भारतीय सन्दर्भ में समावेशी विकास में निहित चुनौतियों, जिनमें लापरवाह और बेकार जनशक्ति शामिल है, पर टिप्पणी कीजिए। इन चुनौतियों का सामना करने के उपाय सुझाइए। (200 words) [UPSC 2016]
भारत में गरीबी और असमानता को कम करने में प्रमुख चुनौतियाँ आर्थिक असमानता: संबंध: भारत में अमीर और गरीब के बीच आर्थिक अंतर बढ़ रहा है, जिससे गरीबी और असमानता में वृद्धि हो रही है। 2023 के आर्थिक सर्वेक्षण में यह दर्शाया गया कि शीर्ष 10% लोग राष्ट्रीय आय का बड़ा हिस्सा कमा रहे हैं, जबकि निचले 50% का हRead more
भारत में गरीबी और असमानता को कम करने में प्रमुख चुनौतियाँ
- आर्थिक असमानता:
- संबंध: भारत में अमीर और गरीब के बीच आर्थिक अंतर बढ़ रहा है, जिससे गरीबी और असमानता में वृद्धि हो रही है। 2023 के आर्थिक सर्वेक्षण में यह दर्शाया गया कि शीर्ष 10% लोग राष्ट्रीय आय का बड़ा हिस्सा कमा रहे हैं, जबकि निचले 50% का हिस्सा काफी कम है।
- शिक्षा और कौशल की कमी:
- संबंध: गरीब वर्ग के लोगों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण की कमी का सामना करना पड़ता है, जिससे रोजगार के अवसर सीमित होते हैं। पिछले वर्षों में कई राज्यों में शिक्षा सुधार कार्यक्रमों के बावजूद, गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता बनी हुई है।
- स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच:
- संबंध: ग्रामीण और कमजोर वर्ग के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुँच और अव्यवस्थित स्वास्थ्य प्रणाली का सामना करना पड़ता है। COVID-19 महामारी के दौरान यह समस्या और बढ़ गई, जहाँ गरीब वर्ग को स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ा।
- संविधानिक और सामाजिक न्याय:
- संबंध: जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता भी गरीबी को बढ़ावा देती है। हाल ही में विभिन्न राज्यों में जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता के मामलों में सुधार की आवश्यकता सामने आई है।
- आत्मनिर्भरता की कमी:
- संबंध: गरीब वर्ग की आत्मनिर्भरता की कमी और छोटे उद्यमों के लिए कम समर्थन भी गरीबी और असमानता को बढ़ाता है। मिनिस्ट्री ऑफ माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (MSME) ने हाल ही में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाओं की शुरुआत की है, लेकिन वास्तविक असर अब भी सीमित है।
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए समन्वित प्रयासों, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक योजनाओं, और सामाजिक न्याय के सुधार की आवश्यकता है।
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भारतीय संदर्भ में समावेशी विकास की चुनौतियाँ 1. लापरवाह और बेकार जनशक्ति: भारत में समावेशी विकास के रास्ते में लापरवाह और बेकार जनशक्ति एक प्रमुख चुनौती है। यह स्थिति अशिक्षा, आवश्यक कौशलों की कमी, और प्रशासनिक विफलता के कारण उत्पन्न होती है। अनौपचारिक क्षेत्र में कामकाजी व्यक्तियों की आय असमानता औरRead more
भारतीय संदर्भ में समावेशी विकास की चुनौतियाँ
1. लापरवाह और बेकार जनशक्ति: भारत में समावेशी विकास के रास्ते में लापरवाह और बेकार जनशक्ति एक प्रमुख चुनौती है। यह स्थिति अशिक्षा, आवश्यक कौशलों की कमी, और प्रशासनिक विफलता के कारण उत्पन्न होती है। अनौपचारिक क्षेत्र में कामकाजी व्यक्तियों की आय असमानता और कामकाजी सुरक्षा की कमी से भी यह समस्या गंभीर हो जाती है। उदाहरण के लिए, युवा बेरोजगारी की समस्या और कौशल के अद्यतन की कमी जैसी समस्याएँ इसके मुख्य कारण हैं।
2. उपाय:
a. शिक्षा और कौशल विकास: लापरवाह जनशक्ति को शिक्षा और कौशल विकास के माध्यम से सुधारना आवश्यक है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) और साक्षरता मिशन जैसी योजनाएँ युवाओं को प्रशिक्षित कर रही हैं और उनके रोजगार की संभावनाओं को बढ़ा रही हैं।
b. बेहतर नियोजन और प्रशासन: अच्छे प्रशासनिक ढांचे के माध्यम से कार्यक्रमों और योजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से लागू करना चाहिए। उदाहरण के लिए, मंगलसूत्र योजना और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं ने स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में सुधार लाने का प्रयास किया है।
c. औपचारिक क्षेत्र में रोजगार: औपचारिक क्षेत्र में अधिक रोजगार सृजन की आवश्यकता है, जिससे कि मजदूरी असमानता और बेहतर कार्य वातावरण को सुनिश्चित किया जा सके। मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी पहलों ने औपचारिक क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने का प्रयास किया है।
d. सरकारी योजनाओं की निगरानी: सरकारी योजनाओं और योजनाओं की निगरानी को सुदृढ़ करना होगा ताकि उनके लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित हो सके। समावेशी विकास रिपोर्ट्स और जनगणना डेटा का विश्लेषण इस प्रक्रिया में सहायक हो सकता है।
निष्कर्ष: समावेशी विकास में लापरवाह और बेकार जनशक्ति की चुनौतियों का सामना शिक्षा, कौशल विकास, अच्छे प्रशासन, औपचारिक रोजगार और सही निगरानी के माध्यम से किया जा सकता है। इन उपायों से भारत में समावेशी विकास की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हो सकती है।
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