Home/भारतीय समाज/शहरीकरण और संबंद्ध मुद्दे
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मुंबई, दिल्ली और कोलकाता देश के तीन विराट नगर हैं, परंतु दिल्ली में वायु प्रदूषण, अन्य दो नगरों की तुलना में कहीं अधिक गंभीर समस्या है। इसका क्या कारण है ? (200 words) [UPSC 2015]
दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीरता के कारण 1. भौगोलिक और मौसम संबंधी कारक: दिल्ली का भौगोलिक स्थिति और मौसम वायु प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं। दिल्ली के इंडो-गैंगेटिक प्लेन में स्थित होने के कारण तापमान इन्वर्शन होता है, जो प्रदूषकों को सतह के पास फंसा देता है। मुंबई और कोलकाता की तटीय स्थिति इन प्रदूRead more
दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीरता के कारण
1. भौगोलिक और मौसम संबंधी कारक: दिल्ली का भौगोलिक स्थिति और मौसम वायु प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं। दिल्ली के इंडो-गैंगेटिक प्लेन में स्थित होने के कारण तापमान इन्वर्शन होता है, जो प्रदूषकों को सतह के पास फंसा देता है। मुंबई और कोलकाता की तटीय स्थिति इन प्रदूषकों को फैलाने में सहायक होती है।
2. वाहन उत्सर्जन: दिल्ली में वाहनों की घनता और पुराने वाहन वायु प्रदूषण में योगदान करते हैं। हाल के उदाहरण में, वैश्विक जलवायु सम्मेलन के बाद भी दिल्ली ने डिजल वाहनों के कारण उच्च उत्सर्जन स्तरों का सामना किया है।
3. औद्योगिक प्रदूषण: दिल्ली में औद्योगिक क्षेत्रों और निर्माण गतिविधियों के कारण वायु प्रदूषण बढ़ता है। निर्माण परियोजनाएं और खानूनी मानकों की अनुपालन की कमी ने प्रदूषण को और बढ़ा दिया है।
4. मौसमी कारक: सर्दी के मौसम में दिल्ली में फसल अवशेष जलाने के कारण PM2.5 कणों का स्तर बढ़ जाता है। पंजाब और हरियाणा में फसल अवशेष जलाने से दिल्ली का वायु गुणवत्ता प्रभावित होती है।
5. पर्यावरणीय नियमों की प्रवर्तन: मुंबई और कोलकाता में पर्यावरणीय नियमों का पालन अधिक सख्ती से होता है, जबकि दिल्ली में प्रवर्तन की कमी प्रदूषण को बढ़ाती है।
ये कारक मिलकर दिल्ली में वायु प्रदूषण को मुंबई और कोलकाता की तुलना में अधिक गंभीर बनाते हैं।
See lessस्मार्ट सिटी विकास हेतु मूल अधोसंरचनात्मक तत्व बताये। (125 Words) [UPPSC 2018]
स्मार्ट सिटी विकास हेतु मूल अधोसंरचनात्मक तत्व 1. कुशल शहरी गतिशीलता: एकीकृत सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, जैसे इंदौर BRTS (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम), यातायात जाम को कम करने और गतिशीलता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। 2. सतत ऊर्जा प्रबंधन: स्मार्ट सिटी विकास में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों और ऊर्जा कुशल भवनोRead more
स्मार्ट सिटी विकास हेतु मूल अधोसंरचनात्मक तत्व
1. कुशल शहरी गतिशीलता: एकीकृत सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, जैसे इंदौर BRTS (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम), यातायात जाम को कम करने और गतिशीलता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।
2. सतत ऊर्जा प्रबंधन: स्मार्ट सिटी विकास में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों और ऊर्जा कुशल भवनों पर ध्यान दिया जाता है। उदाहरण के लिए, कोयंबटूर ने अपनी स्मार्ट सिटी पहल के तहत सौर स्ट्रीट लाइटिंग लागू की है।
