Home/आपदा प्रबंधन/Page 2
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
भू-स्खलन के विभिन्न कारणों और प्रभावों का वर्णन कीजिए । राष्ट्रीय भू-स्खलन जोखिम प्रबंधन रणनीति के महत्त्वपूर्ण घटकों का उल्लेख कीजिए। (250 words) [UPSC 2021]
भू-स्खलन के कारण और प्रभाव भू-स्खलन के कारण: प्राकृतिक कारण: भौगोलिक तत्व: भू-स्खलन अक्सर उन भौगोलिक संरचनाओं की अस्थिरता के कारण होते हैं जिनमें कमजोर या दरार वाले चट्टानें होती हैं। उदाहरणस्वरूप, हिमालयी क्षेत्र में भौगोलिक अस्थिरता के कारण लगातार भू-स्खलन होते रहते हैं। मौसमी स्थिति: भारी वर्षा मRead more
भू-स्खलन के कारण और प्रभाव
भू-स्खलन के कारण:
भू-स्खलन के प्रभाव:
राष्ट्रीय भू-स्खलन जोखिम प्रबंधन रणनीति के महत्त्वपूर्ण घटक:
इन कारणों और राष्ट्रीय भू-स्खलन जोखिम प्रबंधन रणनीति के घटकों को समझकर, भू-स्खलनों के प्रभाव को कम किया जा सकता है और संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा को बढ़ाया जा सकता है।
See lessआपदा प्रभावों और लोगों के लिए उसके खतरे को परिभाषित करने के लिए भेद्यता एक अत्यावश्यक तत्त्व है। आपदाओं के प्रति भेद्यता का किस प्रकार और किन-किन तरीकों के साथ चरित्र-चित्रण किया जा सकता है? आपदाओं के संदर्भ में भेद्यता के विभिन्न प्रकारों पर चर्चा कीजिए। (150 words) [UPSC 2019]
आपदाओं के प्रति भेद्यता का चरित्र-चित्रण 1. भेद्यता की परिभाषा: भेद्यता: आपदाओं के प्रभाव और खतरों को समझने के लिए भेद्यता एक महत्वपूर्ण तत्व है। यह संवेदनशीलता और सक्षम क्षमताओं के आधार पर लोगों और समुदायों की संभावित क्षति की माप होती है। 2. भौगोलिक भेद्यता: भौगोलिक स्थिति: प्राकृतिक आपदाओं के प्रRead more
आपदाओं के प्रति भेद्यता का चरित्र-चित्रण
1. भेद्यता की परिभाषा:
2. भौगोलिक भेद्यता:
3. आर्थिक भेद्यता:
4. सामाजिक भेद्यता:
5. भौतिक भेद्यता:
6. प्राकृतिक भेद्यता:
इन विभिन्न प्रकारों से भेद्यता का विश्लेषण कर, आपदा प्रबंधन के लिए प्रभावी रणनीतियाँ और सुधारात्मक उपाय अपनाए जा सकते हैं।
See lessकिसी भी आपदा प्रबंधन प्रक्रम में आपदा तैयारी पहला कदम होता है। भूस्खलनों के मामले में, स्पष्ट कीजिए कि संकट अनुक्षेत्र मानचित्रण किस प्रकार आपदा अल्पीकरण में मदद करेगा। (250 words) [UPSC 2019]
भूस्खलनों में संकट अनुक्षेत्र मानचित्रण का महत्व 1. संकट अनुक्षेत्र मानचित्रण की परिभाषा: संकट अनुक्षेत्र मानचित्रण (Hazard Zonation Mapping) एक भू-आकृतिक प्रक्रिया है जिसमें किसी विशेष क्षेत्र में भूस्खलन के संभावित खतरों को मानचित्र पर दर्शाया जाता है। यह प्रक्रिया भूस्खलन संभाव्यता को विभिन्न श्रRead more
भूस्खलनों में संकट अनुक्षेत्र मानचित्रण का महत्व
1. संकट अनुक्षेत्र मानचित्रण की परिभाषा:
2. आपदा तैयारी में मदद:
1. जोखिम क्षेत्र की पहचान:
2. योजना और नीतिगत निर्णय:
3. आपदा प्रबंधन और प्रतिक्रिया:
4. जन जागरूकता और शिक्षा:
5. संरचनात्मक सुधार:
उपसंहार: संकट अनुक्षेत्र मानचित्रण भूस्खलनों के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह जोखिम की पहचान, विकास और योजना में सुधार, और आपातकालीन प्रतिक्रियाओं को सक्षम बनाता है, जिससे आपदा अल्पीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान मिलता है।
See lessआपदा प्रबन्धन में पूर्ववर्ती प्रतिक्रियात्मक उपागम से हटते हुए भारत सरकार द्वारा आरम्भ किए गए अभिनूतन उपायों की विवेचना कीजिए। (250 words) [UPSC 2020]
भारत सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन में अभिनूतन उपाय 1. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMP) 2019: प्रोएक्टिव दृष्टिकोण: NDMP 2019 ने पूर्ववर्ती प्रतिक्रियात्मक दृष्टिकोण को बदलते हुए जोखिम कम करने और सतत प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया है। योजना में जोखिम मूल्यांकन, सामुदायिक भागीदारी, और प्रस्तावित प्रतिRead more
