विधायी कार्यों के संचालन में व्यवस्था एवं निष्पक्षता बनाए रखने में और सर्वोत्तम लोकतांत्रिक परम्पराओं को सुगम बनाने में राज्य विधायिकाओं के पीठासीन अधिकारियों की भूमिका की विवेचना कीजिए । (150 words)[UPSC 2023]
भारत के राज्य शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) को सशक्त बनाने में अनिच्छा कार्यात्मक सशक्तिकरण में कमी: "केन्द्रीयकरण की प्रवृत्ति": भारतीय राज्यों में प्रशासनिक शक्ति का केंद्रीकरण अधिक होता है, जिससे शहरी स्थानीय निकायों की स्वायत्तता सीमित रहती है। उदाहरण के लिए, शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे पानी की आपूरRead more
भारत के राज्य शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) को सशक्त बनाने में अनिच्छा
कार्यात्मक सशक्तिकरण में कमी:
- “केन्द्रीयकरण की प्रवृत्ति”: भारतीय राज्यों में प्रशासनिक शक्ति का केंद्रीकरण अधिक होता है, जिससे शहरी स्थानीय निकायों की स्वायत्तता सीमित रहती है। उदाहरण के लिए, शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे पानी की आपूर्ति और कचरा प्रबंधन पर राज्य का नियंत्रण अधिक होता है।
- “कार्यभार का अपर्याप्त वितरण”: कई राज्यों ने शहरी स्थानीय निकायों को महत्वपूर्ण कार्य जैसे शहरी नियोजन और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन का पूरा नियंत्रण नहीं सौंपा है, जिससे स्थानीय प्रशासन की क्षमता प्रभावित होती है।
वित्तीय सशक्तिकरण में कमी:
- “वित्तीय वितरण की कमी”: शहरी स्थानीय निकायों को राज्यों द्वारा पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं मिलते, जिससे उनके कार्यान्वयन और रखरखाव की क्षमता प्रभावित होती है। राज्य वित्त आयोग की सिफारिशें अक्सर पर्याप्त नहीं होतीं।
- “राजस्व सृजन में बाधाएँ”: स्थानीय निकायों को सीमित राजस्व सृजन की शक्तियाँ होती हैं, और वे राज्य हस्तांतरण पर निर्भर रहती हैं। इस पर निर्भरता और राज्यों द्वारा वित्तीय हस्तांतरण में देरी से वित्तीय समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
निष्कर्ष: राज्यों की शहरी स्थानीय निकायों को कार्यात्मक और वित्तीय सशक्त बनाने में अनिच्छा स्थानीय शासन की प्रभावशीलता को प्रभावित करती है। स्थानीय निकायों को अधिक स्वायत्तता और वित्तीय संसाधन प्रदान करना आवश्यक है ताकि वे शहरी विकास की चुनौतियों का बेहतर ढंग से समाधान कर सकें।
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राज्य विधायिकाओं के पीठासीन अधिकारियों की भूमिका विधायी कार्यों की व्यवस्था: "संचालन की निगरानी": पीठासीन अधिकारी, जैसे विधानसभा अध्यक्ष या सभापति, विधायी सत्रों की व्यवस्था सुनिश्चित करते हैं। वे सदन की बैठकें संचालित करते हैं, और कार्यवाही को सुचारू और प्रभावी बनाए रखते हैं। "निर्देशन और समन्वय":Read more
राज्य विधायिकाओं के पीठासीन अधिकारियों की भूमिका
विधायी कार्यों की व्यवस्था:
निष्पक्षता बनाए रखना:
निष्कर्ष: राज्य विधायिकाओं के पीठासीन अधिकारी विधायी कार्यों में व्यवस्था और निष्पक्षता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी कार्यक्षमता और निष्पक्षता लोकतांत्रिक परम्पराओं को मजबूत करने में सहायक होती है।
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