प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2023] भारतीय संसद संविधान में संशोधन तो कर सकती है, परन्तु इसके मूल ढांचे में नहीं” चर्चा करें।
भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की भूमिका **1. मानवाधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), 1993 में स्थापित, मानवाधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन के लिए जिम्मेदार है। यह शिकायतों और आरोपों की जांच करता है, जैसे पुलिस अत्याचार और कैदियों की मौत। **2. सलाहकारी भूमिका NHRC सरकRead more
भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की भूमिका
**1. मानवाधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), 1993 में स्थापित, मानवाधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन के लिए जिम्मेदार है। यह शिकायतों और आरोपों की जांच करता है, जैसे पुलिस अत्याचार और कैदियों की मौत।
**2. सलाहकारी भूमिका
NHRC सरकार को नीति बदलाव और कानूनी सुधारों पर सिफारिशें प्रदान करता है। हाल ही में, इसने सजायाफ्ता कैदियों की स्थिति में सुधार के लिए सिफारिश की है।
**3. जन जागरूकता और शिक्षा
NHRC जन जागरूकता बढ़ाने और शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रचार अभियान, सेमिनार और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है। बाल श्रम और मानव तस्करी के खिलाफ अभियान इसका उदाहरण हैं।
**4. निगरानी और जवाबदेही
NHRC मानवाधिकार मानदंडों की निगरानी करता है और राज्य एजेंसियों की जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
सारांश में, NHRC मानवाधिकार सुरक्षा, सलाहकारी भूमिका, जन जागरूकता, और निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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परिचय: भारतीय संविधान विश्व का सबसे विस्तृत संविधान है और इसकी संरचना में लचीलापन और स्थायित्व का अनूठा मिश्रण है। संविधान की धारा 368 के अंतर्गत संसद को संविधान संशोधन की शक्ति दी गई है। हालांकि, मूल ढांचा सिद्धांत के अनुसार, संसद संविधान में संशोधन तो कर सकती है, लेकिन इसके मूल ढांचे में परिवर्तनRead more
परिचय: भारतीय संविधान विश्व का सबसे विस्तृत संविधान है और इसकी संरचना में लचीलापन और स्थायित्व का अनूठा मिश्रण है। संविधान की धारा 368 के अंतर्गत संसद को संविधान संशोधन की शक्ति दी गई है। हालांकि, मूल ढांचा सिद्धांत के अनुसार, संसद संविधान में संशोधन तो कर सकती है, लेकिन इसके मूल ढांचे में परिवर्तन नहीं कर सकती। यह सिद्धांत संविधान की स्थिरता और उसके बुनियादी सिद्धांतों की रक्षा करता है।
मूल ढांचा सिद्धांत का उदय:
समकालीन उदाहरण:
निष्कर्ष: भारतीय संविधान का मूल ढांचा सिद्धांत लोकतंत्र, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, संघीयता और मौलिक अधिकारों जैसे तत्वों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच प्रदान करता है। संसद को संविधान में संशोधन करने का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार असीमित नहीं है। मूल ढांचा सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि संविधान की आत्मा संरक्षित रहे, और कोई भी संशोधन संविधान के बुनियादी सिद्धांतों को कमजोर न करे। वर्तमान में, संवैधानिक संशोधनों के संदर्भ में इस सिद्धांत का महत्व और भी बढ़ गया है, क्योंकि यह भारतीय लोकतंत्र की स्थिरता और अखंडता की रक्षा करता है।
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