समावेशी विकास की अवधारणा समझाइये। भारत में समावेशी विकास के क्या मुद्दे एवं चुनौतियाँ हैं ? स्पष्ट कीजिए । (200 Words) [UPPSC 2023]
भारत में उद्यमिता परिवेश में अनेक बाधाएँ हैं, लेकिन देश के भविष्य को आकार देने में उद्यमियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत की विशाल जनसंख्या, तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, और युवा जनसंख्या उद्यमिता के लिए एक संभावनाशील वातावरण प्रदान करती है, हालांकि कई चुनौतियाँ भी हैं। विद्यमान बाधाएँ: नियम औRead more
भारत में उद्यमिता परिवेश में अनेक बाधाएँ हैं, लेकिन देश के भविष्य को आकार देने में उद्यमियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत की विशाल जनसंख्या, तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, और युवा जनसंख्या उद्यमिता के लिए एक संभावनाशील वातावरण प्रदान करती है, हालांकि कई चुनौतियाँ भी हैं।
विद्यमान बाधाएँ:
- नियम और कानूनी जटिलताएँ: भारत में व्यवसाय शुरू करने और संचालित करने के लिए जटिल और बेतरतीब नियम और कानूनी प्रक्रियाएँ होती हैं, जो उद्यमिता की गति को धीमा कर सकती हैं।
- वित्तीय बाधाएँ: छोटे और मध्यम उद्यमों को पूंजी जुटाने में कठिनाई होती है, जिससे उनकी वृद्धि और विकास पर असर पड़ता है।
- सांस्कृतिक और सामाजिक बाधाएँ: पारंपरिक सोच और जोखिम उठाने की अनिच्छा भी उद्यमिता के विकास में बाधक हो सकती है।
उद्यमिता का भविष्य:
- नवाचार और टेक्नोलॉजी: भारत में तकनीकी और नवाचार के क्षेत्र में तेजी से बदलाव हो रहा है। स्टार्टअप्स और नई तकनीकें, जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचेन, भारत के उद्यमिता परिवेश को नया रूप दे रही हैं।
- सरकारी पहल: ‘स्टार्टअप इंडिया’ और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे सरकारी कार्यक्रम उद्यमिता को प्रोत्साहित कर रहे हैं, जो व्यावसायिक माहौल को सुधारने में मदद कर रहे हैं।
- युवा उद्यमी: भारत की युवा जनसंख्या में उत्साह और नयापन है। युवा उद्यमियों की नई सोच और ऊर्जा भविष्य में आर्थिक विकास को दिशा प्रदान कर सकती है।
समाधान और सुझाव:
- नियमों में सुधार: उद्यमिता के लिए नियमों को सरल और स्पष्ट बनाना आवश्यक है। आसान लाइसेंसिंग और कर नियम उद्यमियों के लिए सहायता प्रदान करेंगे।
- वित्तीय समर्थन: छोटे व्यवसायों के लिए वित्तीय सहायता और ऋण की उपलब्धता को बढ़ाना चाहिए।
- शिक्षा और प्रशिक्षण: उद्यमिता शिक्षा और प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करने से युवाओं को अपने उद्यमिक सपनों को साकार करने में मदद मिलेगी।
उद्यमिता की क्षमता को समझते हुए और इन बाधाओं को संबोधित करके, भारत के उद्यमी न केवल देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देंगे बल्कि एक नवीन और सतत भविष्य की दिशा भी प्रदान करेंगे।
See less
समावेशी विकास की अवधारणा 1. परिभाषा और उद्देश्य: समावेशी विकास एक ऐसी अवधारणा है जिसमें सभी सामाजिक और आर्थिक वर्गों को विकास के लाभ समान रूप से मिलें। इसका उद्देश्य सभी व्यक्तियों और समूहों के लिए आर्थिक अवसर, सामाजिक समानता, और समान विकास सुनिश्चित करना है। इसमें गरीबों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, औरRead more
समावेशी विकास की अवधारणा
1. परिभाषा और उद्देश्य:
भारत में समावेशी विकास के मुद्दे और चुनौतियाँ
1. सामाजिक और आर्थिक विषमताएँ:
2. शिक्षा और स्वास्थ्य:
3. लैंगिक असमानता:
4. बेरोजगारी और स्वरोजगार:
निष्कर्ष
समावेशी विकास की अवधारणा का उद्देश्य सभी वर्गों को समान अवसर प्रदान करना है। भारत में सामाजिक और आर्थिक विषमताएँ, शिक्षा और स्वास्थ्य की असमानता, लैंगिक असमानता, और बेरोजगारी जैसी चुनौतियाँ इस उद्देश्य को पूरा करने में बाधक हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए समन्वित और सतत प्रयासों की आवश्यकता है।
See less