विधायी कार्यों के संचालन में व्यवस्था एवं निष्पक्षता बनाए रखने में और सर्वोत्तम लोकतांत्रिक परम्पराओं को सुगम बनाने में राज्य विधायिकाओं के पीठासीन अधिकारियों की भूमिका की विवेचना कीजिए । (150 words)[UPSC 2023]
संसदीय समिति प्रणाली की संरचना: भारत की संसदीय समिति प्रणाली संसद के कार्यों की दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसकी संरचना निम्नलिखित प्रकार की समितियों से मिलकर होती है: स्थायी समितियाँ: वित्तीय समितियाँ: ये समितियाँ सरकारी वित्तीय कार्यों की जाँच करती हैं। इसमें लोRead more
संसदीय समिति प्रणाली की संरचना:
भारत की संसदीय समिति प्रणाली संसद के कार्यों की दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसकी संरचना निम्नलिखित प्रकार की समितियों से मिलकर होती है:
- स्थायी समितियाँ:
- वित्तीय समितियाँ: ये समितियाँ सरकारी वित्तीय कार्यों की जाँच करती हैं। इसमें लोक लेखा समिति (PAC), लोक उपक्रम समिति (PUC), और अनुमान समिति शामिल हैं। ये समितियाँ सरकार के खर्च, सार्वजनिक उपक्रमों, और बजट की समीक्षा करती हैं।
- विभागीय संबंधित स्थायी समितियाँ (DRSCs): ये समितियाँ विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के बजट, नीतियों और प्रदर्शन की जाँच करती हैं।
- अस्थायी समितियाँ: ये विशेष कार्यों के लिए बनाई जाती हैं, जैसे विशेष विधेयकों की जाँच या विशिष्ट मुद्दों की जांच। उदाहरण के लिए, संयुक्त संसदीय समितियाँ (JPCs) जो घोटालों या भ्रष्टाचार मामलों की जांच करती हैं।
- संयुक्त समितियाँ: इनमें लोक सभा और राज्य सभा दोनों के सदस्य शामिल होते हैं और ये जटिल मुद्दों पर गहन समीक्षा करती हैं।
- विशेष समितियाँ: ये विशेष कार्यों के लिए बनाई जाती हैं, जैसे नियम समिति जो संसदीय प्रक्रियाओं और नियमों की समीक्षा करती है।
वित्तीय समितियों का संस्थानीकरण में योगदान:
- वित्तीय पारदर्शिता: लोक लेखा समिति (PAC) और अनुमान समिति जैसी वित्तीय समितियाँ सरकारी खर्च और बजट की गहरी जाँच करती हैं, जिससे वित्तीय पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
- संविधानिक निगरानी: इन समितियों के कार्यों से संसद में वित्तीय अनुशासन और प्रबंधन में सुधार हुआ है, जो संसद के कार्यों की संवैधानिक निगरानी को मजबूत करता है।
- बजट प्रबंधन: ये समितियाँ बजट आवंटन और उपयोग की समीक्षा करती हैं, जिससे सरकारी खर्च का सही उपयोग सुनिश्चित होता है और वित्तीय प्रबंधन में सुधार होता है।
- संसदीय कार्यों को सुदृढ़ बनाना: वित्तीय समितियों की सिफारिशें अक्सर सरकार की नीतियों और बजट प्रबंधन में सुधार लाने में सहायक होती हैं, जिससे संसदीय प्रणाली की प्रभावशीलता और विश्वसनीयता बढ़ती है।
राज्य विधायिकाओं के पीठासीन अधिकारियों की भूमिका विधायी कार्यों की व्यवस्था: "संचालन की निगरानी": पीठासीन अधिकारी, जैसे विधानसभा अध्यक्ष या सभापति, विधायी सत्रों की व्यवस्था सुनिश्चित करते हैं। वे सदन की बैठकें संचालित करते हैं, और कार्यवाही को सुचारू और प्रभावी बनाए रखते हैं। "निर्देशन और समन्वय":Read more
राज्य विधायिकाओं के पीठासीन अधिकारियों की भूमिका
विधायी कार्यों की व्यवस्था:
निष्पक्षता बनाए रखना:
निष्कर्ष: राज्य विधायिकाओं के पीठासीन अधिकारी विधायी कार्यों में व्यवस्था और निष्पक्षता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी कार्यक्षमता और निष्पक्षता लोकतांत्रिक परम्पराओं को मजबूत करने में सहायक होती है।
See less