प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2023] भारत में लोकपाल की शक्तियों एवं सीमाओं की समीक्षा कीजिये।
कौटिल्य की विदेश नीति की समकालीन प्रासंगिकता परिचय कौटिल्य, जिन्हें चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है, ने अपने ग्रंथ "अर्थशास्त्र" में विदेश नीति पर महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए हैं। उनकी नीतियों का मुख्य उद्देश्य राज्य की सुरक्षा, शक्ति, और समृद्धि को सुनिश्चित करना था। आधुनिक समय में, कौटिल्य की वRead more
कौटिल्य की विदेश नीति की समकालीन प्रासंगिकता
परिचय
कौटिल्य, जिन्हें चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है, ने अपने ग्रंथ “अर्थशास्त्र” में विदेश नीति पर महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए हैं। उनकी नीतियों का मुख्य उद्देश्य राज्य की सुरक्षा, शक्ति, और समृद्धि को सुनिश्चित करना था। आधुनिक समय में, कौटिल्य की विदेश नीति के सिद्धांत कई वैश्विक परिदृश्यों में प्रासंगिक साबित हो रहे हैं। इस उत्तर में, हम देखेंगे कि कौटिल्य की विदेश नीति की समकालीन प्रासंगिकता क्या है और हाल की घटनाओं के उदाहरणों के माध्यम से इसे समझेंगे।
1. शक्ति संतुलन और नीति
- शक्ति संतुलन: कौटिल्य की विदेश नीति में शक्ति संतुलन का सिद्धांत महत्वपूर्ण था, जिसमें विभिन्न शक्ति केंद्रों के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश की जाती थी।
- समकालीन प्रासंगिकता: भारत और चीन के सीमा विवाद में, भारत ने शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए रणनीतिक साझेदारियों का लाभ उठाया है। उदाहरण के लिए, 2022 में भारत-चीन सीमा पर स्थिति के मद्देनजर, भारत ने अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वाड (Quadrilateral Security Dialogue) को सक्रिय किया ताकि क्षेत्रीय शक्ति संतुलन सुनिश्चित किया जा सके।
2. सहयोग और विरोध की रणनीति
- दोस्ती और विरोध: कौटिल्य ने मित्रता और शत्रुता के आधार पर नीतियाँ बनाने की सलाह दी थी। मित्र देशों से सहयोग और शत्रुओं के खिलाफ सख्ती अपनाने का सुझाव दिया था।
- समकालीन प्रासंगिकता: भारत-अमेरिका के रणनीतिक साझेदारी और भारत-रूस के रक्षा सहयोग इसी सिद्धांत का पालन करते हैं। वहीं, पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण रिश्ते को देखते हुए भारत ने कई सीमावर्ती मुद्दों पर कड़ी निगरानी रखी है।
3. आंतरिक और बाहरी सुरक्षा
- आंतरिक सुरक्षा: कौटिल्य ने आंतरिक सुरक्षा को बाहरी सुरक्षा के लिए आवश्यक माना था। आंतरिक अस्थिरता बाहरी आक्रमण को प्रभावित कर सकती है।
- समकालीन प्रासंगिकता: कश्मीर में सुरक्षा प्रयास इस सिद्धांत को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। अभियान शौर्य और अन्य आंतरिक सुरक्षा अभियानों के माध्यम से भारत ने बाहरी आक्रमण और आंतरिक अस्थिरता को नियंत्रित करने की कोशिश की है।
4. कूटनीति और राजनयिकता
- कूटनीति की कला: कौटिल्य ने कूटनीति और राजनयिकता की कला को महत्व दिया और रणनीतिक बातचीत के माध्यम से हितों की रक्षा करने पर जोर दिया।
- समकालीन प्रासंगिकता: भारत के नेपाल और बांग्लादेश के साथ कूटनीतिक प्रयास में, भारत ने साझा हितों के लिए कूटनीति का उपयोग किया। 2021 में बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रमों ने भारत की कूटनीतिक रणनीति को दर्शाया।
5. अनुकूलन और लचीलापन
- अनुकूलन: कौटिल्य ने नीति को बदलती परिस्थितियों के अनुसार अनुकूलित करने पर जोर दिया। परिस्थितियों के अनुसार नीतियों को बदलने की सलाह दी।
- समकालीन प्रासंगिकता: COVID-19 महामारी के दौरान भारत की विदेश नीति में अनुकूलनशीलता देखने को मिली। वैक्सीनेशन डिप्लोमेसी के तहत भारत ने कई देशों को COVID-19 वैक्सीन सप्लाई की, जिससे वैश्विक स्वास्थ्य संकट के समाधान में योगदान मिला।
6. आर्थिक और व्यापारिक हित
- आर्थिक महत्व: कौटिल्य ने व्यापार और आर्थिक लाभ को विदेश नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा माना। व्यापारिक साझेदारी और आर्थिक लाभ प्राप्त करने की रणनीति को महत्व दिया।
- समकालीन प्रासंगिकता: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक समझौते और 2021 में भारत-ईयू व्यापार समझौते की वार्ता में, भारत ने अपने आर्थिक हितों को प्राथमिकता दी। मल्टीलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट्स जैसे RCEP (Regional Comprehensive Economic Partnership) में भागीदारी भी इस सिद्धांत को दर्शाती है।
निष्कर्ष
कौटिल्य की विदेश नीति के सिद्धांत आज भी वैश्विक राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में प्रासंगिक हैं। शक्ति संतुलन, कूटनीति, आंतरिक सुरक्षा, और आर्थिक हितों पर ध्यान देने वाले उनके विचार आधुनिक परिदृश्य में भी महत्वपूर्ण हैं। UPSC Mains aspirants के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि ऐतिहासिक सिद्धांतों का आधुनिक संदर्भ में कैसे उपयोग किया जा सकता है और उनके अनुसार नीतियाँ कैसे विकसित की जा सकती हैं।
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भारत में लोकपाल की शक्तियों एवं सीमाओं की समीक्षा परिचय लोकपाल की स्थापना 2013 में हुई थी, जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार के मामलों की जांच और निपटान करना है। यह संस्था केंद्रीय सरकार और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करती है। लोकपाल का गठन भारत के संविधान में एक महत्वपूर्ण सुधारRead more
भारत में लोकपाल की शक्तियों एवं सीमाओं की समीक्षा
परिचय
लोकपाल की स्थापना 2013 में हुई थी, जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार के मामलों की जांच और निपटान करना है। यह संस्था केंद्रीय सरकार और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करती है। लोकपाल का गठन भारत के संविधान में एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में किया गया था, जो पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है।
लोकपाल की शक्तियाँ
लोकपाल की सीमाएँ
निष्कर्ष
लोकपाल एक महत्वपूर्ण संस्था है जो भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। हालांकि, इसके शक्तियों और सीमाओं की समीक्षा से यह स्पष्ट होता है कि इसे और भी सशक्त और प्रभावी बनाने के लिए सुधार की आवश्यकता है। संसाधनों की कमी और सीमित अधिकारों के बावजूद, लोकपाल की भूमिका भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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