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विधि के शासन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए कि यह विचार भारत के संविधान में कैसे परिलक्षित होता है।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
विधि के शासन वह सिद्धांत है जिसमें निर्धारित कानून और विधि का प्रभावकारी रूप से शासन किया जाता है। इसका मतलब है कि सभी व्यक्तियों, संस्थाओं और सरकारी अधिकारियों को कानून का पालन करना होगा और किसी भी व्यक्ति या संस्था पर कानून के उल्लंघन का दंड लगाया जाएगा। भारत के संविधान में, विधि के शासन का सिद्धाRead more
विधि के शासन वह सिद्धांत है जिसमें निर्धारित कानून और विधि का प्रभावकारी रूप से शासन किया जाता है। इसका मतलब है कि सभी व्यक्तियों, संस्थाओं और सरकारी अधिकारियों को कानून का पालन करना होगा और किसी भी व्यक्ति या संस्था पर कानून के उल्लंघन का दंड लगाया जाएगा।
भारत के संविधान में, विधि के शासन का सिद्धांत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। संविधान ने विभिन्न अनुच्छेदों में निर्धारित किया है कि कैसे कानूनी प्रक्रियाएं चलानी चाहिए और कैसे कानून का पालन किया जाए। संविधान ने न्यायपालिका, कानून निष्पक्षता, और विधि के पालन के मामले में सरकार की जिम्मेदारी को स्पष्ट किया है।
विधि के शासन का सिद्धांत भारतीय संविधान में न्यायपालिका की स्वतंत्रता, कानून का समान रूप से लागू होना और सरकारी अधिकारियों के द्वारा कानून का पालन करने की जिम्मेदारी को प्रोत्साहित करने के माध्यम से परिलक्षित होता है।
See lessयू.पी.एस.सी. की भूमिका का विवरण दीजिए। साथ ही, यू.पी.एस.सी. की स्वतंत्रता और निष्पक्ष कामकाज की सुरक्षा और उन्हें बनाए रखने के लिए संवैधानिक प्रावधानों को सूचीबद्ध कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
यू.पी.एस.सी. (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) की भूमिका: यू.पी.एस.सी. भारत सरकार के अधीन संघीय सेवाओं के लिए भर्ती प्रक्रिया का प्रबंधन करने वाला अभिकरण है। इसका मुख्य उद्देश्य संविधानीय प्रक्रिया के माध्यम से उच्च गुणवत्ता और निष्पक्षता से भर्ती प्रक्रिया को संचालित करना है। यू.पी.एस.सी. की स्वतंत्रताRead more
यू.पी.एस.सी. (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) की भूमिका:
यू.पी.एस.सी. भारत सरकार के अधीन संघीय सेवाओं के लिए भर्ती प्रक्रिया का प्रबंधन करने वाला अभिकरण है। इसका मुख्य उद्देश्य संविधानीय प्रक्रिया के माध्यम से उच्च गुणवत्ता और निष्पक्षता से भर्ती प्रक्रिया को संचालित करना है।
यू.पी.एस.सी. की स्वतंत्रता और निष्पक्ष कामकाज की सुरक्षा:
संवैधानिक प्रावधानों की सूची:
यू.पी.एस.सी. की स्वतंत्रता और निष्पक्षता की सुरक्षा और संविधानिक प्रावधानों की महत्वपूर्ण भूमिका भारतीय संविधान में निर्धारित की गई है।
See lessन्यायिक सक्रियता और न्यायिक अतिक्रमण से आप क्या समझते हैं? साथ ही, इससे संबंधित चिंताओं की भी विवेचना कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
न्यायिक सक्रियता और न्यायिक अतिक्रमण: न्यायिक सक्रियता: यह अवधारणा है कि न्यायिक प्रक्रिया और न्यायिक निर्णय तत्परता और शीघ्रता के साथ संपन्न होनी चाहिए। इससे न्यायिक सिस्टम का विश्वास बढ़ता है। न्यायिक अतिक्रमण: यह उस स्थिति को सूचित करता है जब किसी न्यायिक निर्णय पर विरोध होता है और न्यायिक प्रक्रRead more
न्यायिक सक्रियता और न्यायिक अतिक्रमण:
चिंताएं:
न्यायिक सक्रियता और न्यायिक अतिक्रमण न्यायिक प्रणाली की सराहनीयता और प्रभावकारीता को प्रभावित कर सकते हैं। इन मुद्दों पर गंभीर चिंता करना आवश्यक है ताकि न्यायिक सिस्टम की विश्वासयोग्यता और न्यायिक सक्षमता बनाए रखा जा सके।
See lessलोक सभा की शक्तियों की राज्य सभा की शक्तियों के साथ तुलना कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
