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कोशिका चक्र पर टिप्पणी लिखिए।
< कोशिका चक्र: एक टिप्पणी कोशिका चक्र (Cell Cycle) वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से कोशिकाएँ बढ़ती हैं, अपनी डीएनए की प्रतिकृति करती हैं, और विभाजित होती हैं ताकि दो नई कोशिकाएँ उत्पन्न हो सकें। यह जीवन के लिए आवश्यक प्रक्रिया है, जो शरीर की वृद्धि, विकास, और मरम्मत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैRead more
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कोशिका चक्र: एक टिप्पणी
कोशिका चक्र (Cell Cycle) वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से कोशिकाएँ बढ़ती हैं, अपनी डीएनए की प्रतिकृति करती हैं, और विभाजित होती हैं ताकि दो नई कोशिकाएँ उत्पन्न हो सकें। यह जीवन के लिए आवश्यक प्रक्रिया है, जो शरीर की वृद्धि, विकास, और मरम्मत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कोशिका चक्र के विभिन्न चरण और उसकी नियंत्रण प्रणाली हमें स्वास्थ्य और रोगों के अध्ययन में सहायता करती है।
1. कोशिका चक्र के चरण
कोशिका चक्र को दो मुख्य भागों में बांटा जा सकता है: इंटरफेज और माइटोटिक चरण।
2. कोशिका चक्र का नियंत्रण
कोशिका चक्र को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न चेकपॉइंट्स और प्रोटीन होते हैं:
3. कोशिका चक्र में विकृति और बीमारियाँ
4. हाल की अनुसंधान और विकास
निष्कर्ष
कोशिका चक्र कोशिकाओं के वृद्धि, डीएनए प्रतिकृति, और विभाजन की महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इसका नियंत्रण स्वास्थ्य बनाए रखने और बीमारियों को समझने में महत्वपूर्ण है। हाल के अनुसंधान और चिकित्सा विकास कोशिका चक्र के विश्लेषण और उपचार में सुधार कर रहे हैं, जिससे विभिन्न स्थितियों और विकारों के प्रबंधन में मदद मिल रही है।
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पीयूष ग्रन्थि पर टिप्पणी पीयूष ग्रंथि, जिसे "मास्टर ग्रंथि" भी कहा जाता है, मानव शरीर की अंतःस्रावी प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह मस्तिष्क के आधार पर स्थित होती है और इसके दो मुख्य भाग होते हैं: पूर्वकालीन पीयूष और पश्चकालीन पीयूष। अनुप्रस्थी और स्थान पीयूष ग्रंथि मस्तिष्क के निचले भागRead more
पीयूष ग्रन्थि पर टिप्पणी
पीयूष ग्रंथि, जिसे “मास्टर ग्रंथि” भी कहा जाता है, मानव शरीर की अंतःस्रावी प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह मस्तिष्क के आधार पर स्थित होती है और इसके दो मुख्य भाग होते हैं: पूर्वकालीन पीयूष और पश्चकालीन पीयूष।
अनुप्रस्थी और स्थान
कार्य
हाल के उदाहरण और अध्ययन
निष्कर्ष
पीयूष ग्रंथि शरीर के समुचित संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है। इसके विभिन्न हार्मोन आवश्यक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं, और चिकित्सा अनुसंधान में हाल के विकास इसके कार्यों और विकारों को समझने में मदद कर रहे हैं। इस ग्रंथि के महत्व को पहचानना स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिए आवश्यक है, जिससे यह UPSC मुख्य परीक्षा के लिए एक प्रासंगिक विषय बनता है।
See lessकोशिका सिद्धान्त किसके द्वारा प्रतिपादित किया गया था?
