भारत की संभाव्य संवृद्धि के अनेक कारको में बचत दर, सर्वाधिक प्रभावी है। क्या आप इससे सहमत हैं ? संवृद्धि संभाव्यता के अन्य कौन से कारक उपलब्ध हैं ? (150 words) [UPSC 2017]
प्रधान मंत्री जन-धन योजना (PMJDY) और वित्तीय समावेश वित्तीय समावेश की दिशा में प्रभाव: 1. बैंकिंग पहुँच: प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) का उद्देश्य बैंकरहित लोगों को संस्थानिक वित्त से जोड़ना है। इस योजना के तहत, 2014 से शुरू होकर, लाखों लोगों को बैंक खाते खोले गए हैं, जिनमें न्यूनतम बैलेंस की आवशRead more
प्रधान मंत्री जन-धन योजना (PMJDY) और वित्तीय समावेश
वित्तीय समावेश की दिशा में प्रभाव:
1. बैंकिंग पहुँच: प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) का उद्देश्य बैंकरहित लोगों को संस्थानिक वित्त से जोड़ना है। इस योजना के तहत, 2014 से शुरू होकर, लाखों लोगों को बैंक खाते खोले गए हैं, जिनमें न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकता नहीं होती।
2. सामाजिक सुरक्षा: PMJDY खाताधारकों को साधारण बचत खातों के साथ-साथ बीमा कवर (जैसे कि प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन जॉति बीमा योजना) भी प्रदान किया गया है। इससे गरीब तबके को आर्थिक सुरक्षा और सवास्थ्य लाभ मिल रहा है।
3. डिजिटल लेनदेन: योजना के अंतर्गत, डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा दिया गया है। जनधन खातों की डिजिटल बैंकिंग सुविधाएँ जैसे कि AEPS (आधार एनेबल्ड पेमेंट सिस्टम) और UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) ने वित्तीय समावेश को सुगम बनाया है।
4. सरकारी लाभ: PMJDY के अंतर्गत सरकारी सब्सिडी और लाभार्थियों के भुगतान सीधे खातों में ट्रांसफर किए जाते हैं, जो वित्तीय समावेश को बढ़ावा देते हैं। उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री आवास योजना और राशन वितरण के लिए खातों का उपयोग किया जाता है।
विवाद और चुनौतियाँ:
1. डिजिटल साक्षरता: डिजिटल साक्षरता की कमी गरीब तबके के लिए वित्तीय समावेश में बाधा बन सकती है। कई ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में लोग डिजिटल लेनदेन की प्रक्रिया से अनभिज्ञ हैं।
2. बैंकिंग सुविधाएँ: कई क्षेत्रों में बैंक शाखाओं और ATM की कमी भी वित्तीय समावेश में रुकावट डालती है।
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) ने भारतीय समाज के गरीब तबके को वित्तीय समावेश के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यद्यपि कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं, इस योजना ने बैंकरहित लोगों को वित्तीय सेवाएँ प्रदान कर आर्थिक समावेशिता में सुधार किया है।
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भारत की संभाव्य संवृद्धि में बचत दर की भूमिका: 1. बचत दर का महत्व: पूंजी निर्माण: उच्च बचत दर पूंजी निर्माण को बढ़ावा देती है, जो आधारभूत संरचना, तकनीकी उन्नति, और उद्योगों में निवेश के लिए आवश्यक है। हाल के वर्षों में, भारत की सकल घरेलू बचत दर लगभग 30% रही है, जो आर्थिक विकास को समर्थन प्रदान करतीRead more
भारत की संभाव्य संवृद्धि में बचत दर की भूमिका:
1. बचत दर का महत्व:
2. संवृद्धि संभाव्यता के अन्य कारक:
**1. मानव संसाधन विकास:
**2. आधारभूत संरचना विकास:
**3. प्रौद्योगिकी और नवाचार:
**4. आर्थिक सुधार:
इस प्रकार, जबकि बचत दर आर्थिक स्थिरता और पूंजी निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है, मानव संसाधन विकास, आधारभूत संरचना, प्रौद्योगिकी और आर्थिक सुधार भी भारत की संवृद्धि संभाव्यता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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