नगरीकरण को परिभाषित कीजिये। बढ़ते नगरीकरण से उत्पन्न समस्याओं की विवेचना कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2019]
भारत सरकार द्वारा निर्धनता उन्मूलन के लिए कई कार्यक्रम लागू किए गए हैं, जैसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA), प्रधानमंत्री आवास योजना और जन धन योजना। हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद निर्धनता बनी हुई है, इसके कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं: अवसंरचना की कमी: ग्रामीण क्षेत्Read more
भारत सरकार द्वारा निर्धनता उन्मूलन के लिए कई कार्यक्रम लागू किए गए हैं, जैसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA), प्रधानमंत्री आवास योजना और जन धन योजना। हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद निर्धनता बनी हुई है, इसके कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- अवसंरचना की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी, जैसे अच्छे सड़कें, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र, विकास की गति को बाधित करती है।
- शिक्षा और कौशल की कमी: कई गरीब परिवारों के सदस्य निम्न गुणवत्ता की शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण से वंचित रहते हैं, जिससे उन्हें बेहतर रोजगार के अवसर नहीं मिल पाते।
- सामाजिक असमानता: जाति, लिंग और क्षेत्रीय असमानता निर्धनता को बनाए रखने में योगदान करती है।
- कुप्रशासन और भ्रष्टाचार: कई बार योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थियों तक नहीं पहुंच पाता है, क्योंकि भ्रष्टाचार और कुप्रशासन कार्यान्वयन में बाधा डालते हैं।
इन समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रभावी नीतियों और कार्यान्वयन की आवश्यकता है।
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नगरीकरण (Urbanization) वह प्रक्रिया है जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों से लोग शहरी क्षेत्रों की ओर स्थानांतरित होते हैं, जिससे शहरों की जनसंख्या और क्षेत्रीय विस्तार में वृद्धि होती है। नगरीकरण का मतलब है शहरी जीवन शैली, सुविधाओं, और आर्थिक गतिविधियों का प्रसार और विकास। बढ़ते नगरीकरण से उत्पन्न समस्याएँ1.Read more
नगरीकरण (Urbanization) वह प्रक्रिया है जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों से लोग शहरी क्षेत्रों की ओर स्थानांतरित होते हैं, जिससे शहरों की जनसंख्या और क्षेत्रीय विस्तार में वृद्धि होती है। नगरीकरण का मतलब है शहरी जीवन शैली, सुविधाओं, और आर्थिक गतिविधियों का प्रसार और विकास।
बढ़ते नगरीकरण से उत्पन्न समस्याएँ1. अधिभोग और केंद्रित विकास
बढ़ते नगरीकरण के कारण, शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अत्यधिक बढ़ जाता है, जिससे पर्याप्त संसाधन और अवसंरचना पर दबाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, मुंबई और दिल्ली जैसी महानगरों में यातायात और सार्वजनिक सेवाओं की समस्याएँ बढ़ गई हैं।
2. आवास संकट
शहरी क्षेत्रों में बढ़ती जनसंख्या के कारण, आवास की कमी और भ्रष्टाचार के कारण अनधिकृत बस्तियाँ और झुग्गियाँ बनती हैं। दिल्ली और बेंगलुरू में झुग्गी-झोपड़ी की समस्याएँ बढ़ी हैं, जिनमें स्वच्छता और स्वास्थ्य की स्थिति चिंताजनक है।
3. पर्यावरणीय समस्याएँ
बढ़ते नगरीकरण से वायु और जल प्रदूषण, वनों की कटाई, और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। दिल्ली में वायु गुणवत्ता की गंभीर स्थिति इसका स्पष्ट उदाहरण है, जहाँ वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ी हैं।
4. सामाजिक असमानता
नगरीकरण के साथ आर्थिक असमानता भी बढ़ती है। शहरी क्षेत्रों में समृद्धि और ग़रीबी के बीच अंतर बढ़ जाता है। मुंबई में धारावी जैसी बस्तियों में सामाजिक असमानता की स्थिति स्पष्ट है।
5. सार्वजनिक सेवाओं की कमी
शहरों में बढ़ती जनसंख्या से स्वास्थ्य, शिक्षा, और जल आपूर्ति जैसी सार्वजनिक सेवाओं पर दबाव बढ़ता है। कोरोना महामारी के दौरान, शहरी स्वास्थ्य सुविधाएँ और संविधानिक सेवाएँ की कमी ने प्रमुख समस्याओं को उजागर किया।
इस प्रकार, नगरीकरण के बढ़ते स्तर ने विभिन्न समस्याओं को जन्म दिया है, जिनका समाधान वास्तविक और स्थायी योजनाओं और सार्वजनिक नीतियों के माध्यम से किया जाना आवश्यक है।
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