भारत के वित्तीय आयोग का गठन किस प्रकार किया जाता है? हाल में गठित वित्तीय आयोग के विचारार्थ विषय (टर्म्स ऑफ रेफरेंस) के बारे में आप क्या जानते हैं? विवेचना कीजिए। (250 words) [UPSC 2018]
भारत सरकार अधिनियम 1935 में उल्लिखित निर्देशों के दस्तावेज (Instruments of Instructions) 1950 में भारत के संविधान में संविधान के अनुच्छेद 309 से 311 के रूप में समाहित किए गए। अनुच्छेद 309: यह अनुच्छेद सरकारी सेवा और कर्मचारियों के भर्ती, सेवा की शर्तों और अनुशासन पर शासन करने के लिए विधान बनाना का अRead more
भारत सरकार अधिनियम 1935 में उल्लिखित निर्देशों के दस्तावेज (Instruments of Instructions) 1950 में भारत के संविधान में संविधान के अनुच्छेद 309 से 311 के रूप में समाहित किए गए।
अनुच्छेद 309: यह अनुच्छेद सरकारी सेवा और कर्मचारियों के भर्ती, सेवा की शर्तों और अनुशासन पर शासन करने के लिए विधान बनाना का अधिकार राज्यों और केंद्र को प्रदान करता है। इसमें केंद्रीय और राज्य सरकारी सेवाओं की भर्ती, उनके कर्तव्य और अधिकारों का निर्धारण किया जाता है।
अनुच्छेद 310: यह अनुच्छेद भारत के सशस्त्र बलों और सिविल सेवा के कर्मचारियों के सेवाकाल की सुरक्षा से संबंधित है। इसके तहत यह कहा गया है कि सरकारी सेवा में किसी कर्मचारी को बिना कारण बताए निकालने की स्थिति में उन्हें उचित प्रक्रिया का पालन करना पड़ेगा।
अनुच्छेद 311: यह अनुच्छेद सरकारी कर्मचारियों की अनुशासन और अपील से संबंधित है। इसके तहत यह कहा गया है कि किसी कर्मचारी को बिना उचित कारण और बिना सुनवाई के नौकरी से नहीं निकाला जा सकता है।
भारत सरकार अधिनियम 1935 में दिए गए दस्तावेज़ों और निर्देशों के इन बिंदुओं को संविधान में समाहित करके भारतीय प्रशासनिक प्रणाली को और अधिक मजबूत और न्यायसंगत बनाया गया।
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भारत के वित्तीय आयोग का गठन और टर्म्स ऑफ रेफरेंस वित्तीय आयोग का गठन: भारत में वित्तीय आयोग का गठन संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत किया जाता है। इसका उद्देश्य केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय संसाधनों का वितरण और संघीय वित्तीय संबंधों को व्यवस्थित करना है। वित्तीय आयोग की नियुक्ति राष्ट्रपतिRead more
भारत के वित्तीय आयोग का गठन और टर्म्स ऑफ रेफरेंस
वित्तीय आयोग का गठन:
भारत में वित्तीय आयोग का गठन संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत किया जाता है। इसका उद्देश्य केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय संसाधनों का वितरण और संघीय वित्तीय संबंधों को व्यवस्थित करना है। वित्तीय आयोग की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। आयोग में एक अध्यक्ष और एक या दो सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। आयोग के अध्यक्ष और सदस्य आमतौर पर वित्तीय और प्रशासनिक अनुभव वाले व्यक्ति होते हैं।
हाल में गठित वित्तीय आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस:
1. वित्तीय समन्वय: आयोग को केंद्र और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय समन्वय के लिए सुझाव देने का कार्य सौंपा गया है। इसमें राज्य सरकारों को प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता और उनकी योजनाओं के लिए आवश्यक अनुदान की सिफारिश शामिल है।
2. संसाधनों का वितरण: आयोग को यह तय करने की जिम्मेदारी दी जाती है कि केंद्रीय वित्तीय संसाधनों का वितरण राज्यों के बीच किस प्रकार किया जाएगा। इसमें केंद्रीय करों के आवंटन और राज्यों को दिए जाने वाले वित्तीय हिस्से की सिफारिश करना शामिल है।
3. ऋण और अन्य वित्तीय मामलों पर सलाह: आयोग को राज्य सरकारों के ऋणों की स्थिति और उनकी वित्तीय स्थिरता पर भी सलाह देने का कार्य सौंपा गया है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि राज्यों की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ रहे, आयोग राज्य सरकारों के ऋण प्रबंधन और वित्तीय अनुशासन पर भी विचार करता है।
4. विशेष समस्याओं पर ध्यान: आयोग को उन राज्यों या क्षेत्रों के लिए विशेष समाधान सुझाने का भी कार्य सौंपा गया है जो आर्थिक रूप से पिछड़े या विशेष समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इसमें विशेष अनुदान और वित्तीय सहायता की सिफारिश करना शामिल हो सकता है।
5. रिपोर्ट और सिफारिशें: वित्तीय आयोग अपनी रिपोर्ट को राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जिसमें वे अपने सिफारिशों को विस्तृत रूप से बताते हैं। रिपोर्ट को सरकार द्वारा लागू करने के लिए उचित कदम उठाए जाते हैं।
उपसंहार:
वित्तीय आयोग का गठन और इसके टर्म्स ऑफ रेफरेंस भारत के संघीय वित्तीय संरचना को संतुलित और व्यवस्थित रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। आयोग के द्वारा की जाने वाली सिफारिशें और उनके आधार पर उठाए गए कदम केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय सहयोग को सुगम बनाते हैं और आर्थिक समन्वय को सुनिश्चित करते हैं।
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