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भारत में डिजिटल पहल ने किस प्रकार से देश की शिक्षा व्यवस्था के संचालन में योगदान किया है ? विस्तृत उत्तर दीजिए । ( 250 words ) [UPSC 2020]
भारत में डिजिटल पहल और शिक्षा व्यवस्था में उनका योगदान परिचय भारत में डिजिटल पहल ने शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने और उसे सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये पहल विशेष रूप से शिक्षा की गुणवत्ता, पहुंच, और नवाचार को बढ़ाने में सहायक रही हैं। मुख्य डिजिटल पहल ई-लर्निंग प्लेटफार्म DIKSHA (DRead more
भारत में डिजिटल पहल और शिक्षा व्यवस्था में उनका योगदान
परिचय
भारत में डिजिटल पहल ने शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने और उसे सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये पहल विशेष रूप से शिक्षा की गुणवत्ता, पहुंच, और नवाचार को बढ़ाने में सहायक रही हैं।
मुख्य डिजिटल पहल
DIKSHA (Digital Infrastructure for Knowledge Sharing) और SWAYAM जैसी प्लेटफार्मों ने व्यापक शैक्षिक सामग्री उपलब्ध कराई है। DIKSHA शिक्षकों और छात्रों को पाठ्यक्रम से जुड़ी सामग्री प्रदान करती है, जबकि SWAYAM MOOCs के माध्यम से विभिन्न विषयों पर पाठ्यक्रम उपलब्ध कराती है। COVID-19 महामारी के दौरान, SWAYAM ने स्कूल बंद होने के बावजूद शिक्षा को जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
NPTEL (National Programme on Technology Enhanced Learning) और ePathshala उच्च गुणवत्ता वाली शैक्षिक सामग्री प्रदान करते हैं। NPTEL विशेष रूप से इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी छात्रों के लिए वीडियो लेक्चर और ऑनलाइन कोर्स उपलब्ध कराता है, जबकि ePathshala स्कूल के छात्रों के लिए पाठ्यपुस्तकें और सहायक सामग्री प्रदान करता है।
NETF का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और डेटा-संचालित नीति निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना है। यह शैक्षिक योजना, कार्यान्वयन, और मूल्यांकन में प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देता है।
BharatNet और National Knowledge Network (NKN) ने ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी को बढ़ाया है, जिससे डिजिटल कक्षाओं, ऑनलाइन संसाधनों, और वर्चुअल सहयोग को समर्थन मिला है।
हाल के उदाहरण
शिक्षा व्यवस्था पर प्रभाव
निष्कर्ष
See lessभारत में डिजिटल पहल ने शिक्षा व्यवस्था के संचालन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसमें पहुंच में सुधार, शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि, और नवाचार को बढ़ावा देना शामिल है। ये प्रयास एक मजबूत और समावेशी शैक्षिक ढांचे की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
'हिन्दू संस्कारों' पर विश्लेषणात्मक दृष्टि डालिए।
हिन्दू संस्कारों पर विश्लेषणात्मक दृष्टि हिन्दू संस्कार वे धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान हैं जो जीवन के विभिन्न चरणों में व्यक्ति के विकास और सामाजिक स्वीकृति को सुनिश्चित करते हैं। ये संस्कार न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूत करते हैं। इस विश्लेषण में हमRead more
हिन्दू संस्कारों पर विश्लेषणात्मक दृष्टि
हिन्दू संस्कार वे धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान हैं जो जीवन के विभिन्न चरणों में व्यक्ति के विकास और सामाजिक स्वीकृति को सुनिश्चित करते हैं। ये संस्कार न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूत करते हैं। इस विश्लेषण में हम संस्कारों के ऐतिहासिक संदर्भ, प्रमुख संस्कारों, क्षेत्रीय भिन्नताओं, और समकालीन प्रासंगिकता पर ध्यान देंगे।
1. ऐतिहासिक संदर्भ और विकास:
2. प्रमुख संस्कार और उनका महत्व:
3. क्षेत्रीय भिन्नताएँ और विविधताएँ:
4. समकालीन प्रासंगिकता और चुनौतियाँ:
5. हाल के उदाहरण और सुधार:
निष्कर्ष
हिन्दू संस्कारों की विविधता और गहराई उनके धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक महत्व को दर्शाती है। ये संस्कार व्यक्ति के जीवन के विभिन्न चरणों में मार्गदर्शन और सामाजिक स्वीकृति प्रदान करते हैं। जबकि कुछ संस्कार पारंपरिक और धार्मिक मान्यताओं से जुड़े हैं, आधुनिक समय में उन्हें समकालीन जीवनशैली और सामाजिक मानकों के अनुरूप बदलने और सुधारने की आवश्यकता भी है। इस प्रकार, हिन्दू संस्कार न केवल सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हैं, बल्कि समाज में परिवर्तन और समावेशिता की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
See lessवैश्वीकरण क्या है? भारतीय सामाजिक संरचना पर इसके प्रभावों की विवेचना कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2018]
वैश्वीकरण क्या है? परिचय: वैश्वीकरण एक ऐसा प्रक्रिया है जिसके तहत देशों के बीच वस्त्र, सेवाएँ, विचार, तकनीक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से आपसी निर्भरता और संपर्क बढ़ता है। यह प्रक्रिया राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं और संस्कृतियों को वैश्विक नेटवर्क में एकीकृत करती है। भारतीय सामाजिक संरचना पर वैRead more
वैश्वीकरण क्या है?
