शहरीकरण की प्रक्रिया समाज के लिए विकास या विनाश है। अपना मत लिखिए । (200 Words) [UPPSC 2023]
दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या मुंबई और कोलकाता की तुलना में अधिक गंभीर है, जिसके कई प्रमुख कारण हैं: भौगोलिक स्थिति: दिल्ली एक स्थल-बद्ध शहर है, जबकि मुंबई और कोलकाता तटीय क्षेत्र में स्थित हैं। तटीय क्षेत्रों में समुद्री हवाएँ प्रदूषकों को फैलाने में मदद करती हैं, जबकि दिल्ली में हवा की यह गतिRead more
दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या मुंबई और कोलकाता की तुलना में अधिक गंभीर है, जिसके कई प्रमुख कारण हैं:
- भौगोलिक स्थिति: दिल्ली एक स्थल-बद्ध शहर है, जबकि मुंबई और कोलकाता तटीय क्षेत्र में स्थित हैं। तटीय क्षेत्रों में समुद्री हवाएँ प्रदूषकों को फैलाने में मदद करती हैं, जबकि दिल्ली में हवा की यह गति नहीं होती, जिससे प्रदूषक वातावरण में फँसे रहते हैं। खासकर सर्दियों में तापमान इनवर्शन की स्थिति प्रदूषण को बढ़ाती है।
- वाहन प्रदूषण: दिल्ली में वाहनों की संख्या अधिक है और बड़ी संख्या में डीजल वाहन चलते हैं, जो अधिक प्रदूषक जैसे पार्टिकुलेट मैटर (PM) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) का उत्सर्जन करते हैं। पुराने वाहनों और यातायात की बढ़ती संख्या ने प्रदूषण को गंभीर बना दिया है।
- फसल अवशेष जलाना: दिल्ली के पास स्थित पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में हर साल पराली जलाने से प्रदूषण में भारी वृद्धि होती है। अक्टूबर-नवंबर में यह धुआं दिल्ली के वातावरण में समा जाता है और वायु गुणवत्ता को बेहद खराब कर देता है।
- निर्माण कार्य और धूल: दिल्ली में लगातार चल रहे निर्माण कार्य और सड़क की धूल भी वायु में भारी मात्रा में प्रदूषण फैलाती है।
- शुष्क जलवायु: दिल्ली की शुष्क जलवायु के कारण धूल के कण अधिक मात्रा में वातावरण में रहते हैं, जबकि मुंबई और कोलकाता में अधिक वर्षा के कारण हवा को प्राकृतिक रूप से साफ करने में मदद मिलती है।
इन कारणों के संयोजन से दिल्ली में वायु प्रदूषण अन्य महानगरों की तुलना में अधिक गंभीर हो जाता है।
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शहरीकरण: विकास या विनाश विकासात्मक दृष्टिकोण: शहरीकरण को विकास के एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखा जा सकता है। यह आर्थिक वृद्धि, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने में सहायक होता है। शहरी क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा के अवसर उपलब्ध होते हैं, जो जीवन की गुणवत्ता को सुधाRead more
शहरीकरण: विकास या विनाश
विकासात्मक दृष्टिकोण: शहरीकरण को विकास के एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखा जा सकता है। यह आर्थिक वृद्धि, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने में सहायक होता है। शहरी क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा के अवसर उपलब्ध होते हैं, जो जीवन की गुणवत्ता को सुधारते हैं। उदाहरण के लिए, मेट्रो शहरों में उच्च गुणवत्ता वाले संचार, सड़क और आवास सुविधाएं प्राप्त होती हैं।
आर्थिक अवसर: शहरीकरण रोजगार के नए अवसर उत्पन्न करता है और व्यापार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करता है। शहरी क्षेत्रों में नौकरी के अवसर बढ़ते हैं, जो आर्थिक विकास को गति प्रदान करते हैं।
विनाशात्मक दृष्टिकोण: हालांकि, शहरीकरण की प्रक्रिया में कई चुनौतियाँ भी हैं। अत्यधिक जनसंख्या वृद्धि, विकास की असमानता, और पर्यावरणीय प्रदूषण जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। जैसे कि दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में वायु प्रदूषण और सघन जनसंख्या समस्याएँ हैं, जो जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं।
संतुलित दृष्टिकोण: शहरीकरण का प्रभाव समाज पर निर्भर करता है कि इसे कैसे प्रबंधित किया जाता है। यदि शहरीकरण के साथ योजना, नियंत्रण और सतत विकास के सिद्धांतों का पालन किया जाए, तो यह विकास का एक प्रमुख स्रोत बन सकता है। अन्यथा, यह विनाशकारी भी हो सकता है।
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