एक आयोग के सांविधानिकीकरण के लिए कौन-कौन से चरण आवश्यक हैं ? क्या आपके विचार में राष्ट्रीय महिला आयोग को सांविधानिकता प्रदान करना भारत में लैंगिक न्याय एवं सशक्तिकरण और अधिक सुनिश्चित करेगा ? कारण बताइए। (250 words) [UPSC 2020]
नीति आयोग: उद्देश्यों और संरचना की व्याख्या उद्देश्य: नीति निर्माण और सलाह: नीति आयोग केंद्र और राज्य सरकारों को नीति निर्माण और कार्यान्वयन में सलाह देता है। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन परियोजना के माध्यम से नीति आयोग ने अवसंरचना के क्षेत्र में वित्तीय प्रवाह बढ़ाने की सलाह दी है। रणRead more
नीति आयोग: उद्देश्यों और संरचना की व्याख्या
उद्देश्य:
- नीति निर्माण और सलाह: नीति आयोग केंद्र और राज्य सरकारों को नीति निर्माण और कार्यान्वयन में सलाह देता है। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन परियोजना के माध्यम से नीति आयोग ने अवसंरचना के क्षेत्र में वित्तीय प्रवाह बढ़ाने की सलाह दी है।
- रणनीतिक योजना: यह दीर्घकालिक योजनाओं को तैयार करने में सहायता करता है और उभरती चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की योजना और कार्यान्वयन में नीति आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
- सहकारी संघवाद को बढ़ावा: नीति आयोग केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करता है। आकांक्षी जिलों कार्यक्रम इसके उदाहरण के रूप में सामने आया है, जो विकासशील जिलों की स्थिति सुधारने में मदद करता है।
- नवाचार और सुधार: विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार और सुधार को प्रोत्साहित करता है, जैसे कि अटल नवाचार मिशन, जो स्कूलों और स्टार्टअप्स में नवाचार को बढ़ावा देता है।
संरचना:
नीति आयोग में प्रधानमंत्री अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष, पूर्णकालिक और अंशकालिक सदस्य, और एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) शामिल हैं।
महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ:
- योजना और सुधार: नीति आयोग ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के माध्यम से COVID-19 के दौरान राहत उपायों को पुनर्गठित किया।
- स्थायी विकास लक्ष्य (SDGs): नीति आयोग ने SDG इंडिया इंडेक्स विकसित किया, जो राज्यों की प्रगति को ट्रैक करता है और नीति निर्धारण में सहायक होता है।
- राज्य सहयोग: आकांक्षी जिलों कार्यक्रम ने 112 जिलों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार किया है, जो केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग का एक सफल उदाहरण है।
इन प्रयासों से नीति आयोग ने भारत के समग्र और समावेशी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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एक आयोग के सांविधानिकीकरण के लिए निम्नलिखित चरण आवश्यक हैं: 1. प्रस्ताव और विधेयक: सर्वप्रथम, एक आयोग के सांविधानिकीकरण के लिए एक विधेयक तैयार किया जाता है, जिसमें आयोग की संरचना, कार्यक्षेत्र और अधिकारों की विस्तृत जानकारी होती है। यह विधेयक संसद में प्रस्तुत किया जाता है। 2. विधेयक का पारित होना:Read more
एक आयोग के सांविधानिकीकरण के लिए निम्नलिखित चरण आवश्यक हैं:
1. प्रस्ताव और विधेयक:
सर्वप्रथम, एक आयोग के सांविधानिकीकरण के लिए एक विधेयक तैयार किया जाता है, जिसमें आयोग की संरचना, कार्यक्षेत्र और अधिकारों की विस्तृत जानकारी होती है। यह विधेयक संसद में प्रस्तुत किया जाता है।
2. विधेयक का पारित होना:
विधेयक को संसद के दोनों सदनों—लोकसभा और राज्यसभा—से पारित होना आवश्यक है। यह प्रक्रिया विधायिका की समीक्षा और संशोधन के बाद पूरी होती है।
3. राष्ट्रपति की स्वीकृति:
विधेयक के संसद से पारित होने के बाद, इसे राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया जाता है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद, विधेयक कानून बन जाता है और आयोग को सांविधानिक मान्यता मिलती है।
4. संविधान में संशोधन:
यदि आवश्यक हो, तो संविधान में उपयुक्त संशोधन किए जाते हैं ताकि आयोग को सांविधानिक दर्जा प्रदान किया जा सके। यह संशोधन संविधान की पहली अनुसूची या अनुच्छेद में शामिल किया जाता है।
राष्ट्रीय महिला आयोग को सांविधानिकता प्रदान करने के लाभ:
संवैधानिक दर्जा: राष्ट्रीय महिला आयोग को सांविधानिक दर्जा मिलने से आयोग की स्वायत्तता और अधिकारों की पुष्टि होगी, जो उसकी कार्यप्रणाली और प्रभावशीलता को बढ़ाएगा।
लैंगिक न्याय सुनिश्चित करना: सांविधानिक दर्जा आयोग को अधिक अधिकार और संसाधन प्रदान करेगा, जिससे वह महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और लैंगिक न्याय को अधिक प्रभावी ढंग से लागू कर सकेगा।
सशक्तिकरण: आयोग के लिए स्पष्ट कानूनी आधार और शक्ति होने से महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में स्थायी और प्रभावी नीतियाँ और कार्यक्रम विकसित किए जा सकेंगे।
प्रशासनिक प्रभाव: सांविधानिक दर्जा प्राप्त करने के बाद, आयोग को बेहतर संसाधन और समर्थन मिलेगा, जिससे उसकी प्रशासनिक कार्यप्रणाली और सामाजिक प्रभावशीलता में सुधार होगा।
इस प्रकार, राष्ट्रीय महिला आयोग को सांविधानिकता प्रदान करने से भारत में लैंगिक न्याय और सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हो सकती है। यह महिलाओं के अधिकारों की रक्षा को सुनिश्चित करेगा और समाज में समानता को बढ़ावा देगा।
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