लोक सभा और राज्य सभा भारतीय संविधान के दो प्रमुख संसदीय संस्थान हैं। दोनों की अपनी विशेष संवैधानिक और कार्यक्षमता है। लोक सभा की शक्तियाँ: लोकप्रियता का प्रतिष्ठान: लोक सभा निर्वाचन द्वारा प्रत्यक्ष रूप से जनता के चुनाव से आती है जिससे इसकी प्रतिष्ठा बढ़ती है। वित्तीय शक्ति: लोक सभा के पास वित्तीय शRead more
लोक सभा और राज्य सभा भारतीय संविधान के दो प्रमुख संसदीय संस्थान हैं। दोनों की अपनी विशेष संवैधानिक और कार्यक्षमता है।
लोक सभा की शक्तियाँ:
राज्य सभा की शक्तियाँ:
लोक सभा जनता के प्रत्यक्ष प्रतिनिधित्व करती है जबकि राज्य सभा राज्यों के हितों की रक्षा करती है और संविधानिक संरक्षण में सहायक होती है। दोनों के बीच एक संतुलित संघटन संविधानिक लक्ष्यों की प्राप्ति में महत्वपूर्ण है।
See lessक्या भारत सरकार में अधिसंख्य मंत्रालयों को युक्तिसंगत बनाने की आवश्यकता है? प्रासंगिक तर्कों के साथ विवेचना कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
अधिसंख्या मंत्रालयों को युक्तिसंगत बनाने की आवश्यकता: संगठनिक और प्रशासकीय सुधार: अधिसंख्या मंत्रालयों को एकीकृत करने से संगठनिक और प्रशासकीय सुधार संभव है। यह एकीकृतित संरचना सुनिश्चित करेगी कि नीतियों का संचालन सुचारु एवं प्रभावी हो। कार्यवाही की तीव्रता: एकीकृत मंत्रालयों में कार्यवाही की तीव्रताRead more
अधिसंख्या मंत्रालयों को युक्तिसंगत बनाने की आवश्यकता:
इन तर्कों से स्पष्ट होता है कि अधिसंख्या मंत्रालयों को एकीकृत करने से नीतियों के प्रबंधन में सुधार हो सकता है और सरकार की कार्यक्षमता में वृद्धि हो सकती है।
See less"साथ आकर संघ बनाने" (कमिंग टुगेदर फेडरेशन) और "सबको साथ लाकर संघ बनाने" (होल्डिंग टुगेदर फेडरेशन) के बीच के अंतरों को उदाहरण सहित वर्णित कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
"साथ आकर संघ बनाने" और "सबको साथ लाकर संघ बनाने" के बीच कुछ मुख्य अंतर हैं। ये दोनों दृष्टिकोण संगठनों या समूहों के रूप में संघर्ष या संघ गठन के तरीके को दर्शाते हैं। साथ आकर संघ बनाने (कमिंग टुगेदर फेडरेशन): इस दृष्टिकोण में, संघ या समूह के सदस्यों को एकत्रित करने का मुख्य उद्देश्य होता है। इसमें सRead more
“साथ आकर संघ बनाने” और “सबको साथ लाकर संघ बनाने” के बीच कुछ मुख्य अंतर हैं। ये दोनों दृष्टिकोण संगठनों या समूहों के रूप में संघर्ष या संघ गठन के तरीके को दर्शाते हैं।
ये दो दृष्टिकोण संगठनिक संघर्षों या समूहों के गठन में अंतर दर्शाते हैं, जहाँ एक में नेतृत्व और उच्च स्तर का समर्थन महत्वपूर्ण है, वहीं दूसरे में सभी सदस्यों के सहयोग और समानता को ज्यादा महत्व दिया जाता है।
See lessभारत जैसे एक लोकतांत्रिक देश के संदर्भ में संविधान के महत्व की व्याख्या कीजिए। (उत्तर 200 शब्दों में दें)
भारत एक लोकतांत्रिक देश है और इसके संविधान का महत्व अत्यधिक है। संविधान एक ऐतिहासिक दस्तावेज है जो देश की नीतियों, मानवाधिकारों, और संरचना को परिभाषित करता ह। यह एक मानव संरचना है जो नागरिकों के हक्कों और कर्तव्यों की संरचना करता है। भारतीय संविधान ने देश को एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापितRead more
भारत एक लोकतांत्रिक देश है और इसके संविधान का महत्व अत्यधिक है। संविधान एक ऐतिहासिक दस्तावेज है जो देश की नीतियों, मानवाधिकारों, और संरचना को परिभाषित करता ह। यह एक मानव संरचना है जो नागरिकों के हक्कों और कर्तव्यों की संरचना करता है।
भारतीय संविधान ने देश को एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित किया है। यह नागरिकों को स्वतंत्रता, समानता, और न्याय के अधिकार प्रदान करता है। संविधान एक संरचित ढांचे में सरकार की शक्तियों को सीमित करता है और उन्हें जिम्मेदार बनाता है।
संविधान ने भारतीय समाज को एक सामाजिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक संघर्ष की भावना से उबारा है। यह नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए एक सुरक्षात्मक कवच का कार्य करता है। संविधान भारतीय समाज की एकता और विविधता को संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और देश को एक सकारात्मक दिशा में अग्रसर बनाने में मदद करता ह।
