‘समावेशी संवृद्धि’ के प्रमुख अभिलक्षण क्या हैं ? क्या भारत इस प्रकार के संवृद्धि प्रक्रम का अनुभव करता रहा है ? विश्लेषण कीजिए एवं समावेशी संवृद्धि हेतु उपाय सुझाइये । (250 words) [UPSC 2017]
भारत की संभाव्य संवृद्धि में बचत दर की भूमिका: 1. बचत दर का महत्व: पूंजी निर्माण: उच्च बचत दर पूंजी निर्माण को बढ़ावा देती है, जो आधारभूत संरचना, तकनीकी उन्नति, और उद्योगों में निवेश के लिए आवश्यक है। हाल के वर्षों में, भारत की सकल घरेलू बचत दर लगभग 30% रही है, जो आर्थिक विकास को समर्थन प्रदान करतीRead more
भारत की संभाव्य संवृद्धि में बचत दर की भूमिका:
1. बचत दर का महत्व:
- पूंजी निर्माण: उच्च बचत दर पूंजी निर्माण को बढ़ावा देती है, जो आधारभूत संरचना, तकनीकी उन्नति, और उद्योगों में निवेश के लिए आवश्यक है। हाल के वर्षों में, भारत की सकल घरेलू बचत दर लगभग 30% रही है, जो आर्थिक विकास को समर्थन प्रदान करती है।
- वित्तीय स्थिरता: बढ़ी हुई बचत घरेलू निवेश को समर्थन देती है और बाहरी उधारी पर निर्भरता को कम करती है।
2. संवृद्धि संभाव्यता के अन्य कारक:
**1. मानव संसाधन विकास:
- शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण: शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण में निवेश से उत्पादकता और नवाचार में सुधार होता है। ‘स्किल इंडिया मिशन’ के तहत 2022 तक 400 मिलियन से अधिक लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है।
**2. आधारभूत संरचना विकास:
- उन्नत आधारभूत संरचना: गुणवत्ता की आधारभूत संरचना व्यापार और निवेश को आकर्षित करती है। ‘भारतमाला’ और ‘सागरमाला’ परियोजनाएँ सड़क और बंदरगाह आधारभूत संरचना में सुधार करने के लिए कार्यरत हैं।
**3. प्रौद्योगिकी और नवाचार:
- डिजिटल अर्थव्यवस्था: प्रौद्योगिकी और नवाचार को अपनाने से कार्यक्षमता और नए आर्थिक अवसर उत्पन्न होते हैं। ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देता है।
**4. आर्थिक सुधार:
- नीति सुधार: GST और दिवालियापन और दायित्व संहिता (IBC) जैसे संरचनात्मक सुधार व्यापार पर्यावरण और आर्थिक दक्षता में सुधार करते हैं।
इस प्रकार, जबकि बचत दर आर्थिक स्थिरता और पूंजी निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है, मानव संसाधन विकास, आधारभूत संरचना, प्रौद्योगिकी और आर्थिक सुधार भी भारत की संवृद्धि संभाव्यता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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समावेशी संवृद्धि के प्रमुख अभिलक्षण और भारत का अनुभव **1. समावेशी संवृद्धि के प्रमुख अभिलक्षण: **1. संसाधनों का समान वितरण: आय और संपत्ति में समानता: समावेशी संवृद्धि का उद्देश्य आय और संपत्ति के असमान वितरण को कम करना है। यह शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के अवसरों को सभी वर्गों के बीच समान रूप से बाRead more
समावेशी संवृद्धि के प्रमुख अभिलक्षण और भारत का अनुभव
**1. समावेशी संवृद्धि के प्रमुख अभिलक्षण:
**1. संसाधनों का समान वितरण:
**2. स्थायी विकास:
**3. परिवादित समूहों का सशक्तिकरण:
**4. विस्तृत आर्थिक भागीदारी:
**2. भारत का अनुभव:
**1. प्रगति और उपलब्धियाँ:
**2. चुनौतियाँ:
**3. समावेशी संवृद्धि के लिए उपाय:
**1. गुणवत्ता शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का सुधार:
**2. सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को सुदृढ़ करना:
**3. क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहन देना:
**4. उद्यमिता और कौशल विकास को बढ़ावा देना:
निष्कर्ष: