सार्वजनिक धन के सरंक्षक के रूप में, भारत के नियंत्रक एवं मालेखा परीक्षक की भूमिका का परीक्षण कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की गतिविधियों का दायरा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की गतिविधियाँ सार्वजनिक वित्त के प्रबंधन की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इनके दायरे में विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ शामिल हैं, जिनका उद्देश्य सरकारी खर्च औरRead more
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की गतिविधियों का दायरा
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की गतिविधियाँ सार्वजनिक वित्त के प्रबंधन की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इनके दायरे में विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ शामिल हैं, जिनका उद्देश्य सरकारी खर्च और वित्तीय संचालन की निगरानी करना है। यहाँ इनकी प्रमुख गतिविधियों का विवरण दिया गया है:
1. केंद्र और राज्य सरकारों का वित्तीय लेखा परीक्षा
CAG वित्तीय लेखा परीक्षाएँ करती है, जिसमें केंद्रीय और राज्य सरकारों के खातों की जांच की जाती है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सार्वजनिक धन का उपयोग विधिक प्रावधानों के अनुसार किया जा रहा है।
उदाहरण: 2022-23 के लेखा परीक्षात्मक रिपोर्टों में, CAG ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा COVID-19 राहत कोष के आवंटन और उपयोग में असमानताओं को उजागर किया, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार की दिशा में कदम उठाए गए।
2. सरकारी कार्यक्रमों की प्रदर्शन लेखा परीक्षा
CAG प्रदर्शन लेखा परीक्षाएँ करती है ताकि यह मूल्यांकन किया जा सके कि सरकारी कार्यक्रम और योजनाएँ कितनी प्रभावी और कुशल हैं। इसमें यह देखना शामिल है कि क्या योजनाओं के उद्देश्यों को पूरा किया जा रहा है और संसाधनों का उपयोग सही तरीके से हो रहा है।
उदाहरण: 2023 में प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) पर CAG की प्रदर्शन लेखा परीक्षा ने परियोजनाओं में देरी और असमानताओं को उजागर किया, जिसके परिणामस्वरूप योजना की कार्यान्वयन में सुधार के लिए कदम उठाए गए।
3. अनुपालन लेखा परीक्षा
अनुपालन लेखा परीक्षा के माध्यम से CAG यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी विभाग और एजेंसियाँ वित्तीय संचालन में कानूनी नियमों और प्रक्रियाओं का पालन कर रही हैं। इससे वित्तीय प्रबंधन में गड़बड़ियाँ और गैर-अनुपालन की पहचान होती है।
उदाहरण: 2024 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) की लेखा परीक्षा ने वित्तीय प्रबंधन मानदंडों के अनुपालन में खामियों और वेतन भुगतान में विसंगतियों को उजागर किया, जिससे दिशा-निर्देशों के प्रति सख्त पालन की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
4. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की लेखा परीक्षा
CAG सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के खातों की भी लेखा परीक्षा करती है, जिसमें सरकारी स्वामित्व वाले निगम और कंपनियाँ शामिल हैं। इसका उद्देश्य सुनिश्चित करना है कि ये कंपनियाँ कुशलता से संचालित हो रही हैं और उनके वित्तीय रिपोर्ट सटीक हैं।
उदाहरण: 2023 में एयर इंडिया की लेखा परीक्षा ने वित्तीय प्रबंधन और प्रभावशीलता में समस्याओं को उजागर किया, जिसने एयरलाइन के संचालन और लाभप्रदता पर असर डाला। इसके परिणामस्वरूप सुधार और पुनर्गठन के प्रयास शुरू किए गए।
5. विशेष लेखा परीक्षाएँ और जांच
CAG विशेष लेखा परीक्षाएँ और जांच भी करती है, जो राष्ट्रपति या संसद के निर्देश पर होती हैं। ये लेखा परीक्षाएँ विशेष मुद्दों या क्षेत्रों पर केंद्रित होती हैं जहाँ वित्तीय अनियमितताओं या प्रबंधन में समस्याएँ होती हैं।
उदाहरण: 2023 में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) पर CAG की विशेष लेखा परीक्षा ने टोल संग्रहण और रखरखाव अनुबंधों में असमानताओं की जांच की, जिसके परिणामस्वरूप निगरानी और संचालन में सुधार की सिफारिशें की गईं।
6. संसद को रिपोर्टिंग
CAG अपनी लेखा परीक्षा रिपोर्टों को संसद को प्रस्तुत करती है, जिन्हें बाद में सार्वजनिक लेखा समिति (PAC) और अन्य समितियों द्वारा समीक्षा की जाती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि लेखा परीक्षा की निष्कर्षों पर संसद द्वारा चर्चा और कार्रवाई की जाती है।
उदाहरण: 2024 में रक्षा आपूर्ति पर CAG की रिपोर्ट संसद में व्यापक रूप से चर्चा की गई, जिसमें रक्षा उपकरणों की खरीद में देरी और निष्क्रियता पर प्रकाश डाला गया, जिससे नीति संशोधन और बढ़ती निगरानी को प्रेरित किया गया।
7. सलाहकारी भूमिका
हालांकि CAG की मुख्य भूमिका लेखा परीक्षा की है, यह सलाहकारी सेवाएँ भी प्रदान करती है, जैसे वित्तीय प्रबंधन प्रथाओं और लेखांकन प्रणालियों में सुधार के लिए दिशा-निर्देश देना। यह वित्तीय शासन और पारदर्शिता को सशक्त बनाता है।
उदाहरण: 2024 में, CAG ने e-Governance पहलों को बढ़ाने के लिए राज्यों को सलाह जारी की, जिससे वित्तीय लेनदेन की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जा सके और सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार हो सके।
सारांश में, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की गतिविधियों का दायरा वित्तीय लेखा, प्रदर्शन लेखा, अनुपालन लेखा, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की लेखा परीक्षा, विशेष लेखा परीक्षाएँ, संसद को रिपोर्टिंग, और सलाहकारी सेवाएँ प्रदान करने तक विस्तृत है। ये कार्य सरकारी वित्तीय प्रबंधन की पारदर्शिता, जवाबदेही, और कुशलता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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सार्वजनिक धन के सरंक्षक के रूप में, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की भूमिका का परीक्षण 1. लेखा परीक्षण और वित्तीय रिपोर्टिंग (Audit and Financial Reporting): जिम्मेदारी: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) केंद्रीय और राज्य सरकारों के खातों का लेखा परीक्षण करता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि सारRead more
सार्वजनिक धन के सरंक्षक के रूप में, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की भूमिका का परीक्षण
1. लेखा परीक्षण और वित्तीय रिपोर्टिंग (Audit and Financial Reporting):
2. जवाबदेही सुनिश्चित करना (Ensuring Accountability):
3. जनहित की रक्षा (Public Interest Protection):
4. रिपोर्टिंग और सिफारिशें (Reporting and Recommendations):
5. स्वतंत्रता और ईमानदारी (Independence and Integrity):
निष्कर्ष: भारत में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) सार्वजनिक धन के एक महत्वपूर्ण संरक्षक के रूप में कार्य करता है। लेखा परीक्षण, जवाबदेही सुनिश्चित करने, जनहित की रक्षा, और सिफारिशों के माध्यम से, CAG पारदर्शिता और वित्तीय प्रबंधन की प्रभावशीलता में महत्वपूर्ण योगदान करता है। चुनौतियों के बावजूद, CAG का कार्य सार्वजनिक वित्तीय अनुशासन और ईमानदारी बनाए रखने में केंद्रीय भूमिका निभाता है।
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