यद्यपि कृषि सब्सिडी ने किसानों की आय में वृद्धि की है, तथापि इन्होंने पर्यावरणीय निम्नीकरण और जैव विविधता के ह्रास में भी योगदान दिया है। भारत के संदर्भ में चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियाँ और उपाय खाद्य सुरक्षा की स्थिति भारत ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई पहल की हैं, लेकिन चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। भोजन की उपलब्धता: भारत में अन्नपूर्ण योजना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) जैसे कार्यक्रम खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देते हैं। ‘प्Read more
भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियाँ और उपाय
खाद्य सुरक्षा की स्थिति
भारत ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई पहल की हैं, लेकिन चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं।
- भोजन की उपलब्धता: भारत में अन्नपूर्ण योजना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) जैसे कार्यक्रम खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देते हैं। ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ ने COVID-19 महामारी के दौरान राशन वितरण को बेहतर बनाया है।
- वितरण और पहुंच: हालांकि योजनाएँ हैं, वितरण प्रणाली की खामियाँ और भ्रष्टाचार अक्सर खाद्य सुरक्षा में बाधा डालते हैं। ‘मिड-डे मील’ और ‘आंगनवाड़ी’ कार्यक्रमों के बावजूद, नगण्य पहुंच और भ्रष्टाचार के कारण सभी जरूरतमंद लोगों तक खाद्य सामग्री नहीं पहुँचती।
- कृषि उत्पादकता और गुणवत्ता: कृषि में उत्पादकता और फसल नुकसान बड़ी समस्याएँ हैं। कृषि का डिजिटलीकरण और फसल बीमा योजनाएँ जैसे ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ के बावजूद, सकल उत्पादन और उचित भंडारण की कमी बनी रहती है।
- वित्तीय और सामुदायिक समर्थन: गरीबी और विपणन संरचनाओं की कमी भी खाद्य सुरक्षा में चुनौती हैं। रोजगार निर्माण और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।
हालिया उदाहरण: 2023 में, भारत ने ‘फूड सिक्योरिटी सर्वे’ पेश किया, जिसमें खाद्य सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर हाल की प्रगति और समस्याओं की समीक्षा की गई है। इस सर्वे ने खाद्य वितरण में सुधार और अधिक प्रभावी उपायों की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
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कृषि सब्सिडी ने भारतीय किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया है, लेकिन इसके साथ ही पर्यावरण और जैव विविधता को भी प्रभावित किया गया है। सब्सिडी के प्राप्तकर्ताओं ने उन्हें उन्नत तकनीकी उपकरण और कृषि तकनीकियों तक पहुंचाने में मदद की है, जिससे उत्पादन में वृद्धि हुई है। इससे विभिन्न फसलों की उत्पादकतRead more
कृषि सब्सिडी ने भारतीय किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया है, लेकिन इसके साथ ही पर्यावरण और जैव विविधता को भी प्रभावित किया गया है। सब्सिडी के प्राप्तकर्ताओं ने उन्हें उन्नत तकनीकी उपकरण और कृषि तकनीकियों तक पहुंचाने में मदद की है, जिससे उत्पादन में वृद्धि हुई है। इससे विभिन्न फसलों की उत्पादकता में सुधार और अन्न स्वावलंबन की दिशा में कदम बढ़ा है।
हालांकि, सब्सिडी के प्रयोग में वृद्धि ने पर्यावरणीय निम्नीकरण और जैव विविधता को प्रभावित किया है। कृषि सब्सिडी की अधिक उपयोगिता के लिए किसानों ने अधिक खेती की, जिससे भूमि के अधिक उपयोग, जल प्रयोग और उपयोगिता की भी वृद्धि हुई। इसके परिणामस्वरूप, भूमि की उपयोगिता में बढ़ोतरी, जल संकट, और जैव विविधता के ह्रास की मुश्किलें उत्पन्न हुई हैं।
इस संदर्भ में, भारत को सुदृढ़ और समर्थनयोग्य कृषि नीतियों की आवश्यकता है जो किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारते हुए पर्यावरणीय समृद्धि और जैव विविधता की सुरक्षा कर सके। सब्सिडी के सही उपयोग, उचित मूल्य निर्धारण, और जल संरक्षण के लिए नई तकनीकों का प्रयोग करना महत्वपूर्ण है ताकि कृषि के सहायक कार्यों के साथ पर्यावरण और जैव विविधता को भी संरक्षित किया जा सके।
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