भारत में नगरीकरण की प्रवृत्ति का परीक्षण कीजिये तथा तीव्र गति से बढ़ते नगरीकरण से उत्पन्न सामाजिक परिणामों की व्याख्या कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
शहरी भूमि उपयोग के लिए जल निकायों से भूमि-उद्धार के पर्यावरणीय प्रभाव पारिस्थितिकीय प्रभाव: पर्यावरणीय असंतुलन: जल निकायों से भूमि-उद्धार के कारण पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन पैदा होता है। जल निकायों की कमी से जलवायु में बदलाव और स्थानीय जलवायु प्रणाली प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए, सूरत में भूमRead more
शहरी भूमि उपयोग के लिए जल निकायों से भूमि-उद्धार के पर्यावरणीय प्रभाव
पारिस्थितिकीय प्रभाव:
- पर्यावरणीय असंतुलन: जल निकायों से भूमि-उद्धार के कारण पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन पैदा होता है। जल निकायों की कमी से जलवायु में बदलाव और स्थानीय जलवायु प्रणाली प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए, सूरत में भूमि-उद्धार ने स्थानीय जलवायु में परिवर्तन और गर्मी की वृद्धि को बढ़ावा दिया है।
- पानी की गुणवत्ता में कमी: भूमि-उद्धार से जल निकायों में प्रदूषण और अवसादन बढ़ता है, जिससे पानी की गुणवत्ता प्रभावित होती है। नई दिल्ली में यमुनापार क्षेत्र में भूमि-उद्धार के कारण यमुना नदी में प्रदूषण में वृद्धि देखी गई है।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव:
- विच्छेदन और जलवायु परिवर्तन: जल निकायों की कमी से बाढ़ और सूखा जैसी समस्याओं में वृद्धि होती है। चंडीगढ़ में, भूमि-उद्धार के बाद बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है, जिससे स्थानीय समुदायों को नुकसान हुआ है।
- जैव विविधता का नुकसान: जल निकायों से भूमि-उद्धार से जलीय जीवों और पक्षियों की प्रजातियाँ प्रभावित होती हैं। बेंगलुरु में पुराने तालाबों का भूमि-उद्धार से स्थानीय जैव विविधता को नुकसान पहुँचा है।
इन पर्यावरणीय प्रभावों से बचने के लिए, जल निकायों के संरक्षण और सतत भूमि उपयोग की नीतियाँ अपनाना आवश्यक है।
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भारत में नगरीकरण की प्रवृत्ति भारत में नगरीकरण, यानी शहरीकरण की प्रक्रिया, पिछले कुछ दशकों में तेजी से बढ़ी है। नगरीकरण की यह प्रवृत्ति निम्नलिखित कारकों से प्रेरित है: आर्थिक विकास: औद्योगिकीकरण और सेवा क्षेत्र के विकास ने शहरी क्षेत्रों में नौकरियों की संख्या बढ़ाई, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों से शहरीRead more
भारत में नगरीकरण की प्रवृत्ति
भारत में नगरीकरण, यानी शहरीकरण की प्रक्रिया, पिछले कुछ दशकों में तेजी से बढ़ी है। नगरीकरण की यह प्रवृत्ति निम्नलिखित कारकों से प्रेरित है:
तीव्र गति से बढ़ते नगरीकरण से उत्पन्न सामाजिक परिणाम
निष्कर्ष: भारत में नगरीकरण की प्रवृत्ति ने शहरी विकास को प्रोत्साहित किया है, लेकिन इसके साथ सामाजिक, आर्थिक, और पर्यावरणीय समस्याएँ भी उभरी हैं। प्रभावी शहरी नियोजन और सतत विकास की नीतियों को लागू करके इन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
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