कोशिका सिद्धान्त का प्रतिपादन कोशिका सिद्धान्त, जैविकी की एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जिसे 19वीं शताब्दी के मध्य में तीन प्रमुख वैज्ञानिकों द्वारा प्रतिपादित किया गया: मैथियास श्लाइडन (1838): एक जर्मन वनस्पति विज्ञानी, श्लाइडन ने प्रस्तावित किया कि सभी पौधों की ऊतकों की संरचना कोशिकाओं से होती है और कRead more
कोशिका सिद्धान्त का प्रतिपादन
कोशिका सिद्धान्त, जैविकी की एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जिसे 19वीं शताब्दी के मध्य में तीन प्रमुख वैज्ञानिकों द्वारा प्रतिपादित किया गया:
आधुनिक उदाहरण:
हाल के वर्षों में कोशिका सिद्धान्त के सिद्धांतों की पुष्टि और विस्तार को कई आधुनिक उदाहरणों के माध्यम से देखा जा सकता है:
इन सभी उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि कोशिका सिद्धान्त की मूल बातें आज भी जैविक विज्ञान और चिकित्सा अनुसंधान में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
See lessजीवद्रव्य कुंचन से आप क्या समझते हैं?
जीवद्रव्य कुंचन (Plasmolysis) एक वनस्पति कोशिका की स्थिति को दर्शाता है, जिसमें कोशिका का जीवनद्रव्य (cytoplasm) और कोशिका का आंतरिक द्रव (vacuole) सिकुड़ जाते हैं। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब कोशिका को एक उच्च सांद्रता वाले विलायक (hypertonic solution) में रखा जाता है, जिसमें विलायक में घुली हुRead more
जीवद्रव्य कुंचन (Plasmolysis) एक वनस्पति कोशिका की स्थिति को दर्शाता है, जिसमें कोशिका का जीवनद्रव्य (cytoplasm) और कोशिका का आंतरिक द्रव (vacuole) सिकुड़ जाते हैं। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब कोशिका को एक उच्च सांद्रता वाले विलायक (hypertonic solution) में रखा जाता है, जिसमें विलायक में घुली हुई वस्तुएँ कोशिका के आंतरिक द्रव की तुलना में अधिक होती हैं।
जीवद्रव्य कुंचन के प्रमुख बिंदु:
यह प्रक्रिया पौधों के कोशिकाओं की विभिन्न परिस्थितियों में जल संतुलन की समझ को स्पष्ट करती है और कोशिका की समग्र स्थिति को प्रभावित कर सकती है।
See lessएक प्ररूपी विषाणु के दो प्रमुख घटक क्या हैं?
प्ररूपी विषाणु (प्रोवायरस) के दो प्रमुख घटक हैं: विषाणु आरएनए या डीएनए: प्ररूपी विषाणु का आनुवांशिक पदार्थ होता है, जो या तो RNA (राइबोन्यूक्लिक एसिड) या DNA (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) हो सकता है। यह आनुवांशिक सामग्री विषाणु के गुणसूत्रों को संलग्न करती है और विषाणु के जीवन चक्र को संचालित करती हैRead more
प्ररूपी विषाणु (प्रोवायरस) के दो प्रमुख घटक हैं:
ये दोनों घटक मिलकर विषाणु के अस्तित्व और संचार के लिए जिम्मेदार होते हैं।
See lessजैव प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग जिन क्षेत्रों में हो रहे हैं. उनकी चर्चा कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
जैव प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग 1. चिकित्सा उपचार और दवाइयाँ: जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग नवीन दवाओं और टीकों के विकास में हो रहा है। उदाहरण के लिए, COVID-19 वैक्सीन का विकास जैव प्रौद्योगिकी द्वारा हुआ। जीन थेरेपी: अनुवांशिक बीमारियों के इलाज के लिए प्रयोगात्मक उपचार विधियाँ विकसित की जा रही हैं, जैसेRead more
जैव प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग
1. चिकित्सा
2. कृषि
3. पर्यावरण
ये अनुप्रयोग जैव प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी रूप से क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं और भविष्य के विकास के लिए संभावनाएँ प्रदान कर रहे हैं।
See lessल्यूकीमिया, थैलासीमिया, क्षतिग्रस्त कॉर्निया व गंभीर दाह सहित सुविस्तृत चिकित्सीय दशाओं में उपचार करने के लिए भारत में स्टैम कोशिका चिकित्सा लोकप्रिय होती जा रही है। संक्षेप में वर्णन कीजिए कि स्टैम कोशिका उपचार क्या होता है और अन्य उपचारों की तुलना में उसके क्या लाभ हैं ? (150 words) [UPSC 2017]
स्टैम कोशिका चिकित्सा: संक्षेप में विवरण **1. स्टैम कोशिका उपचार क्या है? परिभाषा: स्टैम कोशिका उपचार में स्टैम कोशिकाओं का उपयोग विभिन्न बीमारियों और शारीरिक क्षति के इलाज के लिए किया जाता है। स्टैम कोशिकाएँ उन कोशिकाओं का एक प्रकार होती हैं जिनकी विशेषता है कि वे विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में परिRead more
