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केंद्रीय सतर्कता आयोग के गठन व कार्यों का वर्णन करते हुए इसकी सीमाओं का विश्लेषण कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
केंद्रीय सतर्कता आयोग: गठन, कार्य और सीमाएँ 1. केंद्रीय सतर्कता आयोग का गठन (Formation): संरचना: केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) का गठन सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 के तहत किया गया था। इसमें एक मुख्य सतर्कता आयुक्त (CVC) और दो सतर्कता आयुक्त होते हैं, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, और नियुक्Read more
केंद्रीय सतर्कता आयोग: गठन, कार्य और सीमाएँ
1. केंद्रीय सतर्कता आयोग का गठन (Formation):
2. केंद्रीय सतर्कता आयोग के कार्य (Functions):
3. सीमाएँ (Limitations):
निष्कर्ष: केंद्रीय सतर्कता आयोग भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने और पारदर्शिता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन इसके सीमित अधिकारक्षेत्र और अन्य एजेंसियों पर निर्भरता इसकी कार्यक्षमता को प्रभावित करती है।
See lessभारतीय संसद की कार्यप्रणाली में संसदीय समितियों की भूमिका का वर्णन करें। (125 Words) [UPPSC 2021]
भारतीय संसद की कार्यप्रणाली में संसदीय समितियों की भूमिका 1. विस्तृत समीक्षा: संसदीय समितियाँ विधेयकों और नीतियों की विस्तृत समीक्षा करती हैं। उदाहरण के लिए, लोक लेखा समिति (PAC) ने कोविड-19 वैक्सीन खरीद की प्रक्रिया की जांच की, जिससे सरकारी खर्चों की पारदर्शिता सुनिश्चित की गई। 2. निगरानी और जवाबदेRead more
भारतीय संसद की कार्यप्रणाली में संसदीय समितियों की भूमिका
1. विस्तृत समीक्षा: संसदीय समितियाँ विधेयकों और नीतियों की विस्तृत समीक्षा करती हैं। उदाहरण के लिए, लोक लेखा समिति (PAC) ने कोविड-19 वैक्सीन खरीद की प्रक्रिया की जांच की, जिससे सरकारी खर्चों की पारदर्शिता सुनिश्चित की गई।
2. निगरानी और जवाबदेही: ये समितियाँ कार्यकारी कार्यों और कानूनों के अनुपालन पर निगरानी रखती हैं। गृह मामलों की स्थायी समिति आंतरिक सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा से संबंधित नीतियों की निगरानी करती है, जिससे जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
3. नीति सिफारिशें: संसदीय समितियाँ विभिन्न मुद्दों पर नीति सिफारिशें प्रदान करती हैं। व्यक्तिगत डेटा संरक्षण बिल पर संयुक्त समिति ने डेटा गोपनीयता को मजबूत करने के लिए सिफारिशें कीं।
4. विशेषज्ञ इनपुट: समितियाँ विशेषज्ञों और जनता से इनपुट प्राप्त करती हैं। कृषि कानूनों पर चयनित समिति ने विविध दृष्टिकोणों को शामिल करके सिफारिशें प्रस्तुत कीं।
निष्कर्ष: संसदीय समितियाँ भारतीय संसद की कार्यप्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, विधायी प्रभावशीलता को बढ़ावा देती हैं, निगरानी सुनिश्चित करती हैं, और सूचित निर्णय लेने में सहायता करती हैं।
See lessभारतीय राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों के प्रभाव और भूमिका का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2021]
भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों का प्रभाव और भूमिका 1. चुनावी भागीदारी: राजनीतिक दल चुनावों का आयोजन और मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। उदाहरण स्वरूप, भाजपा और कांग्रेस देश की प्रमुख चुनावी ताकतें हैं, जो राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर राजनीतिक दिशा निर्धारित करती हैं। 2. नीति निर्माRead more
भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों का प्रभाव और भूमिका