3. जल और कचरा प्रबंधन: प्रभावी जल आपूर्ति प्रणाली और कचरा प्रबंधन आवश्यक हैं। अहमदाबाद स्मार्ट सिटी परियोजना में स्वचालित कचरा संग्रहण और जल पुनर्चक्रण सुविधाएँ शामिल हैं।
4. सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT): ICT अवसंरचना, जैसे पुणे में वायरलेस हॉटस्पॉट्स और सेंसर नेटवर्क, रीयल-टाइम डेटा संग्रहण और स्मार्ट शासन को सक्षम बनाते हैं।
5. सस्ती आवास: प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) सभी के लिए आवास सुनिश्चित करती है, जिससे शहरी झुग्गियों में कमी और सम्मानजनक जीवन परिस्थितियाँ प्राप्त होती हैं।
See lessशहरी समस्याओं के समाधान की विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
शहरी समस्याओं के समाधान 1. आधारभूत ढांचे का विकास: शहरी समस्याओं जैसे यातायात की जाम और अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन को सुधारने के लिए आधारभूत ढांचे में सुधार आवश्यक है। दिल्ली मेट्रो विस्तार परियोजना ने शहरी गतिशीलता को बेहतर बनाया और यातायात जाम को कम किया है। 2. सतत शहरी योजना: स्मार्ट सिटी मिशन जैRead more
शहरी समस्याओं के समाधान
1. आधारभूत ढांचे का विकास: शहरी समस्याओं जैसे यातायात की जाम और अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन को सुधारने के लिए आधारभूत ढांचे में सुधार आवश्यक है। दिल्ली मेट्रो विस्तार परियोजना ने शहरी गतिशीलता को बेहतर बनाया और यातायात जाम को कम किया है।
2. सतत शहरी योजना: स्मार्ट सिटी मिशन जैसी योजनाएं प्रदूषण और कचरा प्रबंधन जैसी समस्याओं का समाधान करती हैं। इस मिशन के तहत ऊर्जा दक्ष भवनों और बेहतर कचरा प्रबंधन प्रणालियों को लागू किया जा रहा है।
3. सस्ती आवास योजना: प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) जैसे योजनाएं निम्न-आय वाले शहरी वर्ग के लिए सस्ते आवास प्रदान करती हैं, जिससे झुग्गी-झोपड़ी की वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है।
4. सामुदायिक भागीदारी: शहरी शासन में सामुदायिक भागीदारी समस्याओं के समाधान में सहायक होती है। मुंबई का नागरिक सहभागिता शासन मॉडल ने समस्या समाधान में भागीदारी के लाभों को दर्शाया है।
See lessनगरीकरण को परिभाषित कीजिये। बढ़ते नगरीकरण से उत्पन्न समस्याओं की विवेचना कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2019]
नगरीकरण (Urbanization) वह प्रक्रिया है जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों से लोग शहरी क्षेत्रों की ओर स्थानांतरित होते हैं, जिससे शहरों की जनसंख्या और क्षेत्रीय विस्तार में वृद्धि होती है। नगरीकरण का मतलब है शहरी जीवन शैली, सुविधाओं, और आर्थिक गतिविधियों का प्रसार और विकास। बढ़ते नगरीकरण से उत्पन्न समस्याएँ1.Read more
नगरीकरण (Urbanization) वह प्रक्रिया है जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों से लोग शहरी क्षेत्रों की ओर स्थानांतरित होते हैं, जिससे शहरों की जनसंख्या और क्षेत्रीय विस्तार में वृद्धि होती है। नगरीकरण का मतलब है शहरी जीवन शैली, सुविधाओं, और आर्थिक गतिविधियों का प्रसार और विकास।
बढ़ते नगरीकरण से उत्पन्न समस्याएँ1. अधिभोग और केंद्रित विकास
बढ़ते नगरीकरण के कारण, शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अत्यधिक बढ़ जाता है, जिससे पर्याप्त संसाधन और अवसंरचना पर दबाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, मुंबई और दिल्ली जैसी महानगरों में यातायात और सार्वजनिक सेवाओं की समस्याएँ बढ़ गई हैं।
2. आवास संकट
