भारत में कृषि उत्पादों के विपणन की ऊर्ध्वमुखी और अधोमुखी प्रक्रिया में मुख्य बाधाएँ क्या हैं ? (250 words) [UPSC 2022]
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPPs) भारत में कृषि उपज के भंडारण, परिवहन, और विपणन को बेहतर बनाने में अत्यधिक सहायक हो सकती है। यह साझेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की नीति निर्माण और आधारभूत ढांचा विकास के साथ निजी क्षेत्र की दक्षता, निवेश और नवाचार को जोड़ती है, जिससे कृषि क्षेत्र को कई लाभ प्राप्त होते हैं। 1Read more
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPPs) भारत में कृषि उपज के भंडारण, परिवहन, और विपणन को बेहतर बनाने में अत्यधिक सहायक हो सकती है। यह साझेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की नीति निर्माण और आधारभूत ढांचा विकास के साथ निजी क्षेत्र की दक्षता, निवेश और नवाचार को जोड़ती है, जिससे कृषि क्षेत्र को कई लाभ प्राप्त होते हैं।
1. भंडारण क्षमता और प्रबंधन: PPPs के माध्यम से निजी कंपनियों को भंडारण अवसंरचना, जैसे कि कोल्ड स्टोरेज और साइलो निर्माण में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। यह सार्वजनिक क्षेत्र के संसाधनों और निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता का संगम है, जो भंडारण क्षमता को बढ़ाता है और भंडारण की गुणवत्ता में सुधार करता है। इससे कृषि उपज की बर्बादी में कमी आती है और किसानों को उच्च मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलती है।
2. परिवहन नेटवर्क: निजी क्षेत्र की भागीदारी से परिवहन नेटवर्क में सुधार हो सकता है, जैसे कि बेहतर सड़कों, कंटेनर ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक सेवाओं के माध्यम से। सार्वजनिक-निजी साझेदारी के तहत, आधुनिक ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण और संचालन में निवेश किया जा सकता है, जिससे कृषि उपज की डिलीवरी समय पर और सुरक्षित रूप से की जा सके।
3. विपणन और वितरण: PPPs विपणन चैनलों के विकास में भी योगदान कर सकते हैं। निजी क्षेत्र के खिलाड़ी एग्री-मार्केटिंग प्लेटफॉर्म और ई-मार्केटिंग चैनल्स को स्थापित और संचालित कर सकते हैं, जो किसानों को सीधे बाजार से जोड़ते हैं। इससे बिचौलियों की भूमिका कम होती है और किसानों को उनके उत्पाद के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त होता है।
4. नवाचार और तकनीकी सुधार: निजी क्षेत्र की सहभागिता नई तकनीकों और इनोवेटिव समाधानों के लागू करने में सहायक होती है। इससे कृषि क्षेत्र में स्मार्ट एग्रीकल्चर तकनीकों, डेटा एनालिटिक्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग बढ़ता है, जो भंडारण, परिवहन, और विपणन की प्रक्रियाओं को और अधिक कुशल बनाता है।
5. जोखिम प्रबंधन और वित्तीय प्रबंधन: PPPs की सहायता से वित्तीय प्रबंधन और जोखिम प्रबंधन तंत्र भी मजबूत किए जा सकते हैं। निजी क्षेत्र के अनुभव और संसाधनों का उपयोग कर सार्वजनिक परियोजनाओं को लागत-कुशल और जोखिम-प्रबंधित बनाया जा सकता है।
इस प्रकार, सार्वजनिक-निजी भागीदारी भारत में कृषि उपज के भंडारण, परिवहन, और विपणन में सुधार करने के लिए एक प्रभावी मॉडल प्रदान करती है, जिससे कृषि क्षेत्र को अधिक समृद्ध और स्थिर बनाया जा सकता है।
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भारत में कृषि उत्पादों के विपणन में बाधाएँ **1. ऊर्ध्वमुखी प्रक्रिया की बाधाएँ: **a. गुणवत्ता युक्त इनपुट्स की सीमित पहुँच: किसान अक्सर उच्च गुणवत्ता वाले बीज, उर्वरक और कीटनाशकों तक सीमित पहुँच का सामना करते हैं। उदाहरण के लिए, बिहार में छोटे और सीमांत किसान प्रमाणित बीजों की कमी से प्रभावित होते हRead more
भारत में कृषि उत्पादों के विपणन में बाधाएँ
**1. ऊर्ध्वमुखी प्रक्रिया की बाधाएँ:
**a. गुणवत्ता युक्त इनपुट्स की सीमित पहुँच:
**b. अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा:
**c. असंगठित विस्तार सेवाएँ:
**2. अधोमुखी प्रक्रिया की बाधाएँ:
**a. टुकड़ों में आपूर्ति श्रृंखला:
**b. बाजार पहुँच की समस्याएँ:
**c. मूल्य अस्थिरता:
**3. हाल की पहलें और समाधान:
**a. डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म:
**b. कोल्ड स्टोरेज निवेश:
**c. विस्तार सेवाओं में सुधार:
निष्कर्ष: इन बाधाओं को दूर करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें बुनियादी ढाँचा विकास, बेहतर बाजार पहुँच, प्रभावी विस्तार सेवाएँ, और प्रौद्योगिकी का उपयोग शामिल है। eNAM जैसी पहलें और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं में सुधार सही दिशा में कदम हैं, लेकिन उपयुक्त और स्थायी प्रयासों की आवश्यकता है।
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