1. चुनावी भागीदारी: राजनीतिक दल चुनावों का आयोजन और मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। उदाहरण स्वरूप, भाजपा और कांग्रेस देश की प्रमुख चुनावी ताकतें हैं, जो राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर राजनीतिक दिशा निर्धारित करती हैं।
2. नीति निर्माण: दल नीतियों का निर्माण और प्रचार करते हैं। भाजपा का “मेक इन इंडिया” अभियान इसका उदाहरण है, जो उद्योग और रोजगार को बढ़ावा देने की दिशा में है।
3. प्रतिनिधित्व और जवाबदेही: राजनीतिक दल विभिन्न सामाजिक और आर्थिक हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हालांकि, वंशवाद और आंतरिक गुटबंदी, जैसे कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर कर सकते हैं।
4. चुनौतियाँ और आलोचना: राजनीतिक दलों पर भ्रष्टाचार, मतदाता बैंक की राजनीति, और अधूरे वादों की आलोचना होती है। आप (AAP) की सफलता ने पारंपरिक दलों के प्रति असंतोष को उजागर किया, और पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को स्पष्ट किया।
निष्कर्ष: भारतीय लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की महत्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन उनकी प्रभावशीलता उनके नैतिक और लोकतांत्रिक प्रतिबद्धता पर निर्भर करती है।
See lessनीति आयोग के लक्ष्य हैं? इसके तीन वर्षीय कार्य योजना को समझाइये। (125 Words) [UPPSC 2020]
नीति आयोग के लक्ष्य 1. नीति निर्धारण और समन्वय: नीति आयोग का प्रमुख उद्देश्य समन्वित नीति निर्माण और विकासात्मक योजनाओं को बढ़ावा देना है। यह केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग को सशक्त बनाता है। 2. समावेशी विकास को प्रोत्साहन: समावेशी और समान विकास के लिए यह प्रयास करता है, जिसमें सभी सामाजिक वर्गों कोRead more
नीति आयोग के लक्ष्य
1. नीति निर्धारण और समन्वय: नीति आयोग का प्रमुख उद्देश्य समन्वित नीति निर्माण और विकासात्मक योजनाओं को बढ़ावा देना है। यह केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग को सशक्त बनाता है।
2. समावेशी विकास को प्रोत्साहन: समावेशी और समान विकास के लिए यह प्रयास करता है, जिसमें सभी सामाजिक वर्गों को लाभ मिल सके।
3. क्षेत्रीय विकास: क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने और संतुलित विकास को बढ़ावा देने का प्रयास करता है।
तीन वर्षीय कार्य योजना
1. आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा: निवेश और उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए नीतियां तैयार की जाती हैं, जैसे अटल आवास योजना के तहत शहरी और ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारना।
2. शासन में सुधार: डिजिटल परिवर्तन और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं बनाई जाती हैं, जैसे ई-गवर्नेंस और सार्वजनिक सेवाओं का डिजिटलीकरण।
3. सतत विकास को बढ़ावा: पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उपाय, जैसे प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का विस्तार।
इन पहलों के माध्यम से नीति आयोग समावेशी और सतत विकास को सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।
See less"सूचना अधिकार अधिनियम ने लोकसेवकों को स्टील फ्रेम के बाहर आकर निष्ठापूर्वक जनता की सेवा करने के लिये बाध्य किया है।" व्याख्या करें। (200 Words) [UPPSC 2020]
सूचना अधिकार अधिनियम और लोकसेवकों की भूमिका 1. सूचना अधिकार अधिनियम (RTI) का परिचय: सूचना अधिकार अधिनियम 2005 में लागू हुआ, जिसका उद्देश्य लोकसेवकों और सार्वजनिक अधिकारियों से सूचना प्राप्त करना सुलभ बनाना है। यह कानून नागरिकों को सूचना तक पहुंच का अधिकार प्रदान करता है और पारदर्शिता और जवाबदेही कोRead more
सूचना अधिकार अधिनियम और लोकसेवकों की भूमिका
1. सूचना अधिकार अधिनियम (RTI) का परिचय:
सूचना अधिकार अधिनियम 2005 में लागू हुआ, जिसका उद्देश्य लोकसेवकों और सार्वजनिक अधिकारियों से सूचना प्राप्त करना सुलभ बनाना है। यह कानून नागरिकों को सूचना तक पहुंच का अधिकार प्रदान करता है और पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देता है।
2. स्टील फ्रेम के बाहर आना:
सूचना अधिकार अधिनियम ने लोकसेवकों को पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों के प्रति संवेदनशील किया है। पहले स्टील फ्रेम के रूप में जाने जाने वाले लोकसेवक अब जनता की सेवा के प्रति अधिक निष्ठावान और जवाबदेह बन गए हैं।
2023 में, RTI आवेदन के माध्यम से, दिल्ली में दिल्ली सरकार द्वारा कोविड-19 राहत फंड की वित्तीय प्रबंधन की जानकारी प्राप्त की गई। इससे सार्वजनिक धन के सदुपयोग पर पारदर्शिता सुनिश्चित हुई।
3. निष्ठापूर्वक सेवा का उदाहरण:
RTI का उपयोग करके नागरिकों ने शासन की नीतियों और फैसलों पर प्रभावी सवाल उठाए हैं। 2019 में, RTI के तहत प्राप्त जानकारी ने आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों के बारे में सामान्य जानकारी सार्वजनिक की।
RTI ने सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता और प्रशासनिक कार्यप्रणाली में सुधार को प्रोत्साहित किया है, जिससे लोकसेवकों को सहयोगी और निष्पक्ष तरीके से काम करने की आदत पड़ी है।
निष्कर्ष:
See lessसूचना अधिकार अधिनियम ने लोकसेवकों को स्टील फ्रेम के बाहर निकलकर निष्ठापूर्वक जनता की सेवा करने के लिए बाध्य किया है। यह कानून पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
भारतीय राजनीति में प्रमुख दबाव समूहों की पहचान कीजिये और भारत की राजनीति में उनकी भूमिका का परीक्षण कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
भारतीय राजनीति में प्रमुख दबाव समूहों की पहचान और उनकी भूमिका 1. प्रमुख दबाव समूह: व्यापारिक और उद्योग संघ: फिक्की (FICCI), सीआईआई (CII), और एसोचैम (ASSOCHAM) जैसे प्रमुख व्यापारिक संघ भारत में उद्योग और व्यापार की नीतियों पर प्रभाव डालते हैं। ये संघ नीति निर्माण, कर नीति, और वाणिज्यिक नियमों पर सिफRead more
भारतीय राजनीति में प्रमुख दबाव समूहों की पहचान और उनकी भूमिका
1. प्रमुख दबाव समूह:
फिक्की (FICCI), सीआईआई (CII), और एसोचैम (ASSOCHAM) जैसे प्रमुख व्यापारिक संघ भारत में उद्योग और व्यापार की नीतियों पर प्रभाव डालते हैं। ये संघ नीति निर्माण, कर नीति, और वाणिज्यिक नियमों पर सिफारिशें प्रस्तुत करते हैं।
भारतीय किसान संघ (BKS), आल इंडिया किसान सभा (AIKS), और सर्व मजदूर संगठन जैसे संगठनों का किसान नीतियों और श्रमिक अधिकारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव है। 2020-21 में, किसान आंदोलन ने कृषि कानूनों के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन किया।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आयोग और सर्व समाज संगठन सामाजिक न्याय और आरक्षण नीतियों के मामलों में प्रभावी हैं। 2023 में, ST/SC आयोग ने आरक्षण के विस्तार की सिफारिश की।
2. इनकी भूमिका का परीक्षण:
ये दबाव समूह नीति निर्माण में प्रभाव डालते हैं, उदाहरण के लिए, FICCI और CII ने किसान सुधार कानून पर सिफारिशें की, जबकि किसान संघ ने इसके विरोध में सड़क पर उतरे।
ST/SC संगठनों का सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान है, जैसे आरक्षण और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को बढ़ावा देना।
श्रमिक और किसान संघ चुनावी राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 2024 के आम चुनाव में, किसान और श्रमिक वर्ग की मांगें राजनीतिक दलों द्वारा प्राथमिकता में रखी गईं।
निष्कर्ष:
See lessप्रमुख दबाव समूह भारतीय राजनीति में नीति निर्माण, सामाजिक न्याय, और चुनाव राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये समूह नीतियों पर प्रभाव डालते हैं और समाज के विभिन्न हिस्सों की आवाज को प्रभात बनाते हैं।
