भारत में कृषि विपणन सुधारों का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिये। क्या वे समुचित हैं? (200 Words) [UPPSC 2019]
भारत में कृषि उत्पादों के परिवहन एवं विपणन की मुख्य बाधाएँ अवसंरचनात्मक समस्याएँ: उदाहरण: "कृषि उपज के लिए सड़क और परिवहन नेटवर्क की कमी" - खराब सड़कें और कम कोल्ड स्टोरेज सुविधाएँ उत्पाद की गुणवत्ता और मूल्य को प्रभावित करती हैं। विपणन प्रणाली की जटिलताएँ: उदाहरण: "कृषि मंडियों में बिचौलियों की अधिRead more
भारत में कृषि उत्पादों के परिवहन एवं विपणन की मुख्य बाधाएँ
- अवसंरचनात्मक समस्याएँ:
- उदाहरण: “कृषि उपज के लिए सड़क और परिवहन नेटवर्क की कमी” – खराब सड़कें और कम कोल्ड स्टोरेज सुविधाएँ उत्पाद की गुणवत्ता और मूल्य को प्रभावित करती हैं।
- विपणन प्रणाली की जटिलताएँ:
- उदाहरण: “कृषि मंडियों में बिचौलियों की अधिकता” – बिचौलियों के कारण किसानों को सही मूल्य नहीं मिलता, जैसे “मंडी सिस्टम में कागजी कार्यवाही और मोलभाव”।
- कानूनी और नियामक अड़चनें:
- उदाहरण: “राज्य आधारित विभिन्न मार्केटिंग नियम” – राज्य सरकारों के विभिन्न विपणन नियम और कर संरचनाएँ किसान के लिए समस्याएँ उत्पन्न करती हैं।
- वित्तीय बाधाएँ:
- उदाहरण: “सुविधाओं की कमी और क्रेडिट की पहुँच में कमी” – किसानों को बेहतर परिवहन और विपणन प्रौद्योगिकी के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता नहीं मिलती।
समाधान:
- आधारभूत ढांचे में सुधार: कोल्ड स्टोरेज और सड़क नेटवर्क का विकास, जैसे “प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना”।
- विपणन प्रणाली का सुधार: ई-नाम जैसी डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग।
- नियामक सुधार: एकीकृत मार्केटिंग नीतियों को लागू करना।
इन उपायों से भारत में कृषि उत्पादों के परिवहन और विपणन में सुधार किया जा सकता है।
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भारत में कृषि विपणन सुधारों का संक्षिप्त मूल्यांकन और उनकी समुचितता सुधारों का अवलोकन: APMC अधिनियम में सुधार: मॉडल APMC अधिनियम के तहत किसानों को पारंपरिक APMC मंडियों के बाहर सीधे विक्रेताओं को बेचने की अनुमति दी गई है। कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (प्रोत्साहन और सुविधा) अधिनियम, 2020 इसके तहत एRead more
भारत में कृषि विपणन सुधारों का संक्षिप्त मूल्यांकन और उनकी समुचितता
सुधारों का अवलोकन:
हालिया उदाहरण:
समुचितता:
निष्कर्ष:
भारत में कृषि विपणन सुधारों ने क्षेत्र को आधुनिक बनाने की दिशा में कदम उठाया है, लेकिन कार्यान्वयन, बुनियादी ढांचे और भागीदारों के विरोध में चुनौतियों के कारण ये सुधार पूरी तरह से समुचित नहीं हैं। इन मुद्दों को हल करने के लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता है।
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