शहरी क्षेत्रों में बढ़ती जनसंख्या के कारण, आवास की कमी और भ्रष्टाचार के कारण अनधिकृत बस्तियाँ और झुग्गियाँ बनती हैं। दिल्ली और बेंगलुरू में झुग्गी-झोपड़ी की समस्याएँ बढ़ी हैं, जिनमें स्वच्छता और स्वास्थ्य की स्थिति चिंताजनक है।
3. पर्यावरणीय समस्याएँ
बढ़ते नगरीकरण से वायु और जल प्रदूषण, वनों की कटाई, और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। दिल्ली में वायु गुणवत्ता की गंभीर स्थिति इसका स्पष्ट उदाहरण है, जहाँ वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ी हैं।
4. सामाजिक असमानता
नगरीकरण के साथ आर्थिक असमानता भी बढ़ती है। शहरी क्षेत्रों में समृद्धि और ग़रीबी के बीच अंतर बढ़ जाता है। मुंबई में धारावी जैसी बस्तियों में सामाजिक असमानता की स्थिति स्पष्ट है।
5. सार्वजनिक सेवाओं की कमी
शहरों में बढ़ती जनसंख्या से स्वास्थ्य, शिक्षा, और जल आपूर्ति जैसी सार्वजनिक सेवाओं पर दबाव बढ़ता है। कोरोना महामारी के दौरान, शहरी स्वास्थ्य सुविधाएँ और संविधानिक सेवाएँ की कमी ने प्रमुख समस्याओं को उजागर किया।
इस प्रकार, नगरीकरण के बढ़ते स्तर ने विभिन्न समस्याओं को जन्म दिया है, जिनका समाधान वास्तविक और स्थायी योजनाओं और सार्वजनिक नीतियों के माध्यम से किया जाना आवश्यक है।
See lessमलिन बस्तियाँ में मूलभूत नागरिक सुविधाओं के विकास हेतु नगर नियोजन की भूमिका पर एक टिप्पणी लिखिये। (125 Words) [UPPSC 2019]
मलिन बस्तियों में मूलभूत नागरिक सुविधाओं के विकास हेतु नगर नियोजन की भूमिका 1. संरचनात्मक सुधार: नगर नियोजन मलिन बस्तियों में सड़क, नल जल आपूर्ति, और स्वच्छता की बुनियादी सुविधाओं को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रयासों जैसे मुंबई के स्लम पुनर्वास प्राधिकरण (SRA) द्वारा मलिन बस्तियों काRead more
मलिन बस्तियों में मूलभूत नागरिक सुविधाओं के विकास हेतु नगर नियोजन की भूमिका
1. संरचनात्मक सुधार: नगर नियोजन मलिन बस्तियों में सड़क, नल जल आपूर्ति, और स्वच्छता की बुनियादी सुविधाओं को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रयासों जैसे मुंबई के स्लम पुनर्वास प्राधिकरण (SRA) द्वारा मलिन बस्तियों का पुनर्विकास इन क्षेत्रों में सुविधाओं की स्थिति को सुधारता है।
2. आवासीय सुधार: नगर नियोजन बेहतर आवास और पुनर्विकास योजनाओं के माध्यम से मलिन बस्तियों में सुरक्षित और स्थायी आवास प्रदान करता है। दिल्ली की राजीव आवास योजना ने मलिन बस्तियों को संगठित आवास में परिवर्तित किया है।
3. स्वास्थ्य और शिक्षा: नगर नियोजन के माध्यम से स्वास्थ्य केन्द्र और शैक्षिक संस्थान स्थापित किए जाते हैं, जो मलिन बस्तियों में समाज कल्याण को बढ़ावा देते हैं। कोलकाता का “स्कूल ऑन व्हील्स” कार्यक्रम शिक्षा के अवसर बढ़ाने का उदाहरण है।
निष्कर्ष: नगर नियोजन मलिन बस्तियों में मूलभूत नागरिक सुविधाओं के विकास के लिए संरचनात्मक सुधार, आवासीय सुधार, और स्वास्थ्य-शिक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित करके जीवन की गुणवत्ता को सुधारने में अहम भूमिका निभाता है।
See lessभारत में मलिन बस्तियों के निर्माण और इसके प्रसार के लिए उत्तरदायी कारकों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत इन-सीटू स्लम पुनर्विकास योजना में सुधार की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत में मलिन बस्तियों के निर्माण और प्रसार के कारक भारत में मलिन बस्तियाँ (slums) एक जटिल समस्या हैं, जिनके निर्माण और प्रसार के कई कारक हैं: शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि: तेजी से शहरीकरण और बढ़ती जनसंख्या के कारण नगरों और शहरों में आवास की मांग में अत्यधिक वृद्धि हुई है। इससे गरीब तबकों को अस्थायी औRead more
