भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों की व्याख्या कीजिये। उन्हें कैसे दूर किया जा सकता हैं? समझाइये। (200 Words) [UPPSC 2019]
कृषि सब्सिडी ने भारतीय किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया है, लेकिन इसके साथ ही पर्यावरण और जैव विविधता को भी प्रभावित किया गया है। सब्सिडी के प्राप्तकर्ताओं ने उन्हें उन्नत तकनीकी उपकरण और कृषि तकनीकियों तक पहुंचाने में मदद की है, जिससे उत्पादन में वृद्धि हुई है। इससे विभिन्न फसलों की उत्पादकतRead more
कृषि सब्सिडी ने भारतीय किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया है, लेकिन इसके साथ ही पर्यावरण और जैव विविधता को भी प्रभावित किया गया है। सब्सिडी के प्राप्तकर्ताओं ने उन्हें उन्नत तकनीकी उपकरण और कृषि तकनीकियों तक पहुंचाने में मदद की है, जिससे उत्पादन में वृद्धि हुई है। इससे विभिन्न फसलों की उत्पादकता में सुधार और अन्न स्वावलंबन की दिशा में कदम बढ़ा है।
हालांकि, सब्सिडी के प्रयोग में वृद्धि ने पर्यावरणीय निम्नीकरण और जैव विविधता को प्रभावित किया है। कृषि सब्सिडी की अधिक उपयोगिता के लिए किसानों ने अधिक खेती की, जिससे भूमि के अधिक उपयोग, जल प्रयोग और उपयोगिता की भी वृद्धि हुई। इसके परिणामस्वरूप, भूमि की उपयोगिता में बढ़ोतरी, जल संकट, और जैव विविधता के ह्रास की मुश्किलें उत्पन्न हुई हैं।
इस संदर्भ में, भारत को सुदृढ़ और समर्थनयोग्य कृषि नीतियों की आवश्यकता है जो किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारते हुए पर्यावरणीय समृद्धि और जैव विविधता की सुरक्षा कर सके। सब्सिडी के सही उपयोग, उचित मूल्य निर्धारण, और जल संरक्षण के लिए नई तकनीकों का प्रयोग करना महत्वपूर्ण है ताकि कृषि के सहायक कार्यों के साथ पर्यावरण और जैव विविधता को भी संरक्षित किया जा सके।
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भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियाँ और उनके समाधान चुनौतियाँ: जनसंख्या वृद्धि: तेजी से बढ़ती जनसंख्या खाद्य मांग को बढ़ा रही है। 2030 तक भारत की जनसंख्या 1.5 अरब तक पहुंचने का अनुमान है, जो खाद्य सुरक्षा पर दबाव डालती है। जलवायु परिवर्तन: चरम मौसम घटनाएँ जैसे बाढ़ और सूखा फसल उत्पादन को प्रभावित करतRead more
भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियाँ और उनके समाधान
चुनौतियाँ:
समाधान:
निष्कर्ष: भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों को हल करने के लिए तकनीकी नवाचार, जलवायु अनुकूलन, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, और प्रभावी सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों की आवश्यकता है। इन उपायों को लागू करके खाद्य सुरक्षा को मजबूत किया जा सकता है और सभी नागरिकों को पर्याप्त और पोषक खाद्य पदार्थों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है।
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