101 वें संविधान संशोधन अधिनियम का महत्व समझाइए। यह किस हद तक संघवाद के समावेशी भावना को दर्शाता है ? (250 words) [UPSC 2023]
42वें भारतीय संशोधन का संविधान का पुनः लेखन 1. वृहद परिवर्तन: 42वां संशोधन (1976) भारतीय संविधान में व्यापक और गहरे बदलाव लाया, जो इसे "संविधान का पुनः लेखन" का दर्जा देता है। इस संशोधन ने संविधान की प्रस्तावना को संशोधित किया और सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और सर्वजन कल्याण जैसे मूल्यों को स्थापितRead more
42वें भारतीय संशोधन का संविधान का पुनः लेखन
1. वृहद परिवर्तन: 42वां संशोधन (1976) भारतीय संविधान में व्यापक और गहरे बदलाव लाया, जो इसे “संविधान का पुनः लेखन” का दर्जा देता है। इस संशोधन ने संविधान की प्रस्तावना को संशोधित किया और सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और सर्वजन कल्याण जैसे मूल्यों को स्थापित किया।
2. संसदीय और कानूनी बदलाव: संशोधन ने संसदीय प्रणाली में भी बदलाव किए। इसमें केंद्र-राज्य संबंध, संविधान के भागों की पुनर्रचना और सुप्रीम कोर्ट की अधिकारिता को प्रभावित करने वाले कई प्रावधान जोड़े गए।
3. संविधान की संरचना में बदलाव: संशोधन ने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों में बदलाव किया, जिससे कई धारा और धारणाओं को नया स्वरूप मिला।
4. प्रस्तावना में परिवर्तन: प्रस्तावना में “समाजवाद”, “धर्मनिरपेक्षता” और “गणतंत्र” के सिद्धांतों को शामिल किया गया, जिससे संविधान की मूल भावना और उद्देश्य को स्पष्ट किया गया।
निष्कर्ष: 42वां संशोधन संविधान के संरचनात्मक और वैधानिक बदलाव के कारण संविधान का “पुनः लेखन” कहा जाता है, जो भारतीय राज्य की प्रशासनिक और सामाजिक दिशा को पुनः परिभाषित करता है।
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101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2021, भारतीय संघीय ढांचे में एक महत्वपूर्ण सुधार है, जो मुख्यतः निर्वाचन क्षेत्रों की परिसीमन और अनुसूचित जातियों (SCs) तथा अनुसूचित जनजातियों (STs) के लिए आरक्षित सीटों से संबंधित है। इसके महत्व और संघवाद की समावेशी भावना को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकतRead more
101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2021, भारतीय संघीय ढांचे में एक महत्वपूर्ण सुधार है, जो मुख्यतः निर्वाचन क्षेत्रों की परिसीमन और अनुसूचित जातियों (SCs) तथा अनुसूचित जनजातियों (STs) के लिए आरक्षित सीटों से संबंधित है। इसके महत्व और संघवाद की समावेशी भावना को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:
महत्व
संघवाद की समावेशी भावना
इस प्रकार, 101वें संविधान संशोधन अधिनियम का महत्व राजनीतिक प्रतिनिधित्व की स्थिरता और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने में है, और यह संघवाद की समावेशी भावना को प्रकट करता है।
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