फर्टिगेशन मौलिक रूप से जल जैसे कीमती संसाधनों के उपयोग और पर्यावरण के पोषक तत्वों की क्षति को कम करते हुए बदलती जलवायु में स्थायी रूप से अधिक खाद्यान्नों के उत्पादन में मदद कर सकता है। चर्चा कीजिए। (150 ...
फसल कटाई के बाद की मूल्य श्रृंखला में अक्षमता और इसके प्रभाव: फसल कटाई के बाद की मूल्य श्रृंखला में अक्षमता, जैसे कि अपारदर्शी आपूर्ति श्रृंखलाएँ, भंडारण की कमी, और परिवहन की समस्याएँ, भारतीय लघु और सीमांत किसानों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। इस स्थिति के कारण फसलों की गुणवत्ता में गिरावRead more
फसल कटाई के बाद की मूल्य श्रृंखला में अक्षमता और इसके प्रभाव:
फसल कटाई के बाद की मूल्य श्रृंखला में अक्षमता, जैसे कि अपारदर्शी आपूर्ति श्रृंखलाएँ, भंडारण की कमी, और परिवहन की समस्याएँ, भारतीय लघु और सीमांत किसानों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। इस स्थिति के कारण फसलों की गुणवत्ता में गिरावट आती है, नुकसान बढ़ता है, और मूल्य में कमी होती है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है और फसल की हानि होती है। इन समस्याओं के कारण किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता, जिससे उनकी आजीविका प्रभावित होती है।
सरकारी कदम:
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY): यह योजना फसल कटाई के बाद के नुकसान को कम करने के लिए एकीकृत सिंचाई प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करती है, जिससे फसलों की सिंचाई और भंडारण के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध हो सकें।
कृषि उत्पाद बाजार समिति (APMC) सुधार: सरकार ने APMC एक्ट में सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया है ताकि किसानों को अधिक प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी बाजार मूल्य प्राप्त हो सके और बिचौलियों की भूमिका कम हो सके।
फसल कटाई के बाद प्रबंधन की योजना: ‘फसल कटाई के बाद प्रबंधन’ पर ध्यान केंद्रित करने के लिए विभिन्न योजनाएँ चलायी जा रही हैं, जैसे कि कोल्ड स्टोरेज और प्रसेसिंग यूनिट्स की स्थापना, जिससे फसल की गुणवत्ता बनाए रखी जा सके और भंडारण की समस्याओं को सुलझाया जा सके।
कृषि-प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर: सरकार ने कृषि-प्रोसेसिंग और इनक्लूसिव फार्मिंग पर ध्यान देने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं, जैसे कि ‘प्रसंस्करण और संरक्षण’ परियोजनाएँ। इन परियोजनाओं का उद्देश्य किसानों को बेहतर मूल्य श्रृंखला और मूल्य वर्धन के अवसर प्रदान करना है।
ई-नम (E-NAM): ई-नम एक ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म है जो किसानों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी फसलें बेचने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे उन्हें बेहतर कीमत मिल सके और बाजार की विसंगतियों को दूर किया जा सके।
इन प्रयासों से सरकार का उद्देश्य फसल कटाई के बाद के नुकसान को कम करना, किसानों को उचित मूल्य प्राप्त करना, और समग्र कृषि उत्पादन को स्थिर और सशक्त बनाना है। यह रणनीतियाँ किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने और फसल की हानि को कम करने में सहायक हो रही हैं।
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फर्टिगेशन, जिसमें उर्वरक और जल को संयोजित किया जाता है, जल और पोषक तत्वों के उपयोग को अधिक कुशल बनाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से, उर्वरक सीधे पौधों की जड़ों में पहुंचते हैं, जिससे उनकी अवशोषण दर बढ़ती है और उर्वरक का अधिकतम उपयोग होता है। इससे जल की मात्रा कम होती है और पर्यावरणीय प्रदूषण भी घटताRead more
फर्टिगेशन, जिसमें उर्वरक और जल को संयोजित किया जाता है, जल और पोषक तत्वों के उपयोग को अधिक कुशल बनाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से, उर्वरक सीधे पौधों की जड़ों में पहुंचते हैं, जिससे उनकी अवशोषण दर बढ़ती है और उर्वरक का अधिकतम उपयोग होता है। इससे जल की मात्रा कम होती है और पर्यावरणीय प्रदूषण भी घटता है।
बदलती जलवायु के प्रभाव में, जैसे कि अनियमित वर्षा और सूखा, फर्टिगेशन एक स्थायी समाधान प्रस्तुत करता है। यह न केवल जल का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करता है, बल्कि पौधों को आवश्यक पोषक तत्व समय पर प्रदान करता है, जिससे उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार होता है। इस प्रकार, फर्टिगेशन जलवायु परिवर्तन के अनुकूल खेती में एक महत्वपूर्ण उपकरण बन सकता है, जिससे खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकता है।
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