है, जो पर्यावरणीय स्थिरता और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देता है।
See less
पीयूष ग्रन्थि पर टिप्पणी पीयूष ग्रंथि, जिसे "मास्टर ग्रंथि" भी कहा जाता है, मानव शरीर की अंतःस्रावी प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह मस्तिष्क के आधार पर स्थित होती है और इसके दो मुख्य भाग होते हैं: पूर्वकालीन पीयूष और पश्चकालीन पीयूष। अनुप्रस्थी और स्थान पीयूष ग्रंथि मस्तिष्क के निचले भागRead more
पीयूष ग्रन्थि पर टिप्पणी
पीयूष ग्रंथि, जिसे “मास्टर ग्रंथि” भी कहा जाता है, मानव शरीर की अंतःस्रावी प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह मस्तिष्क के आधार पर स्थित होती है और इसके दो मुख्य भाग होते हैं: पूर्वकालीन पीयूष और पश्चकालीन पीयूष।
अनुप्रस्थी और स्थान
कार्य
हाल के उदाहरण और अध्ययन
निष्कर्ष
पीयूष ग्रंथि शरीर के समुचित संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है। इसके विभिन्न हार्मोन आवश्यक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं, और चिकित्सा अनुसंधान में हाल के विकास इसके कार्यों और विकारों को समझने में मदद कर रहे हैं। इस ग्रंथि के महत्व को पहचानना स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिए आवश्यक है, जिससे यह UPSC मुख्य परीक्षा के लिए एक प्रासंगिक विषय बनता है।
See less