भारत में मलिन बस्तियों के निर्माण और प्रसार के कारक
भारत में मलिन बस्तियाँ (slums) एक जटिल समस्या हैं, जिनके निर्माण और प्रसार के कई कारक हैं:
प्रधान मंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत इन-सीटू स्लम पुनर्विकास योजना में सुधार की आवश्यकता
1. योजना का दायरा और कार्यान्वयन
वर्तमान में, इन-सीटू स्लम पुनर्विकास योजना का कार्यान्वयन असमान है। योजना को अधिक समावेशी और व्यापक बनाने की आवश्यकता है ताकि सभी मलिन बस्तियों को शामिल किया जा सके।
2. वित्तीय और तकनीकी सहायता
स्थानीय निकायों को आवश्यक वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जानी चाहिए। इसके साथ ही, निर्माण और पुनर्विकास के लिए समुदाय आधारित दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए ताकि स्थानीय जरूरतों और प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से समायोजित किया जा सके।
3. सामाजिक और आर्थिक स्थिरता
मलिन बस्तियों के पुनर्विकास में केवल भौतिक पुनर्निर्माण पर ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्थिरता पर भी ध्यान देना चाहिए। रोजगार सृजन, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।
4. जनसहभागिता और निगरानी
योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए जनसहभागिता और पारदर्शिता को बढ़ावा देना चाहिए। स्थानीय निवासियों की भागीदारी से योजना की स्वीकार्यता बढ़ेगी और समस्याओं का समय पर समाधान हो सकेगा।
निष्कर्ष
See lessमलिन बस्तियों की समस्या का समाधान एक बहुआयामी दृष्टिकोण की मांग करता है, जिसमें बेहतर नियोजन, वित्तीय प्रबंधन, और सामाजिक नीतियों का समन्वय शामिल हो। प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत इन-सीटू स्लम पुनर्विकास योजना में सुधार करके इस समस्या को प्रभावी ढंग से संबोधित किया जा सकता है।
भारत में नगरीकरण की प्रवृत्ति का परीक्षण कीजिये तथा तीव्र गति से बढ़ते नगरीकरण से उत्पन्न सामाजिक परिणामों की व्याख्या कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
भारत में नगरीकरण की प्रवृत्ति भारत में नगरीकरण, यानी शहरीकरण की प्रक्रिया, पिछले कुछ दशकों में तेजी से बढ़ी है। नगरीकरण की यह प्रवृत्ति निम्नलिखित कारकों से प्रेरित है: आर्थिक विकास: औद्योगिकीकरण और सेवा क्षेत्र के विकास ने शहरी क्षेत्रों में नौकरियों की संख्या बढ़ाई, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों से शहरीRead more
भारत में नगरीकरण की प्रवृत्ति
भारत में नगरीकरण, यानी शहरीकरण की प्रक्रिया, पिछले कुछ दशकों में तेजी से बढ़ी है। नगरीकरण की यह प्रवृत्ति निम्नलिखित कारकों से प्रेरित है:
तीव्र गति से बढ़ते नगरीकरण से उत्पन्न सामाजिक परिणाम
निष्कर्ष: भारत में नगरीकरण की प्रवृत्ति ने शहरी विकास को प्रोत्साहित किया है, लेकिन इसके साथ सामाजिक, आर्थिक, और पर्यावरणीय समस्याएँ भी उभरी हैं। प्रभावी शहरी नियोजन और सतत विकास की नीतियों को लागू करके इन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
See lessक्या आप सहमत हैं कि शहरीकरण और मलिन बस्तियाँ अपृथक्करणीय है? व्याख्या कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2021]