परिचय: वैश्वीकरण एक ऐसा प्रक्रिया है जिसके तहत देशों के बीच वस्त्र, सेवाएँ, विचार, तकनीक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से आपसी निर्भरता और संपर्क बढ़ता है। यह प्रक्रिया राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं और संस्कृतियों को वैश्विक नेटवर्क में एकीकृत करती है।
भारतीय सामाजिक संरचना पर वैश्वीकरण के प्रभाव:
1. आर्थिक अवसर और असमानता: वैश्वीकरण ने भारत में आर्थिक अवसरों को बढ़ाया है, विशेषकर विदेशी निवेश और नई नौकरी क्षेत्रों के माध्यम से। उदाहरण के लिए, आईटी और सेवा क्षेत्रों की वृद्धि ने रोजगार सृजन और आर्थिक विकास में योगदान दिया है। हालांकि, इससे आर्थिक असमानता भी बढ़ी है, जैसे कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच आय का अंतर और विभिन्न सामाजिक वर्गों के बीच विषमताएँ।
2. सांस्कृतिक आदान-प्रदान और पहचान: वैश्वीकरण ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया है, जिससे भारतीय समाज में वैश्विक प्रभाव जैसे कि फास्ट-फूड चेन और हॉलीवुड फिल्में का प्रवेश हुआ है। हालांकि, यह सांस्कृतिक एकरूपता की ओर भी ले जाता है, जहाँ पारंपरिक प्रथाएँ और स्थानीय संस्कृतियाँ वैश्विक प्रवृत्तियों द्वारा प्रभावित होती हैं।
3. सामाजिक गतिशीलता और शहरीकरण: वैश्वीकरण द्वारा प्रेरित शहरीकरण की प्रवृत्ति ने सामाजिक गतिशीलता में वृद्धि की है, जहाँ लोग बेहतर अवसरों के लिए शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, ग्रामीण जनसंख्या का मुंबई और दिल्ली जैसे शहरी केंद्रों में स्थानांतरण ने सामाजिक परिदृश्य को बदल दिया है, लेकिन इससे शहरी बुनियादी ढांचे और सेवाओं पर दबाव भी बढ़ा है।
4. शिक्षा और कौशल विकास: वैश्वीकरण ने शिक्षा और कौशल विकास की पहुंच में सुधार किया है, जैसे कि अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिक संस्थानों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों के माध्यम से नई सीखने की संभावनाएँ। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम जैसी पहलों का उद्देश्य रोजगार क्षमता बढ़ाना और श्रम शक्ति में कौशल अंतर को समाप्त करना है। इसके बावजूद, शिक्षा में असमानता अभी भी विद्यमान है।
निष्कर्ष: वैश्वीकरण ने भारतीय सामाजिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाला है, जिसमें आर्थिक अवसरों का निर्माण, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, और शहरीकरण शामिल हैं। हालांकि, इसके साथ ही असमानता, सांस्कृतिक एकरूपता, और शहरी ढांचे पर दबाव जैसी चुनौतियाँ भी उभरी हैं। इन प्रभावों का संतुलित प्रबंधन स्थिर और समावेशी विकास के लिए आवश्यक है।
See lessभारतीय महिलाओं पर भूमण्डलीकरण के प्रभावों की विवेचना उपयुक्त उदाहरणों की सहायता से कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2018]
भारतीय महिलाओं पर भूमण्डलीकरण के प्रभावों की विवेचना परिचय: भूमण्डलीकरण ने भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति पर गहरा प्रभाव डाला है, जिसके परिणामस्वरूप कई सकारात्मक और नकारात्मक परिवर्तन हुए हैं। 1. आर्थिक सशक्तिकरण: भूमण्डलीकरण ने महिलाओं के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ाया है, विशेषकर सूचना प्रौद्योRead more
भारतीय महिलाओं पर भूमण्डलीकरण के प्रभावों की विवेचना
परिचय: भूमण्डलीकरण ने भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति पर गहरा प्रभाव डाला है, जिसके परिणामस्वरूप कई सकारात्मक और नकारात्मक परिवर्तन हुए हैं।
