भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों की व्याख्या कीजिये। उन्हें कैसे दूर किया जा सकता हैं? समझाइये। (200 Words) [UPPSC 2019]
भारत में कृषि विपणन सुधारों का संक्षिप्त मूल्यांकन और उनकी समुचितता सुधारों का अवलोकन: APMC अधिनियम में सुधार: मॉडल APMC अधिनियम के तहत किसानों को पारंपरिक APMC मंडियों के बाहर सीधे विक्रेताओं को बेचने की अनुमति दी गई है। कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (प्रोत्साहन और सुविधा) अधिनियम, 2020 इसके तहत एRead more
भारत में कृषि विपणन सुधारों का संक्षिप्त मूल्यांकन और उनकी समुचितता
सुधारों का अवलोकन:
- APMC अधिनियम में सुधार: मॉडल APMC अधिनियम के तहत किसानों को पारंपरिक APMC मंडियों के बाहर सीधे विक्रेताओं को बेचने की अनुमति दी गई है। कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (प्रोत्साहन और सुविधा) अधिनियम, 2020 इसके तहत एक खुला बाजार वातावरण बनाने का प्रयास करता है।
- e-NAM (राष्ट्रीय कृषि बाजार): 2016 में शुरू किया गया e-NAM एक इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म है जो विभिन्न राज्यों के कृषि बाजारों को एकीकृत करता है। अब तक, 2024 तक, 1000 से अधिक मंडियाँ e-NAM से जुड़ी हैं।
- प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT): DBT योजना के तहत सब्सिडी सीधे किसानों के खातों में ट्रांसफर की जाती है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) इसका एक उदाहरण है, जो छोटे और सीमांत किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
हालिया उदाहरण:
- कृषि कानूनों की वापसी (2021): 2020 में लागू किए गए कृषि कानूनों, जैसे कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य अधिनियम और कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौते पर मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाएं अधिनियम, को बड़े विरोध के बाद वापस ले लिया गया, जिससे सुधारों की जटिलताओं और चुनौतियों को उजागर किया।
- किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना: KCC योजना का विस्तार मत्स्य और पशुपालन क्षेत्रों में किया गया है, जो सभी कृषि पहलुओं का समर्थन करने के लिए है। यह किसानों को बेहतर क्रेडिट पहुंच प्रदान करता है।
समुचितता:
- कार्यान्वयन की समस्याएँ: सुधारों के बावजूद, स्थानीय व्यापारियों और बुनियादी ढांचे की कमी के कारण वास्तविक प्रभाव सीमित है। लागू करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- किसान विरोध: कृषि कानूनों की वापसी ने नीति निर्माण की पारदर्शिता और समावेशिता की आवश्यकता को उजागर किया, यह संकेत करता है कि सुधारों में अभी भी सुधार की आवश्यकता है।
- बुनियादी ढांचे की कमी: दूरदराज के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी सुधारों की प्रभावशीलता को प्रभावित करती है।
निष्कर्ष:
भारत में कृषि विपणन सुधारों ने क्षेत्र को आधुनिक बनाने की दिशा में कदम उठाया है, लेकिन कार्यान्वयन, बुनियादी ढांचे और भागीदारों के विरोध में चुनौतियों के कारण ये सुधार पूरी तरह से समुचित नहीं हैं। इन मुद्दों को हल करने के लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता है।
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भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियाँ और उनके समाधान चुनौतियाँ: जनसंख्या वृद्धि: तेजी से बढ़ती जनसंख्या खाद्य मांग को बढ़ा रही है। 2030 तक भारत की जनसंख्या 1.5 अरब तक पहुंचने का अनुमान है, जो खाद्य सुरक्षा पर दबाव डालती है। जलवायु परिवर्तन: चरम मौसम घटनाएँ जैसे बाढ़ और सूखा फसल उत्पादन को प्रभावित करतRead more
भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियाँ और उनके समाधान
चुनौतियाँ:
समाधान:
निष्कर्ष: भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों को हल करने के लिए तकनीकी नवाचार, जलवायु अनुकूलन, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, और प्रभावी सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों की आवश्यकता है। इन उपायों को लागू करके खाद्य सुरक्षा को मजबूत किया जा सकता है और सभी नागरिकों को पर्याप्त और पोषक खाद्य पदार्थों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है।
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