वित्त आयोग के क्या कार्य हैं? राजकोषीय संघवाद में इसकी उभरती भूमिका की समीक्षा कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
वित्त आयोग के कार्य और राजकोषीय संघवाद में उभरती भूमिका की समीक्षा 1. वित्त आयोग के कार्य: राजस्व वितरण: वित्त आयोग का मुख्य कार्य केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व का वितरण तय करना है। यह आयोग संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत गठित होता है और राजस्व के साझा अधिकार और वित्तीय संसाधनों की सिफारिश करता है।Read more
वित्त आयोग के कार्य और राजकोषीय संघवाद में उभरती भूमिका की समीक्षा
1. वित्त आयोग के कार्य:
वित्त आयोग का मुख्य कार्य केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व का वितरण तय करना है। यह आयोग संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत गठित होता है और राजस्व के साझा अधिकार और वित्तीय संसाधनों की सिफारिश करता है।
आयोग केंद्र सरकार को राज्यों को वित्तीय सहायता और अनुदान की सिफारिश करता है, जिससे राज्यों को विकासात्मक परियोजनाओं के लिए आवश्यक संसाधन मिल सकें।
वित्त आयोग राज्यों के वित्तीय प्रबंधन और सदुपयोग पर सिफारिशें करता है, जिससे राजकोषीय अनुशासन सुनिश्चित हो सके।
2. राजकोषीय संघवाद में उभरती भूमिका की समीक्षा:
हाल के वर्षों में, 2021-22 के वित्त आयोग ने राज्य वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए कई सिफारिशें की हैं, जिससे राज्यों को अधिक स्वतंत्रता और संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
आयोग ने आय और व्यय के असंतुलन को कम करने के लिए फाइनेंसियल असिस्टेंस और अनुदान की सिफारिश की है। वित्त आयोग की 15वीं रिपोर्ट ने सर्वजनिक वितरण प्रणाली और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अतिरिक्त सहायता की सिफारिश की।
2024 में वित्त आयोग ने COVID-19 महामारी के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए विशेष वित्तीय सहायता की सिफारिश की, जिससे राज्यों को स्वास्थ्य और राहत कार्य के लिए अतिरिक्त संसाधन प्राप्त हो सके।
निष्कर्ष:
See lessवित्त आयोग के कार्य राजस्व वितरण, अनुदान, और वित्तीय अनुशासन को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण हैं। राजकोषीय संघवाद में इसका उभरता हुआ योगदान राज्यों की वित्तीय स्थिति को सुधारने और आर्थिक असंतुलन को कम करने में सहायक साबित हो रहा है।
एक संस्था के रूप में चुनाव आयोग द्वारा वर्तमान में किन किन समस्याओं का सामना किया जा रहा है? इसक समाधान का भी उल्लेख कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
एक संस्था के रूप में चुनाव आयोग द्वारा वर्तमान में समस्याएँ और समाधान 1. समस्याएँ: मतदाता की पहचान में समस्याएँ: हाल के वर्षों में, मतदाता सूची में गलतियाँ और डुप्लीकेट प्रविष्टियाँ एक आम समस्या रही हैं। उदाहरण के तौर पर, 2023 में कई राज्यों में मतदाता सूची में त्रुटियाँ की शिकायतें आईं, जिससे सटीकRead more
एक संस्था के रूप में चुनाव आयोग द्वारा वर्तमान में समस्याएँ और समाधान
1. समस्याएँ:
हाल के वर्षों में, मतदाता सूची में गलतियाँ और डुप्लीकेट प्रविष्टियाँ एक आम समस्या रही हैं। उदाहरण के तौर पर, 2023 में कई राज्यों में मतदाता सूची में त्रुटियाँ की शिकायतें आईं, जिससे सटीक मतदाता पहचान में समस्याएँ उत्पन्न हुईं।
चुनावी अभियानों में नकली प्रचार, हेरफेर, और भ्रष्टाचार की समस्या बढ़ी है। 2024 के लोकसभा चुनाव में, राजनीतिक दलों द्वारा ब्लैक मनी और विज्ञापन पर खर्च की रिपोर्टें आईं।
चुनावों के दौरान सुरक्षा और हिंसा की घटनाएँ भी बढ़ रही हैं। पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव के दौरान, हिंसात्मक घटनाओं की कई रिपोर्टें सामने आईं।
