भारत के वित्तीय आयोग का गठन किस प्रकार किया जाता है? हाल में गठित वित्तीय आयोग के विचारार्थ विषय (टर्म्स ऑफ रेफरेंस) के बारे में आप क्या जानते हैं? विवेचना कीजिए। (250 words) [UPSC 2018]
एक संस्था के रूप में चुनाव आयोग द्वारा वर्तमान में समस्याएँ और समाधान 1. समस्याएँ: मतदाता की पहचान में समस्याएँ: हाल के वर्षों में, मतदाता सूची में गलतियाँ और डुप्लीकेट प्रविष्टियाँ एक आम समस्या रही हैं। उदाहरण के तौर पर, 2023 में कई राज्यों में मतदाता सूची में त्रुटियाँ की शिकायतें आईं, जिससे सटीकRead more
एक संस्था के रूप में चुनाव आयोग द्वारा वर्तमान में समस्याएँ और समाधान
1. समस्याएँ:
- मतदाता की पहचान में समस्याएँ:
हाल के वर्षों में, मतदाता सूची में गलतियाँ और डुप्लीकेट प्रविष्टियाँ एक आम समस्या रही हैं। उदाहरण के तौर पर, 2023 में कई राज्यों में मतदाता सूची में त्रुटियाँ की शिकायतें आईं, जिससे सटीक मतदाता पहचान में समस्याएँ उत्पन्न हुईं। - नकली प्रचार और चुनावी भ्रष्टाचार:
चुनावी अभियानों में नकली प्रचार, हेरफेर, और भ्रष्टाचार की समस्या बढ़ी है। 2024 के लोकसभा चुनाव में, राजनीतिक दलों द्वारा ब्लैक मनी और विज्ञापन पर खर्च की रिपोर्टें आईं। - सुरक्षा और हिंसा:
चुनावों के दौरान सुरक्षा और हिंसा की घटनाएँ भी बढ़ रही हैं। पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव के दौरान, हिंसात्मक घटनाओं की कई रिपोर्टें सामने आईं।
2. समाधान:
- मतदाता सूची का अद्यतन:
चुनाव आयोग को डिजिटल डेटाबेस और नियमित अद्यतन के माध्यम से मतदाता सूची में सही जानकारी सुनिश्चित करनी चाहिए। ई-मतदाता पंजीकरण और विज्ञापन अभियान को बढ़ावा दिया जा सकता है। - चुनाव सुधार:
सभी राजनीतिक दलों के लिए पारदर्शिता और फंडिंग की निगरानी को सख्त करने के लिए नए कानूनी प्रावधान लाने चाहिए। आयकर विभाग और चुनाव आयोग को संयुक्त रूप से काम करने की जरूरत है। - सुरक्षा उपाय:
चुनावों के दौरान सुरक्षा बलों की तैनाती को मजबूत किया जाए और हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जाए। पूर्व-चुनाव सुरक्षा प्लान और फिर से प्रशिक्षण का आयोजन किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष:
चुनाव आयोग को वर्तमान में मतदाता पहचान, चुनावी भ्रष्टाचार, और सुरक्षा से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन समस्याओं के समाधान के लिए डिजिटल समाधान, चुनाव सुधार, और सुरक्षा उपाय पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
भारत के वित्तीय आयोग का गठन और टर्म्स ऑफ रेफरेंस वित्तीय आयोग का गठन: भारत में वित्तीय आयोग का गठन संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत किया जाता है। इसका उद्देश्य केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय संसाधनों का वितरण और संघीय वित्तीय संबंधों को व्यवस्थित करना है। वित्तीय आयोग की नियुक्ति राष्ट्रपतिRead more
भारत के वित्तीय आयोग का गठन और टर्म्स ऑफ रेफरेंस
वित्तीय आयोग का गठन:
भारत में वित्तीय आयोग का गठन संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत किया जाता है। इसका उद्देश्य केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय संसाधनों का वितरण और संघीय वित्तीय संबंधों को व्यवस्थित करना है। वित्तीय आयोग की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। आयोग में एक अध्यक्ष और एक या दो सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। आयोग के अध्यक्ष और सदस्य आमतौर पर वित्तीय और प्रशासनिक अनुभव वाले व्यक्ति होते हैं।
हाल में गठित वित्तीय आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस:
1. वित्तीय समन्वय: आयोग को केंद्र और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय समन्वय के लिए सुझाव देने का कार्य सौंपा गया है। इसमें राज्य सरकारों को प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता और उनकी योजनाओं के लिए आवश्यक अनुदान की सिफारिश शामिल है।
2. संसाधनों का वितरण: आयोग को यह तय करने की जिम्मेदारी दी जाती है कि केंद्रीय वित्तीय संसाधनों का वितरण राज्यों के बीच किस प्रकार किया जाएगा। इसमें केंद्रीय करों के आवंटन और राज्यों को दिए जाने वाले वित्तीय हिस्से की सिफारिश करना शामिल है।
3. ऋण और अन्य वित्तीय मामलों पर सलाह: आयोग को राज्य सरकारों के ऋणों की स्थिति और उनकी वित्तीय स्थिरता पर भी सलाह देने का कार्य सौंपा गया है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि राज्यों की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ रहे, आयोग राज्य सरकारों के ऋण प्रबंधन और वित्तीय अनुशासन पर भी विचार करता है।
4. विशेष समस्याओं पर ध्यान: आयोग को उन राज्यों या क्षेत्रों के लिए विशेष समाधान सुझाने का भी कार्य सौंपा गया है जो आर्थिक रूप से पिछड़े या विशेष समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इसमें विशेष अनुदान और वित्तीय सहायता की सिफारिश करना शामिल हो सकता है।
5. रिपोर्ट और सिफारिशें: वित्तीय आयोग अपनी रिपोर्ट को राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जिसमें वे अपने सिफारिशों को विस्तृत रूप से बताते हैं। रिपोर्ट को सरकार द्वारा लागू करने के लिए उचित कदम उठाए जाते हैं।
उपसंहार:
वित्तीय आयोग का गठन और इसके टर्म्स ऑफ रेफरेंस भारत के संघीय वित्तीय संरचना को संतुलित और व्यवस्थित रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। आयोग के द्वारा की जाने वाली सिफारिशें और उनके आधार पर उठाए गए कदम केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय सहयोग को सुगम बनाते हैं और आर्थिक समन्वय को सुनिश्चित करते हैं।
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