See lessसंघीय सरकारों द्वारा 1990 के दशक के मध्य से अनुच्छेद 356 के उपयोग की कम आवृत्ति के लिये जिम्मेदार विधिक एवं राजनीतिक कारकों का विवरण प्रस्तुत कीजिए । (250 words) [UPSC 2023]
संघीय सरकारों द्वारा अनुच्छेद 356 के उपयोग की कम आवृत्ति: विधिक और राजनीतिक कारक 1. "विधिक कारक": "सुप्रीम कोर्ट की नीतिगत सीमाएँ": 1990 के दशक के मध्य से सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 356 के प्रयोग पर सख्त निगरानी रखी है। "S.R. Bommai v. Union of India (1994)" के निर्णय में, कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 35Read more
संघीय सरकारों द्वारा अनुच्छेद 356 के उपयोग की कम आवृत्ति: विधिक और राजनीतिक कारक
1. “विधिक कारक”:
2. “राजनीतिक कारक”:
निष्कर्ष:
संघीय सरकारों द्वारा अनुच्छेद 356 के उपयोग की आवृत्ति में कमी के पीछे विधिक और राजनीतिक दोनों ही कारक हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों ने इस प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और न्यायपूर्ण बनाने में योगदान किया, जबकि राजनीतिक कारकों ने संघीय संबंधों को स्थिर रखने की दिशा में कदम उठाए।
See less"भारत का संविधान अत्यधिक गतिशीलता की क्षमताओं के साथ एक जीवंत यंत्र है। यह प्रगतिशील समाज के लिये बनाया गया एक संविधान है।" जीने के अधिकार तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार में हो रहे निरंतर विस्तार के विशेष संदर्भ में उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए । (250 words) [UPSC 2023]
भारत का संविधान: गतिशीलता और प्रगतिशीलता के उदाहरण जीने के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के निरंतर विस्तार: **1. "जीने का अधिकार (Article 21): "उन्नति और विस्तार": भारत का संविधान जीने के अधिकार को अत्यधिक गतिशील तरीके से समझता है। यह अधिकार मूल रूप से जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संरक्षण की गारRead more
भारत का संविधान: गतिशीलता और प्रगतिशीलता के उदाहरण
जीने के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के निरंतर विस्तार:
**1. “जीने का अधिकार (Article 21):
**2. “व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Article 19):
निष्कर्ष:
भारत का संविधान, अपने गतिशील दृष्टिकोण के माध्यम से, जीवन के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के दायरे में निरंतर विस्तार कर रहा है। यह संविधान प्रगतिशील समाज की आवश्यकताओं के अनुसार अद्यतित रहता है, और इसके द्वारा प्रदान किए गए अधिकारों की व्याख्या और संरक्षण में न्यायालयों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
See lessभारत में बहुराष्ट्रीय निगमों के द्वारा प्रभावशाली स्थिति के दुरुपयोग को रोकने में भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग की भूमिका पर चर्चा कीजिए। हाल के निर्णयों का संदर्भ लें । (150 words)[UPSC 2023]
भारत में बहुराष्ट्रीय निगमों के द्वारा प्रभावशाली स्थिति के दुरुपयोग को रोकने में भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग की भूमिका नियामक भूमिका: "नियमों का प्रवर्तन": भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) का उद्देश्य प्रतिस्पर्धा कानूनों का पालन सुनिश्चित करना है। यह आयोग बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा प्रभावशाली स्थितिRead more
भारत में बहुराष्ट्रीय निगमों के द्वारा प्रभावशाली स्थिति के दुरुपयोग को रोकने में भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग की भूमिका
नियामक भूमिका:
हाल के निर्णय:
निष्कर्ष: CCI बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा प्रभावशाली स्थिति के दुरुपयोग को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके हाल के निर्णय प्रतिस्पर्धा को संरक्षित करने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने की दिशा में इसके प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
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