2. समाधान:
चुनाव आयोग को डिजिटल डेटाबेस और नियमित अद्यतन के माध्यम से मतदाता सूची में सही जानकारी सुनिश्चित करनी चाहिए। ई-मतदाता पंजीकरण और विज्ञापन अभियान को बढ़ावा दिया जा सकता है।
सभी राजनीतिक दलों के लिए पारदर्शिता और फंडिंग की निगरानी को सख्त करने के लिए नए कानूनी प्रावधान लाने चाहिए। आयकर विभाग और चुनाव आयोग को संयुक्त रूप से काम करने की जरूरत है।
चुनावों के दौरान सुरक्षा बलों की तैनाती को मजबूत किया जाए और हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जाए। पूर्व-चुनाव सुरक्षा प्लान और फिर से प्रशिक्षण का आयोजन किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष:
See lessचुनाव आयोग को वर्तमान में मतदाता पहचान, चुनावी भ्रष्टाचार, और सुरक्षा से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन समस्याओं के समाधान के लिए डिजिटल समाधान, चुनाव सुधार, और सुरक्षा उपाय पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
"लोकहित का प्रत्येक मामला, लोकहित वाद का मामला नहीं होता।" मूल्यांकन कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
"लोकहित का प्रत्येक मामला, लोकहित वाद का मामला नहीं होता": मूल्यांकन 1. लोकहित वाद (Public Interest Litigation - PIL): लोकहित वाद एक कानूनी उपकरण है जो न्यायपालिका को समाज के सामान्य हित और मूलभूत अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभाने की अनुमति देता है। इसका उद्देश्य सामाजिक न्याय और पारदर्शRead more
“लोकहित का प्रत्येक मामला, लोकहित वाद का मामला नहीं होता”: मूल्यांकन
1. लोकहित वाद (Public Interest Litigation – PIL):
लोकहित वाद एक कानूनी उपकरण है जो न्यायपालिका को समाज के सामान्य हित और मूलभूत अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभाने की अनुमति देता है। इसका उद्देश्य सामाजिक न्याय और पारदर्शिता को बढ़ावा देना है।
2. लोकहित और लोकहित वाद में अंतर:
3. प्रभाव और चुनौतियाँ:
निष्कर्ष:
See lessलोकहित का हर मामला लोकहित वाद का मामला नहीं होता। PIL को सामाजिक कल्याण और मूलभूत अधिकारों की रक्षा के लिए ही सीमित करना चाहिए, ताकि इसका उचित प्रभाव और सकारात्मक उपयोग सुनिश्चित हो सके।
अनुच्छेद 32 भारत के संविधान की आत्मा है।' संक्षेप में व्याख्या कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2020]
"अनुच्छेद 32 भारत के संविधान की आत्मा है": संक्षेप में व्याख्या 1. अनुच्छेद 32 का महत्व: अनुच्छेद 32 भारतीय संविधान का अत्यंत महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो मूलभूत अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी प्रदान करता है। इसके तहत, नागरिक सुप्रीम कोर्ट में हैबियस कॉर्पस याचिका दाखिल कर सकते हैं यदि उनके मूलभूत अधिकRead more
“अनुच्छेद 32 भारत के संविधान की आत्मा है”: संक्षेप में व्याख्या
1. अनुच्छेद 32 का महत्व:
अनुच्छेद 32 भारतीय संविधान का अत्यंत महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो मूलभूत अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी प्रदान करता है। इसके तहत, नागरिक सुप्रीम कोर्ट में हैबियस कॉर्पस याचिका दाखिल कर सकते हैं यदि उनके मूलभूत अधिकार का उल्लंघन हो।
2. संविधान की आत्मा:
3. हालिया उदाहरण:
2020 में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में मूलभूत अधिकारों की रक्षा की, जैसे वेतन और कार्यस्थल सुरक्षा को लेकर निर्णय, जो अनुच्छेद 32 के महत्व को दर्शाता है।
निष्कर्ष:
See lessअनुच्छेद 32 भारतीय संविधान का मूल आधार है क्योंकि यह नागरिकों को मूलभूत अधिकारों की सुरक्षा प्रदान करता है और सुप्रीम कोर्ट को अधिकारों की रक्षा में सशक्त बनाता है।