स्टैम कोशिका चिकित्सा: संक्षेप में विवरण
**1. स्टैम कोशिका उपचार क्या है?
**2. अन्य उपचारों की तुलना में लाभ:
**1. पुनर्योजी क्षमता:
**2. अस्वीकृति का कम जोखिम:
**3. आनुवंशिक विकारों का इलाज:
**4. नए उपचार विकल्प:
निष्कर्ष: स्टैम कोशिका चिकित्सा पारंपरिक उपचारों की तुलना में पुनर्योजी क्षमताओं, अस्वीकृति के कम जोखिम, आनुवंशिक सुधार की संभावनाओं और नए उपचार विकल्पों की पेशकश करती है।
See lessक्या कारण है कि हमारे देश में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अत्यधिक सक्रियता है? इस सक्रियता ने बायोफार्मा के क्षेत्र को कैसे लाभ पहुँचाया है? (250 words) [UPSC 2018]
भारत में जैव प्रौद्योगिकी की सक्रियता और बायोफार्मा क्षेत्र पर इसके प्रभाव 1. जैव प्रौद्योगिकी में सक्रियता के कारण: विकसित मानव संसाधन: भारत में उच्च गुणवत्ता वाले वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग के पेशेवर उपलब्ध हैं, जिन्होंने जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सशक्त अनुसंधान और विकास को बढ़ावा दिया है। सरकRead more
भारत में जैव प्रौद्योगिकी की सक्रियता और बायोफार्मा क्षेत्र पर इसके प्रभाव
1. जैव प्रौद्योगिकी में सक्रियता के कारण:
2. बायोफार्मा क्षेत्र पर प्रभाव:
3. निष्कर्ष: भारत में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अत्यधिक सक्रियता की कई वजहें हैं, जैसे कि विकसित मानव संसाधन, सरकारी समर्थन, और आर्थिक अवसर। इस सक्रियता ने बायोफार्मा क्षेत्र को नई दवाओं के विकास, नैदानिक अनुसंधान, सस्ती दवाओं के निर्माण, और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मदद की है। यह विकास भारतीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली और वैश्विक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।
See lessकिसानों के जीवन मानकों को उन्नत करने के लिए जैव प्रौद्योगिकी किस प्रकार सहायता कर सकती है? (250 words) [UPSC 2019]
जैव प्रौद्योगिकी द्वारा किसानों के जीवन मानकों में सुधार 1. उन्नत फसलों की किस्में: उद्देश्य: जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से उन्नत फसल किस्मों का विकास कर उत्पादकता और पोषण में सुधार किया जा सकता है। हालिया उदाहरण: बीटी कपास ने कीट-प्रतिरोधी किस्में प्रदान की हैं, जिससे उत्पादन में वृद्धि और कीटनाशकोRead more
जैव प्रौद्योगिकी द्वारा किसानों के जीवन मानकों में सुधार
1. उन्नत फसलों की किस्में:
2. पारिस्थितिकीय तनाव से निपटने में मदद:
3. आधुनिक कृषि तकनीकों का एकीकरण:
4. पोषण संवर्धन:
5. फसल संरक्षण और बीमारियों का नियंत्रण:
6. आर्थिक लाभ और लाभप्रदता में वृद्धि:
निष्कर्ष: जैव प्रौद्योगिकी कृषि में फसल उत्पादन, पारिस्थितिकीय तनाव, पोषण, फसल संरक्षण, और आर्थिक लाभ में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इसके माध्यम से किसानों के जीवन मानकों में संतुलित वृद्धि और स्वास्थ्य में सुधार संभव हो रहा है।
See lessअनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास-सम्बन्धी उपलब्धियाँ क्या हैं? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होंगी ? (250 words) [UPSC 2021]
अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास-सम्बन्धी उपलब्धियाँ 1. फसल सुधार: जीन-संपादन और CRISPR तकनीक की उन्नति ने सूखा-सहनशील, पोषक तत्वों से भरपूर, और उच्च उपज वाली फसल प्रजातियाँ विकसित की हैं। उदाहरण के लिए, Bt बैंगन, जो कीटों से प्रतिरोधी है, ने रसायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता को कम किया औरRead more
अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास-सम्बन्धी उपलब्धियाँ
1. फसल सुधार: जीन-संपादन और CRISPR तकनीक की उन्नति ने सूखा-सहनशील, पोषक तत्वों से भरपूर, और उच्च उपज वाली फसल प्रजातियाँ विकसित की हैं। उदाहरण के लिए, Bt बैंगन, जो कीटों से प्रतिरोधी है, ने रसायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता को कम किया और उपज में सुधार किया है।
2. स्वास्थ्य देखभाल में नवाचार: जैव-प्रौद्योगिकी ने नई वैक्सीन और थेराप्यूटिक्स का निर्माण किया है। कोवैक्सिन और कोविशील्ड वैक्सीनेशन COVID-19 महामारी से लड़ाई में महत्वपूर्ण साबित हुई हैं। जीन थेरेपी और बायोलॉजिक्स जैसे नए उपचारों ने थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया जैसे आनुवंशिक विकारों के इलाज में प्रगति की है।
3. पर्यावरण जैव-प्रौद्योगिकी: बायो-रमेडिएशन और कचरा प्रबंधन में नवाचार पर्यावरणीय समस्याओं को हल कर रहे हैं। बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक और सूक्ष्मजीव ईंधन कोशिकाएँ जैसे समाधान प्रदूषण को कम करते हैं और सतत प्रथाओं में योगदान करते हैं।
4. कृषि और पशुपालन: बायोपेस्टीसाइड्स और बायोफर्टिलाइजर्स फसलों की उत्पादकता और मिट्टी की सेहत को बढ़ाते हैं। उदाहरण के लिए, नाइट्रोजन-फिक्सिंग बैक्टीरिया फसलों में उपयोग किए जा रहे हैं जो मिट्टी की उर्वरता को सुधारते हैं और रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता को कम करते हैं।
समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में योगदान
1. कृषि उत्पादकता में सुधार: उच्च उपज और सहनशील फसल प्रजातियाँ गरीब किसानों की उपज और आय को बढ़ाने में मदद करती हैं। सूखा-सहनशील प्रजातियाँ सूखे क्षेत्रों में उत्पादकता बनाए रखने में सहायता करती हैं।
2. सस्ती स्वास्थ्य देखभाल: जैव-प्रौद्योगिकी से संचालित स्वास्थ्य समाधान जैसे कम लागत वाली वैक्सीनेशन और उपचार, निर्धन समुदायों में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को उपलब्ध कराते हैं और रोगों का बोझ कम करते हैं।
3. पर्यावरणीय लाभ: जैव-प्रौद्योगिकी आधारित पर्यावरण समाधान जैसे बायो-रमेडिएशन और बायोडिग्रेडेबल सामग्री, गरीब समुदायों को बेहतर और स्वच्छ जीवन यापन प्रदान करते हैं, जो अक्सर पर्यावरणीय प्रदूषण से अधिक प्रभावित होते हैं।
4. रोजगार अवसर: जैव-प्रौद्योगिकी क्षेत्र का विकास शोध, निर्माण और अनुप्रयोग क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उत्पन्न करता है। इससे आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में जीवन यापन में सुधार होता है।
निष्कर्ष: अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी की उपलब्धियाँ निर्धन वर्गों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। ये उपलब्धियाँ कृषि उत्पादकता को बढ़ाने, स्वास्थ्य देखभाल की सस्ती सेवाएँ प्रदान करने, पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने और रोजगार अवसर पैदा करने में सहायक हैं, जिससे सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
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