शहरीकरण और मलिन बस्तियाँ: एक अपरिहार्य संबंध शहरीकरण और मलिन बस्तियाँ अक्सर अपृथक्करणीय होती हैं। जब शहर तेजी से विकसित होते हैं, तो आर्थिक अवसर और सुविधाओं की तलाश में ग्रामीण लोग शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन करते हैं। इस तेजी से बढ़ती जनसंख्या की वजह से अवसंरचना और आवास की कमी होती है, जिससे मलिन बसRead more
शहरीकरण और मलिन बस्तियाँ: एक अपरिहार्य संबंध
शहरीकरण और मलिन बस्तियाँ अक्सर अपृथक्करणीय होती हैं। जब शहर तेजी से विकसित होते हैं, तो आर्थिक अवसर और सुविधाओं की तलाश में ग्रामीण लोग शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन करते हैं।
इस तेजी से बढ़ती जनसंख्या की वजह से अवसंरचना और आवास की कमी होती है, जिससे मलिन बस्तियों का निर्माण होता है। उदाहरण के लिए, मुंबई की धारावी और दिल्ली की यमुना पुश्ता जैसे क्षेत्र तेजी से बढ़ते शहरीकरण के परिणामस्वरूप बने हैं।
असमान विकास और विफल योजनाएं इन बस्तियों के अस्तित्व को बनाए रखती हैं। हाल के वर्षों में, स्मार्ट सिटी परियोजनाएँ और आवास योजनाएँ इस समस्या को संबोधित करने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन मलिन बस्तियों की समस्या पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है।
See lessभारत के प्रमुख नगर बाढ़ दशाओं से अधिक असुरक्षित होते जा रहे हैं। विवेचना कीजिए। (200 words) [UPSC 2016]
भारत के प्रमुख नगरों में बाढ़ का खतरा तेजी से बढ़ रहा है, जिससे ये नगर बाढ़ दशाओं के प्रति अत्यधिक असुरक्षित हो गए हैं। यह समस्या कई कारकों के संयोजन का परिणाम है: 1. अनियंत्रित शहरीकरण: तेजी से हो रहा अनियंत्रित शहरीकरण बाढ़ की समस्या का प्रमुख कारण है। नगरों का तेजी से विस्तार हो रहा है, जिससे प्रRead more
भारत के प्रमुख नगरों में बाढ़ का खतरा तेजी से बढ़ रहा है, जिससे ये नगर बाढ़ दशाओं के प्रति अत्यधिक असुरक्षित हो गए हैं। यह समस्या कई कारकों के संयोजन का परिणाम है:
1. अनियंत्रित शहरीकरण:
तेजी से हो रहा अनियंत्रित शहरीकरण बाढ़ की समस्या का प्रमुख कारण है। नगरों का तेजी से विस्तार हो रहा है, जिससे प्राकृतिक जल निकासी प्रणालियाँ बाधित हो रही हैं। उदाहरण के लिए, मुंबई और चेन्नई जैसे नगरों में पारंपरिक जल निकासी नालों और जलमार्गों पर अतिक्रमण हो गया है, जिससे भारी वर्षा के समय जल जमाव और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
2. अपर्याप्त और पुराना बुनियादी ढांचा:
भारत के अधिकांश नगरों में जल निकासी और सीवेज प्रणालियाँ पुरानी और अपर्याप्त हैं। अत्यधिक बारिश के दौरान ये प्रणालियाँ पर्याप्त रूप से काम नहीं कर पातीं, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है। कोलकाता और दिल्ली जैसे नगरों में यह समस्या आम है।
3. जलवायु परिवर्तन:
जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में अस्थिरता बढ़ रही है, जिससे भारी वर्षा और चक्रवात जैसी घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि हो रही है। हाल के वर्षों में बेंगलुरु, गुरुग्राम और पटना जैसे नगरों में असामान्य रूप से भारी बारिश और अचानक बाढ़ की घटनाएँ देखी गई हैं।
4. भूमि उपयोग में बदलाव:
वनों की कटाई, जलाशयों का अतिक्रमण, और भूमि का अनियंत्रित उपयोग बाढ़ के जोखिम को बढ़ाता है। मुंबई के मीठी नदी और चेन्नई के जलाशयों पर हुए अतिक्रमण इसके प्रमुख उदाहरण हैं, जहाँ भारी बारिश के दौरान जलभराव की समस्या उत्पन्न होती है।
5. आपातकालीन प्रतिक्रिया की कमी:
अधिकांश नगरों में बाढ़ से निपटने के लिए पर्याप्त आपातकालीन योजना और तैयारी की कमी है। इसका परिणाम यह होता है कि बाढ़ की स्थिति में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया नहीं दी जा सकती, जिससे जन-धन की हानि बढ़ जाती है।
इन कारणों से भारत के प्रमुख नगर बाढ़ के प्रति अत्यधिक असुरक्षित हो गए हैं। बाढ़ की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता से निपटने के लिए शहरी योजना, बुनियादी ढांचे के उन्नयन, और जलवायु अनुकूलन उपायों की तत्काल आवश्यकता है।
See lessभारत में नगरीय जीवन की गुणता की संक्षिप्त पृष्ठभूमि के साथ, 'स्मार्ट नगर कार्यक्रम' के उद्देश्य और रणनीति बताइए। (200 words) [UPSC 2016]
भारत में नगरीय जीवन की गुणवत्ता समय के साथ विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रही है। तीव्र शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या, अपर्याप्त बुनियादी ढांचे, यातायात जाम, प्रदूषण, और अनियंत्रित शहरी विस्तार ने नगरीय जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित किया है। शहरी क्षेत्रों में सेवाओं की असमानता, स्वच्छता की कमी, और सुरक्षाRead more
भारत में नगरीय जीवन की गुणवत्ता समय के साथ विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रही है। तीव्र शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या, अपर्याप्त बुनियादी ढांचे, यातायात जाम, प्रदूषण, और अनियंत्रित शहरी विस्तार ने नगरीय जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित किया है। शहरी क्षेत्रों में सेवाओं की असमानता, स्वच्छता की कमी, और सुरक्षा संबंधी चिंताओं ने भी जीवन को कठिन बना दिया है। इन समस्याओं को दूर करने और शहरी जीवन को बेहतर बनाने के लिए, भारत सरकार ने 2015 में ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ (Smart City Mission) की शुरुआत की।
स्मार्ट सिटी कार्यक्रम के उद्देश्य:
See lessजीवन की गुणवत्ता में सुधार: नागरिकों के लिए बेहतर आधारभूत सुविधाएँ, जैसे कि स्वच्छ जल, कुशल परिवहन, और स्वच्छ पर्यावरण प्रदान करना।
सतत् और समावेशी विकास: संसाधनों का कुशल उपयोग करते हुए सतत् विकास को सुनिश्चित करना, जिसमें हरित ऊर्जा, कचरा प्रबंधन, और जल संरक्षण शामिल है।
डिजिटल और सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग: सेवाओं की कुशल डिलीवरी के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) का उपयोग, जिससे ई-गवर्नेंस, स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट, और निगरानी प्रणाली स्थापित की जा सके।
रणनीति:
क्षेत्र आधारित विकास: पुराने क्षेत्रों का पुनर्विकास (रेडेवेलपमेंट), नए क्षेत्रों का विकास, और उपयुक्त क्षेत्रों में समग्र विकास की योजना।
पैन-सिटी पहल: पूरे शहर में स्मार्ट समाधान लागू करना, जैसे कि स्मार्ट मीटर, स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम, और ऑनलाइन सेवाएं।
नागरिक भागीदारी: नागरिकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना, जिससे उनके सुझावों और आवश्यकताओं के आधार पर योजनाएं बनाई जा सकें।
सार्वजनिक-निजी साझेदारी (PPP): परियोजनाओं को कुशलतापूर्वक लागू करने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
‘स्मार्ट सिटी मिशन’ का उद्देश्य भारत के शहरी क्षेत्रों को अधिक रहने योग्य, कुशल, और समृद्ध बनाना है, ताकि नागरिकों को उच्च जीवन स्तर और बेहतर आर्थिक अवसर प्राप्त हो सकें।