1. आर्थिक सशक्तिकरण: भूमण्डलीकरण ने महिलाओं के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ाया है, विशेषकर सूचना प्रौद्योगिकी, वस्त्र उद्योग, और सेवाओं में। उदाहरण के लिए, आईटी सेक्टर में काम करने वाली महिलाएं, जैसे बंगलौर और हैदराबाद में, ने आर्थिक स्वतंत्रता और करियर वृद्धि का लाभ उठाया है। इसके अतिरिक्त, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और वैश्विक बाजारों की वृद्धि ने महिलाओं के लिए उद्यमिता के अवसर बढ़ाए हैं।
2. शिक्षा और कौशल विकास: भूमण्डलीकरण ने महिलाओं के लिए शिक्षा और कौशल विकास की पहुंच में सुधार किया है। डिजिटल इंडिया प्रोग्राम जैसी पहलों ने डिजिटल साक्षरता और ऑनलाइन शिक्षा तक पहुंच बढ़ाई है, जो महिलाओं को आधुनिक नौकरियों के लिए आवश्यक कौशल से लैस करती है। स्टेम (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स) क्षेत्रों में महिला सहभागिता को बढ़ावा देने वाले प्रोजेक्ट STEM गर्ल्स जैसे कार्यक्रम भी महत्वपूर्ण हैं।
3. सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन: भूमण्डलीकरण ने सामाजिक मानदंडों और सांस्कृतिक प्रथाओं में बदलाव किया है, जो लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करता है। वैश्विक मीडिया और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संधियों का प्रभाव भारतीय दृष्टिकोण पर पड़ा है। #MeToo आंदोलन जैसे वैश्विक आंदोलनों ने भारत में यौन उत्पीड़न के प्रति जागरूकता बढ़ाई और क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट, 2013 जैसे कानूनी सुधारों को प्रेरित किया है।
4. चुनौतियाँ और असमानताएँ: इन प्रगतियों के बावजूद, भूमण्डलीकरण ने कुछ असमानताओं को बढ़ावा भी दिया है। उदाहरण के लिए, अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को शोषणकारी श्रम प्रथाओं और कम वेतन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में काम करने वाली महिलाएं, जैसे गर्मेट उद्योग में, अक्सर अस्थिर रोजगार स्थितियों और सीमित सुरक्षा का सामना करती हैं।
निष्कर्ष: भूमण्डलीकरण ने भारतीय महिलाओं की स्थिति पर कई सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डाले हैं। जबकि यह आर्थिक अवसरों, शिक्षा, और सामाजिक बदलाव को बढ़ावा देता है, यह असमानताओं और चुनौतियों को भी उजागर करता है। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए इन समस्याओं का समाधान करते हुए भूमण्डलीकरण के लाभों का लाभ उठाना महत्वपूर्ण है।
See less"धर्मनिरपेक्षतावाद अभिमुखन व व्यवहार के एक समुच्चय के रूप में उदारवादी लोकतांत्रिक भारत के भविष्य के लिये अपरिहार्य है" विवेचना कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2018]
धर्मनिरपेक्षतावाद अभिमुखन व व्यवहार के एक समुच्चय के रूप में उदारवादी लोकतांत्रिक भारत के भविष्य के लिये अपरिहार्य है परिचय: धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो सभी नागरिकों को समान अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करता है। एक उदारवादी लोकतंत्र के रूप में भारत की स्थिरता औRead more
धर्मनिरपेक्षतावाद अभिमुखन व व्यवहार के एक समुच्चय के रूप में उदारवादी लोकतांत्रिक भारत के भविष्य के लिये अपरिहार्य है
परिचय: धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो सभी नागरिकों को समान अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करता है। एक उदारवादी लोकतंत्र के रूप में भारत की स्थिरता और प्रगति के लिए धर्मनिरपेक्षता अत्यंत आवश्यक है।
1. धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक समरसता: धर्मनिरपेक्षता का अभ्यास समाज में धार्मिक विविधता को संरक्षित करने और विभिन्न समुदायों के बीच समरसता बनाए रखने के लिए आवश्यक है। उदाहरण के लिए, 2019 में हुए CAA विरोध प्रदर्शन में यह स्पष्ट हुआ कि किसी एक धर्म के प्रति पक्षपाती नीतियां सामाजिक तनाव को बढ़ा सकती हैं। एक धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि सभी धार्मिक समूहों को समान अवसर और सुरक्षा मिलती है।
2. लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा: धर्मनिरपेक्षतावाद लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करता है, जिसमें स्वतंत्रता, समानता और न्याय शामिल हैं। यदि राज्य धर्म के आधार पर भेदभाव करता है, तो यह संविधान की भावना के खिलाफ होता है। उदाहरण के लिए, सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2021 में ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक घोषित करना एक महत्वपूर्ण कदम था जो धर्मनिरपेक्षता और लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है।
3. धार्मिक कट्टरता के खिलाफ सुरक्षा: धर्मनिरपेक्षता धार्मिक कट्टरता और असहिष्णुता के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है। यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी धर्म या संप्रदाय के प्रभाव से कानून और नीतियां प्रभावित न हों। 2020 में दिल्ली दंगों के दौरान देखा गया कि धार्मिक भावनाओं को भड़काने से लोकतांत्रिक ताने-बाने को नुकसान पहुँच सकता है। धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण अपनाने से ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद मिलती है।
4. वैश्विक परिप्रेक्ष्य में धर्मनिरपेक्षता: धर्मनिरपेक्षता भारत को एक वैश्विक मंच पर एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के रूप में स्थापित करती है। यह भारत की सॉफ्ट पावर को भी बढ़ावा देता है, जो अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में सहिष्णुता और विविधता के आदर्शों को दर्शाता है। G20 शिखर सम्मेलन 2023 के दौरान भारत ने विविधता और समावेशिता के अपने दृष्टिकोण को प्रमुखता से प्रस्तुत किया।
निष्कर्ष: धर्मनिरपेक्षता न केवल भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की बुनियाद है, बल्कि यह सामाजिक समरसता, न्याय और वैश्विक पहचान के लिए भी अपरिहार्य है। एक मजबूत और प्रगतिशील लोकतांत्रिक भारत के भविष्य के लिए धर्मनिरपेक्षतावाद का संरक्षण और पालन आवश्यक है।
See lessस्मार्ट सिटी विकास हेतु मूल अधोसंरचनात्मक तत्व बताये। (125 Words) [UPPSC 2018]
स्मार्ट सिटी विकास हेतु मूल अधोसंरचनात्मक तत्व 1. कुशल शहरी गतिशीलता: एकीकृत सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, जैसे इंदौर BRTS (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम), यातायात जाम को कम करने और गतिशीलता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। 2. सतत ऊर्जा प्रबंधन: स्मार्ट सिटी विकास में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों और ऊर्जा कुशल भवनोRead more
स्मार्ट सिटी विकास हेतु मूल अधोसंरचनात्मक तत्व
1. कुशल शहरी गतिशीलता: एकीकृत सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, जैसे इंदौर BRTS (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम), यातायात जाम को कम करने और गतिशीलता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।
2. सतत ऊर्जा प्रबंधन: स्मार्ट सिटी विकास में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों और ऊर्जा कुशल भवनों पर ध्यान दिया जाता है। उदाहरण के लिए, कोयंबटूर ने अपनी स्मार्ट सिटी पहल के तहत सौर स्ट्रीट लाइटिंग लागू की है।
3. जल और कचरा प्रबंधन: प्रभावी जल आपूर्ति प्रणाली और कचरा प्रबंधन आवश्यक हैं। अहमदाबाद स्मार्ट सिटी परियोजना में स्वचालित कचरा संग्रहण और जल पुनर्चक्रण सुविधाएँ शामिल हैं।
4. सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT): ICT अवसंरचना, जैसे पुणे में वायरलेस हॉटस्पॉट्स और सेंसर नेटवर्क, रीयल-टाइम डेटा संग्रहण और स्मार्ट शासन को सक्षम बनाते हैं।
