प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2023] भारतीय संसद संविधान में संशोधन तो कर सकती है, परन्तु इसके मूल ढांचे में नहीं” चर्चा करें।
राज्यों में विधान परिषद के सृजन और उन्मूलन की प्रक्रिया **1. सृजन की प्रक्रिया राज्यों में विधान परिषद के सृजन के लिए राज्य विधान सभा में एक संकल्प पारित किया जाता है। इसके बाद, यह संकल्प केंद्र सरकार को भेजा जाता है। केंद्र सरकार के द्वारा लोकसभा और राज्यसभा में एक अधिनियम पारित करने के बाद विधान पRead more
राज्यों में विधान परिषद के सृजन और उन्मूलन की प्रक्रिया
**1. सृजन की प्रक्रिया
राज्यों में विधान परिषद के सृजन के लिए राज्य विधान सभा में एक संकल्प पारित किया जाता है। इसके बाद, यह संकल्प केंद्र सरकार को भेजा जाता है। केंद्र सरकार के द्वारा लोकसभा और राज्यसभा में एक अधिनियम पारित करने के बाद विधान परिषद की स्थापना होती है। तेलंगाना का विधान परिषद 2014 में इसी प्रक्रिया के तहत बना था।
**2. उन्मूलन की प्रक्रिया
विधान परिषद के उन्मूलन के लिए भी राज्य विधान सभा में एक संकल्प पारित किया जाता है। यह संकल्प केंद्र सरकार को भेजा जाता है, और केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा और राज्यसभा में एक अधिनियम पारित करने के बाद विधान परिषद समाप्त होती है।
**3. आंध्र प्रदेश के कारण
आंध्र प्रदेश विधान सभा ने 2020 में विधान परिषद को समाप्त करने का प्रस्ताव पेश किया। इसके मुख्य कारण थे अप्रभावशीलता और उच्च खर्च। राज्य सरकार का तर्क था कि विधान परिषद विधायी प्रक्रिया में बाधा डाल रही थी और इससे शासन में सुधार के लिए इसे समाप्त किया जाना चाहिए।
सारांश में, विधान परिषद के सृजन और उन्मूलन की प्रक्रिया राज्य विधान सभा के संकल्प और केंद्र सरकार के अधिनियम की आवश्यकता होती है। आंध्र प्रदेश ने इसे उच्च खर्च और अव्यवहारिकता के कारण समाप्त करने का प्रस्ताव किया।
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परिचय: भारतीय संविधान विश्व का सबसे विस्तृत संविधान है और इसकी संरचना में लचीलापन और स्थायित्व का अनूठा मिश्रण है। संविधान की धारा 368 के अंतर्गत संसद को संविधान संशोधन की शक्ति दी गई है। हालांकि, मूल ढांचा सिद्धांत के अनुसार, संसद संविधान में संशोधन तो कर सकती है, लेकिन इसके मूल ढांचे में परिवर्तनRead more
परिचय: भारतीय संविधान विश्व का सबसे विस्तृत संविधान है और इसकी संरचना में लचीलापन और स्थायित्व का अनूठा मिश्रण है। संविधान की धारा 368 के अंतर्गत संसद को संविधान संशोधन की शक्ति दी गई है। हालांकि, मूल ढांचा सिद्धांत के अनुसार, संसद संविधान में संशोधन तो कर सकती है, लेकिन इसके मूल ढांचे में परिवर्तन नहीं कर सकती। यह सिद्धांत संविधान की स्थिरता और उसके बुनियादी सिद्धांतों की रक्षा करता है।
मूल ढांचा सिद्धांत का उदय:
समकालीन उदाहरण:
निष्कर्ष: भारतीय संविधान का मूल ढांचा सिद्धांत लोकतंत्र, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, संघीयता और मौलिक अधिकारों जैसे तत्वों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच प्रदान करता है। संसद को संविधान में संशोधन करने का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार असीमित नहीं है। मूल ढांचा सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि संविधान की आत्मा संरक्षित रहे, और कोई भी संशोधन संविधान के बुनियादी सिद्धांतों को कमजोर न करे। वर्तमान में, संवैधानिक संशोधनों के संदर्भ में इस सिद्धांत का महत्व और भी बढ़ गया है, क्योंकि यह भारतीय लोकतंत्र की स्थिरता और अखंडता की रक्षा करता है।
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