भारतीय संविधान के “आधारभूत ढांचा सिद्धान्त” के विकास एवं प्रभाव की विवेचना कीजिए। (200 Words) [UPPSC 2022]
भारतीय संविधान, जो विश्व भर के विभिन्न संविधानों के तत्वों का मिश्रण है, अपने व्यापक और समावेशी प्रावधानों के माध्यम से सामाजिक न्याय, बहुलवाद और समानता की अवधारणाओं को आत्मसात करता है। संविधान की प्रस्तावना, जो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की गारंटी देती है, भारतीय लोकतंत्र की मूलभूत मान्यताओंRead more
भारतीय संविधान, जो विश्व भर के विभिन्न संविधानों के तत्वों का मिश्रण है, अपने व्यापक और समावेशी प्रावधानों के माध्यम से सामाजिक न्याय, बहुलवाद और समानता की अवधारणाओं को आत्मसात करता है। संविधान की प्रस्तावना, जो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की गारंटी देती है, भारतीय लोकतंत्र की मूलभूत मान्यताओं को दर्शाती है।
सामाजिक न्याय की दिशा में, भारतीय संविधान विशेष रूप से अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित नौकरियों और शिक्षा के अवसरों की व्यवस्था करता है। अनुच्छेद 15 और 16 जाति, धर्म, लिंग, या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करते हैं। इसके अतिरिक्त, सामाजिक और आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए विभिन्न योजनाएं और कानून बनाए गए हैं।
बहुलवाद को अपनाने में, भारतीय संविधान विभिन्न धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक समूहों के अधिकारों की रक्षा करता है। अनुच्छेद 29 और 30 अल्पसंख्यक समुदायों को अपनी संस्कृति, भाषा और शिक्षा के अधिकार प्रदान करते हैं। यह बहुलवादी संस्कृति को प्रोत्साहित करता है और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देता है।
समानता की दिशा में, संविधान का अनुच्छेद 14 सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है और कानून के समक्ष समानता की गारंटी करता है। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि किसी भी व्यक्ति को उसके धर्म, जाति, लिंग, या सामाजिक स्थिति के आधार पर भेदभाव का सामना न करना पड़े।
इन प्रावधानों के माध्यम से, भारतीय संविधान न केवल विश्व के विभिन्न संविधानों से प्रेरित है, बल्कि अपने अद्वितीय दृष्टिकोण से सामाजिक न्याय, बहुलवाद और समानता को मजबूत करता है, जो भारतीय समाज की विविधता और समृद्धि को प्रतिबिंबित करता है।
See less
भारतीय संविधान के "आधारभूत ढांचा सिद्धान्त" के विकास एवं प्रभाव की विवेचना विकास: प्रस्तावना: "आधारभूत ढांचा सिद्धान्त" (Basic Structure Doctrine) की शुरुआत केसवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले से हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस सिद्धान्त को स्थापित किया कि संसद संविधान को संशोधित कर सकती है, लेकिनRead more
भारतीय संविधान के “आधारभूत ढांचा सिद्धान्त” के विकास एवं प्रभाव की विवेचना
विकास:
प्रभाव:
निष्कर्ष: “आधारभूत ढांचा सिद्धान्त” ने भारतीय संविधान की मूल संरचना को संरक्षण प्रदान किया है, जिससे संविधान की स्थिरता और न्यायिक समीक्षा की भूमिका को सुनिश्चित किया गया है। यह सिद्धान्त संविधान की अनिवार्यता और संवैधानिक लोकतंत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है।
See less