5. सस्ती आवास: प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) सभी के लिए आवास सुनिश्चित करती है, जिससे शहरी झुग्गियों में कमी और सम्मानजनक जीवन परिस्थितियाँ प्राप्त होती हैं।
See lessशहरी समस्याओं के समाधान की विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
शहरी समस्याओं के समाधान 1. आधारभूत ढांचे का विकास: शहरी समस्याओं जैसे यातायात की जाम और अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन को सुधारने के लिए आधारभूत ढांचे में सुधार आवश्यक है। दिल्ली मेट्रो विस्तार परियोजना ने शहरी गतिशीलता को बेहतर बनाया और यातायात जाम को कम किया है। 2. सतत शहरी योजना: स्मार्ट सिटी मिशन जैRead more
शहरी समस्याओं के समाधान
1. आधारभूत ढांचे का विकास: शहरी समस्याओं जैसे यातायात की जाम और अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन को सुधारने के लिए आधारभूत ढांचे में सुधार आवश्यक है। दिल्ली मेट्रो विस्तार परियोजना ने शहरी गतिशीलता को बेहतर बनाया और यातायात जाम को कम किया है।
2. सतत शहरी योजना: स्मार्ट सिटी मिशन जैसी योजनाएं प्रदूषण और कचरा प्रबंधन जैसी समस्याओं का समाधान करती हैं। इस मिशन के तहत ऊर्जा दक्ष भवनों और बेहतर कचरा प्रबंधन प्रणालियों को लागू किया जा रहा है।
3. सस्ती आवास योजना: प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) जैसे योजनाएं निम्न-आय वाले शहरी वर्ग के लिए सस्ते आवास प्रदान करती हैं, जिससे झुग्गी-झोपड़ी की वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है।
4. सामुदायिक भागीदारी: शहरी शासन में सामुदायिक भागीदारी समस्याओं के समाधान में सहायक होती है। मुंबई का नागरिक सहभागिता शासन मॉडल ने समस्या समाधान में भागीदारी के लाभों को दर्शाया है।
See lessभारत में स्त्रियों की बदलती प्रस्थिति का मूल्यांकन कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
भारत में स्त्रियों की बदलती स्थिति कानूनी सुधार: भारत में स्त्रियों की स्थिति में सुधार कानूनी सुधारों के कारण हुआ है। निर्भया क़ानून (2013) ने यौन हिंसा के खिलाफ कड़ी सज़ा सुनिश्चित की है, जिससे सुरक्षा में वृद्धि हुई है। शिक्षा और रोजगार: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना और मुद्रा योजना जैसी पहलों ने शिRead more
भारत में स्त्रियों की बदलती स्थिति
कानूनी सुधार: भारत में स्त्रियों की स्थिति में सुधार कानूनी सुधारों के कारण हुआ है। निर्भया क़ानून (2013) ने यौन हिंसा के खिलाफ कड़ी सज़ा सुनिश्चित की है, जिससे सुरक्षा में वृद्धि हुई है।
शिक्षा और रोजगार: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना और मुद्रा योजना जैसी पहलों ने शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़ाए हैं। इनसे महिलाओं की साक्षरता दर और उद्यमिता में सुधार हुआ है।
सामाजिक दृष्टिकोण: फिर भी, समाज में गहरे पैठी हुई पितृसत्ता का प्रभाव बना हुआ है। कटुवा बलात्कार मामला जैसी घटनाएं इसे उजागर करती हैं।
राजनीतिक भागीदारी: महिलाओं की राजनीति में भागीदारी बढ़ी है, जैसे निर्मला सीतारमण का रक्षा मंत्री के पद पर होना, लेकिन नेतृत्व में लैंगिक समानता अभी भी चुनौतीपूर्ण है।
See less"सांप्रदायिक हिंसा धार्मिक कटटरपंथियों द्वारा भडकायी जाती है. असामाजिक तत्वों द्वारा प्रारंभ की जाती है, राजनैतिक कार्यकर्ताओं द्वारा प्रोत्साहित की जाती है, निहित स्वार्थों द्वारा वित्तपाषित होती है।" टिप्पणी कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
सांप्रदायिक हिंसा और इसके कारक सांप्रदायिक हिंसा एक जटिल सामाजिक समस्या है, जिसे कई कारक प्रभावित करते हैं: धार्मिक कट्टरपंथी: धार्मिक कट्टरपंथी समाज में तनाव और हिंसा को बढ़ावा देते हैं। हाल ही में, भारत के विभिन्न हिस्सों में कट्टरपंथी समूहों द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शनों ने सांप्रदायिक तनाव को जRead more
सांप्रदायिक हिंसा और इसके कारक
सांप्रदायिक हिंसा एक जटिल सामाजिक समस्या है, जिसे कई कारक प्रभावित करते हैं:
धार्मिक कट्टरपंथी: धार्मिक कट्टरपंथी समाज में तनाव और हिंसा को बढ़ावा देते हैं। हाल ही में, भारत के विभिन्न हिस्सों में कट्टरपंथी समूहों द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शनों ने सांप्रदायिक तनाव को जन्म दिया है।
असामाजिक तत्व: असामाजिक तत्व हिंसा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार के हिंसात्मक गतिविधियों में शामिल होते हैं। उदाहरणस्वरूप, 2020 के दिल्ली दंगों में असामाजिक तत्वों की भूमिका प्रमुख रही।
राजनीतिक प्रोत्साहन: कुछ राजनीतिक कार्यकर्ता अपनी चुनावी रणनीति के तहत सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देते हैं। इससे सांप्रदायिक हिंसा को बढ़ावा मिलता है।
निहित स्वार्थ: हिंसा को वित्तीय संसाधन प्राप्त करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा सकता है। यह हिंसा समाज में अस्थिरता को बढ़ावा देती है और विभिन्न समूहों के बीच तनाव को बढ़ा देती है।
See lessनगरीकरण को परिभाषित कीजिये। बढ़ते नगरीकरण से उत्पन्न समस्याओं की विवेचना कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2019]
नगरीकरण (Urbanization) वह प्रक्रिया है जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों से लोग शहरी क्षेत्रों की ओर स्थानांतरित होते हैं, जिससे शहरों की जनसंख्या और क्षेत्रीय विस्तार में वृद्धि होती है। नगरीकरण का मतलब है शहरी जीवन शैली, सुविधाओं, और आर्थिक गतिविधियों का प्रसार और विकास। बढ़ते नगरीकरण से उत्पन्न समस्याएँ1.Read more
नगरीकरण (Urbanization) वह प्रक्रिया है जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों से लोग शहरी क्षेत्रों की ओर स्थानांतरित होते हैं, जिससे शहरों की जनसंख्या और क्षेत्रीय विस्तार में वृद्धि होती है। नगरीकरण का मतलब है शहरी जीवन शैली, सुविधाओं, और आर्थिक गतिविधियों का प्रसार और विकास।
बढ़ते नगरीकरण से उत्पन्न समस्याएँ1. अधिभोग और केंद्रित विकास
बढ़ते नगरीकरण के कारण, शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अत्यधिक बढ़ जाता है, जिससे पर्याप्त संसाधन और अवसंरचना पर दबाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, मुंबई और दिल्ली जैसी महानगरों में यातायात और सार्वजनिक सेवाओं की समस्याएँ बढ़ गई हैं।
2. आवास संकट
शहरी क्षेत्रों में बढ़ती जनसंख्या के कारण, आवास की कमी और भ्रष्टाचार के कारण अनधिकृत बस्तियाँ और झुग्गियाँ बनती हैं। दिल्ली और बेंगलुरू में झुग्गी-झोपड़ी की समस्याएँ बढ़ी हैं, जिनमें स्वच्छता और स्वास्थ्य की स्थिति चिंताजनक है।
3. पर्यावरणीय समस्याएँ
बढ़ते नगरीकरण से वायु और जल प्रदूषण, वनों की कटाई, और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। दिल्ली में वायु गुणवत्ता की गंभीर स्थिति इसका स्पष्ट उदाहरण है, जहाँ वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ी हैं।
4. सामाजिक असमानता
नगरीकरण के साथ आर्थिक असमानता भी बढ़ती है। शहरी क्षेत्रों में समृद्धि और ग़रीबी के बीच अंतर बढ़ जाता है। मुंबई में धारावी जैसी बस्तियों में सामाजिक असमानता की स्थिति स्पष्ट है।
5. सार्वजनिक सेवाओं की कमी
शहरों में बढ़ती जनसंख्या से स्वास्थ्य, शिक्षा, और जल आपूर्ति जैसी सार्वजनिक सेवाओं पर दबाव बढ़ता है। कोरोना महामारी के दौरान, शहरी स्वास्थ्य सुविधाएँ और संविधानिक सेवाएँ की कमी ने प्रमुख समस्याओं को उजागर किया।
इस प्रकार, नगरीकरण के बढ़ते स्तर ने विभिन्न समस्याओं को जन्म दिया है, जिनका समाधान वास्तविक और स्थायी योजनाओं और सार्वजनिक नीतियों के माध्यम से किया जाना आवश्यक है।
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