भारत में कृषि उत्पादों के विपणन की ऊर्ध्वमुखी और अधोमुखी प्रक्रिया में मुख्य बाधाएँ क्या हैं ? (250 words) [UPSC 2022]
भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के कार्यक्षेत्र और महत्त्व **1. कार्यक्षेत्र: विविध उत्पाद: खाद्य प्रसंस्करण उद्योग फल, सब्जियाँ, डेयरी, मांस, और अनाज उत्पादों की प्रसंस्करण में संलग्न है। इसमें पैकेज्ड खाद्य पदार्थ, तैयार भोजन, और पेय पदार्थ भी शामिल हैं। विस्तारशीलता: भारत में इस उद्योग की वृद्धिRead more
भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के कार्यक्षेत्र और महत्त्व
**1. कार्यक्षेत्र:
- विविध उत्पाद: खाद्य प्रसंस्करण उद्योग फल, सब्जियाँ, डेयरी, मांस, और अनाज उत्पादों की प्रसंस्करण में संलग्न है। इसमें पैकेज्ड खाद्य पदार्थ, तैयार भोजन, और पेय पदार्थ भी शामिल हैं।
- विस्तारशीलता: भारत में इस उद्योग की वृद्धि हो रही है, जिसमें प्रसंस्करण के नए तरीके और वर्तमान खाद्य प्रवृत्तियों को अपनाया जा रहा है।
**2. आर्थिक महत्त्व:
- रोजगार सृजन: यह उद्योग लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है। हाल ही में, 2023 में, 10 मिलियन से अधिक रोजगार सृजित हुए हैं।
- मूल्य संवर्द्धन: कच्चे कृषि उत्पादों को मूल्यवर्धन करके किसानों की आय में वृद्धि की जाती है। प्रसंस्कृत फलों और सब्जियों के निर्यात में वृद्धि इसका उदाहरण है।
**3. खाद्य सुरक्षा और पोषण:
- खाद्य अपव्यय में कमी: प्रसंस्करण से खाद्य पदार्थों को सहेजने में मदद मिलती है, जिससे खाद्य सुरक्षा में सुधार होता है।
- पोषण सुधार: फोर्टिफाइड और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ से पोषण में सुधार और खाद्य उपलब्धता बढ़ती है। अनाज फोर्टिफिकेशन की पहल इसका उदाहरण है।
**4. हालिया विकास:
- सरकारी पहल: प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना (PMKSY) जैसे कार्यक्रम इस उद्योग को आधुनिक और निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य रखते हैं। 2023 में, कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं और फूड पार्कों में बड़े पैमाने पर निवेश किया गया है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग भारत की आर्थिक वृद्धि, खाद्य सुरक्षा, और पोषण में सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसके विकास से देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सशक्त किया जा सकता है।
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भारत में कृषि उत्पादों के विपणन में बाधाएँ **1. ऊर्ध्वमुखी प्रक्रिया की बाधाएँ: **a. गुणवत्ता युक्त इनपुट्स की सीमित पहुँच: किसान अक्सर उच्च गुणवत्ता वाले बीज, उर्वरक और कीटनाशकों तक सीमित पहुँच का सामना करते हैं। उदाहरण के लिए, बिहार में छोटे और सीमांत किसान प्रमाणित बीजों की कमी से प्रभावित होते हRead more
भारत में कृषि उत्पादों के विपणन में बाधाएँ
**1. ऊर्ध्वमुखी प्रक्रिया की बाधाएँ:
**a. गुणवत्ता युक्त इनपुट्स की सीमित पहुँच:
**b. अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा:
**c. असंगठित विस्तार सेवाएँ:
**2. अधोमुखी प्रक्रिया की बाधाएँ:
**a. टुकड़ों में आपूर्ति श्रृंखला:
**b. बाजार पहुँच की समस्याएँ:
**c. मूल्य अस्थिरता:
**3. हाल की पहलें और समाधान:
**a. डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म:
**b. कोल्ड स्टोरेज निवेश:
**c. विस्तार सेवाओं में सुधार:
निष्कर्ष: इन बाधाओं को दूर करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें बुनियादी ढाँचा विकास, बेहतर बाजार पहुँच, प्रभावी विस्तार सेवाएँ, और प्रौद्योगिकी का उपयोग शामिल है। eNAM जैसी पहलें और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं में सुधार सही दिशा में कदम हैं, लेकिन उपयुक्त और स्थायी प्रयासों की आवश्यकता है।
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