शहरीकरण की प्रक्रिया समाज के लिए विकास या विनाश है। अपना मत लिखिए । (200 Words) [UPPSC 2023]
शहरी भूमि उपयोग के लिए जल निकायों से भूमि-उद्धार के पर्यावरणीय प्रभाव पारिस्थितिकीय प्रभाव: पर्यावरणीय असंतुलन: जल निकायों से भूमि-उद्धार के कारण पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन पैदा होता है। जल निकायों की कमी से जलवायु में बदलाव और स्थानीय जलवायु प्रणाली प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए, सूरत में भूमRead more
शहरी भूमि उपयोग के लिए जल निकायों से भूमि-उद्धार के पर्यावरणीय प्रभाव
पारिस्थितिकीय प्रभाव:
- पर्यावरणीय असंतुलन: जल निकायों से भूमि-उद्धार के कारण पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन पैदा होता है। जल निकायों की कमी से जलवायु में बदलाव और स्थानीय जलवायु प्रणाली प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए, सूरत में भूमि-उद्धार ने स्थानीय जलवायु में परिवर्तन और गर्मी की वृद्धि को बढ़ावा दिया है।
- पानी की गुणवत्ता में कमी: भूमि-उद्धार से जल निकायों में प्रदूषण और अवसादन बढ़ता है, जिससे पानी की गुणवत्ता प्रभावित होती है। नई दिल्ली में यमुनापार क्षेत्र में भूमि-उद्धार के कारण यमुना नदी में प्रदूषण में वृद्धि देखी गई है।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव:
- विच्छेदन और जलवायु परिवर्तन: जल निकायों की कमी से बाढ़ और सूखा जैसी समस्याओं में वृद्धि होती है। चंडीगढ़ में, भूमि-उद्धार के बाद बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है, जिससे स्थानीय समुदायों को नुकसान हुआ है।
- जैव विविधता का नुकसान: जल निकायों से भूमि-उद्धार से जलीय जीवों और पक्षियों की प्रजातियाँ प्रभावित होती हैं। बेंगलुरु में पुराने तालाबों का भूमि-उद्धार से स्थानीय जैव विविधता को नुकसान पहुँचा है।
इन पर्यावरणीय प्रभावों से बचने के लिए, जल निकायों के संरक्षण और सतत भूमि उपयोग की नीतियाँ अपनाना आवश्यक है।
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शहरीकरण: विकास या विनाश विकासात्मक दृष्टिकोण: शहरीकरण को विकास के एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखा जा सकता है। यह आर्थिक वृद्धि, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने में सहायक होता है। शहरी क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा के अवसर उपलब्ध होते हैं, जो जीवन की गुणवत्ता को सुधाRead more
शहरीकरण: विकास या विनाश
विकासात्मक दृष्टिकोण: शहरीकरण को विकास के एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखा जा सकता है। यह आर्थिक वृद्धि, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने में सहायक होता है। शहरी क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा के अवसर उपलब्ध होते हैं, जो जीवन की गुणवत्ता को सुधारते हैं। उदाहरण के लिए, मेट्रो शहरों में उच्च गुणवत्ता वाले संचार, सड़क और आवास सुविधाएं प्राप्त होती हैं।
आर्थिक अवसर: शहरीकरण रोजगार के नए अवसर उत्पन्न करता है और व्यापार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करता है। शहरी क्षेत्रों में नौकरी के अवसर बढ़ते हैं, जो आर्थिक विकास को गति प्रदान करते हैं।
विनाशात्मक दृष्टिकोण: हालांकि, शहरीकरण की प्रक्रिया में कई चुनौतियाँ भी हैं। अत्यधिक जनसंख्या वृद्धि, विकास की असमानता, और पर्यावरणीय प्रदूषण जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। जैसे कि दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में वायु प्रदूषण और सघन जनसंख्या समस्याएँ हैं, जो जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं।
संतुलित दृष्टिकोण: शहरीकरण का प्रभाव समाज पर निर्भर करता है कि इसे कैसे प्रबंधित किया जाता है। यदि शहरीकरण के साथ योजना, नियंत्रण और सतत विकास के सिद्धांतों का पालन किया जाए, तो यह विकास का एक प्रमुख स्रोत बन सकता है। अन्यथा, यह विनाशकारी भी हो सकता है।
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