भारत सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन में अभिनूतन उपाय
1. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMP) 2019:
2. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की पहल:
3. राज्यस्तरीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण:
4. तकनीकी एकीकरण:
5. सामुदायिक भागीदारी और क्षमता निर्माण:
6. वित्तीय और संस्थागत समर्थन:
इन उपायों के माध्यम से, भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन में एक प्रतिक्रियात्मक दृष्टिकोण से हटकर एक अधिक समन्वित, प्रोएक्टिव और प्रौद्योगिकी-संचालित दृष्टिकोण अपनाया है, जिससे आपदाओं की तैयारी और प्रतिक्रिया में सुधार हुआ है।
See lessभूकम्प संबंधित संकटों के लिए भारत की भेद्यता की विवेचना कीजिए। पिछले तीन दशकों में, भारत के विभिन्न भागों में भूकम्प द्वारा उत्पन्न बड़ी आपदाओं के उदाहरण प्रमुख विशेषताओं के साथ दीजिए । (150 words) [UPSC 2021]
भूकम्प संबंधित संकटों के लिए भारत की भेद्यता भारत की भूकम्प संबंधित संकटों के प्रति भेद्यता उसके भूगर्भीय स्थान के कारण है, जहाँ भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटें मिलती हैं। मुख्य भेद्यता वाले क्षेत्र में हिमालयी क्षेत्र, उत्तर-पूर्वी राज्य, और गुजरात के कुछ हिस्से शामिल हैं। हाल की प्रमुख आपदाएँRead more
भूकम्प संबंधित संकटों के लिए भारत की भेद्यता
भारत की भूकम्प संबंधित संकटों के प्रति भेद्यता उसके भूगर्भीय स्थान के कारण है, जहाँ भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटें मिलती हैं। मुख्य भेद्यता वाले क्षेत्र में हिमालयी क्षेत्र, उत्तर-पूर्वी राज्य, और गुजरात के कुछ हिस्से शामिल हैं।
हाल की प्रमुख आपदाएँ:
ये उदाहरण भारत की भूकम्पीय गतिविधियों के प्रति संवेदनशीलता को स्पष्ट करते हैं और बेहतर तैयारी और प्रबंधन की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
See lessभारत में तटीय अपरदन के कारणों एवं प्रभावों को समझाइए । ख़तरे का मुकाबला करने के लिए उपलब्ध तटीय प्रबंधन तकनीकें क्या हैं? (250 words) [UPSC 2022]
भारत में तटीय अपरदन: कारण, प्रभाव और प्रबंधन तकनीकें **1. तटीय अपरदन के कारण: प्राकृतिक कारण: लहरें और तूफान: समुद्र की लहरें और चक्रवात तटीय क्षेत्र को क्षति पहुँचाते हैं। उदाहरण के लिए, 2020 में अम्फान चक्रवात ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा के तटीय क्षेत्रों में व्यापक अपरदन किया। जलवायु परिवर्तन: वैश्वRead more
भारत में तटीय अपरदन: कारण, प्रभाव और प्रबंधन तकनीकें
**1. तटीय अपरदन के कारण:
**2. तटीय अपरदन के प्रभाव:
**3. तटीय प्रबंधन तकनीकें:
निष्कर्ष: भारत में तटीय अपरदन एक गंभीर समस्या है, जिसका प्रभाव भौतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्तर पर महसूस किया जाता है। प्रभावी तटीय प्रबंधन तकनीकों को अपनाकर और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करके हम इस चुनौती का सामना कर सकते हैं और तटीय क्षेत्रों की स्थिरता सुनिश्चित कर सकते हैं।
See lessबाँधों की विफलता हमेशा प्रलयकारी होती हैं, विशेष रूप से नीचे की ओर, जिसके परिणामस्वरूप जीवन और संपत्ति का भारी नुकसान होता है। बाँधों की विफलता के विभिन्न कारणों का विश्लेषण कीजिए। बड़े बाँधों की विफलताओं के दो उदाहरण दीजिए। (150 words)[UPSC 2023]
बाँधों की विफलता के कारण: संरचनात्मक दोष: खराब डिज़ाइन, निम्न गुणवत्ता की निर्माण सामग्री, या अपर्याप्त रखरखाव के कारण बाँध में संरचनात्मक कमजोरियाँ आ सकती हैं, जिससे विफलता का जोखिम बढ़ जाता है। ओवरटॉपिंग: अत्यधिक वर्षा या तेजी से बर्फ पिघलने के कारण बाँध के ऊपर से पानी बह सकता है, जिससे संरचना काRead more
बाँधों की विफलता के कारण:
बड़े बाँधों की विफलताओं के उदाहरण:
निष्कर्ष: बाँधों की विफलता, जो अक्सर संरचनात्मक, पर्यावरणीय, और भूवैज्ञानिक कारकों के संयोजन के कारण होती हैं, के प्रलयकारी परिणाम होते हैं। मजबूत डिज़ाइन, नियमित रखरखाव, और व्यापक भूवैज्ञानिक मूल्यांकन इन आपदाओं को रोकने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
See lessआपदायें कितने प्रकार की होती हैं ? भारत में इसके प्रबन्धन पर व्याख्या कीजिए। (125 Words) [UPPSC 2022]
आपदाएँ और उनके प्रबंधन प्रकार: प्राकृतिक आपदाएँ: भूगर्भीय: भूकंप, ज्वालामुखी। मौसमी: चक्रवात, बाढ़, सूखा। जलवायु: हीटवेव, हिमस्खलन। मानव-निर्मित आपदाएँ: प्रौद्योगिकी: औद्योगिक दुर्घटनाएँ, परमाणु दुर्घटनाएँ। पर्यावरणीय: प्रदूषण, वनस्पति कटाई। सामाजिक: आतंकवाद, हिंसा। प्रबंधन: रूपरेखा और योजना: राष्ट्Read more
आपदाएँ और उनके प्रबंधन
प्रकार:
प्रबंधन:
इन प्रबंधन उपायों से भारत में आपदाओं के प्रभाव को कम किया जाता है और प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित सहायता प्रदान की जाती है।
See lessहालांकि भूमि धंसाव कई कारणों से हो सकता है, फिर भी इसके संभावित प्रभाव का अनुमान लगाना और प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए एक स्थायी योजना को तैयार करना अनिवार्य है। चर्चा कीजिए।(250 शब्दों में उत्तर दें)
भूमि धंसाव, या लैंड स्लाइड, एक प्राकृतिक आपदा है जिसका प्रभाव कई कारणों से हो सकता है, जैसे भूस्वाद, भारी वर्षा, भूकंप, और मानव गतिविधियाँ। हालांकि इसके संभावित प्रभाव की भविष्यवाणी करना और प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए स्थायी योजनाओं का निर्माण करना अत्यंत आवश्यक है। भूमि धंसाव का प्रभाव न केRead more
भूमि धंसाव, या लैंड स्लाइड, एक प्राकृतिक आपदा है जिसका प्रभाव कई कारणों से हो सकता है, जैसे भूस्वाद, भारी वर्षा, भूकंप, और मानव गतिविधियाँ। हालांकि इसके संभावित प्रभाव की भविष्यवाणी करना और प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए स्थायी योजनाओं का निर्माण करना अत्यंत आवश्यक है।
भूमि धंसाव का प्रभाव न केवल पर्यावरणीय होता है बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी गंभीर हो सकता है। यह भूस्वाद से लेकर ढहती इमारतों, सड़क और पुलों की क्षति, और जल स्रोतों के प्रदूषण तक हो सकता है। इसके अलावा, भूमि धंसाव से जीवन और संपत्ति का बड़ा नुकसान हो सकता है, जो आपातकालीन सेवाओं पर अत्यधिक दबाव डालता है।
प्रभावों का अनुमान लगाने के लिए, भौगोलिक और मौसम संबंधी डेटा का विश्लेषण किया जाना चाहिए। यह डेटा, जैसे भूमि की स्थिरता, वर्षा की मात्रा, और भूगर्भीय स्थितियाँ, जोखिम मूल्यांकन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सटीक भूस्वाद मानचित्र और जोनिंग के माध्यम से संभावित खतरों की पहचान की जा सकती है।
स्थायी योजना में कई कदम शामिल होने चाहिए। पहला कदम है जोखिम क्षेत्रों की पहचान और उन पर निगरानी रखना। इसके अलावा, भूमि उपयोग और निर्माण मानकों को सख्ती से लागू करना चाहिए, जैसे निर्माण स्थल पर उचित ढलान और जल निकासी प्रबंधन।
सार्वजनिक शिक्षा और आपातकालीन प्रतिक्रिया योजनाएँ भी महत्वपूर्ण हैं। समुदायों को भूमि धंसाव की चेतावनियों और सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूक करना आवश्यक है।
इन कदमों को अपनाकर, भूमि धंसाव के प्रभाव को कम किया जा सकता है और जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं में अन्तर स्पष्ट करें। साथ ही, भारत में आपदा प्रबन्धन प्रणाली की प्रभावशीलता स्पष्ट करें । (200 Words) [UPPSC 2023]
प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं में अन्तर प्राकृतिक आपदाएँ: परिभाषा: ये ऐसी आपदाएँ हैं जो पृथ्वी की प्राकृतिक प्रक्रियाओं के कारण होती हैं, जैसे भूकंप, चक्रवात, सुनामी, मूसलधार बारिश, और आग। उदाहरण: 2019 का केरल बाढ़ और 2004 का भारतीय महासागर सुनामी प्राकृतिक आपदाएँ हैं, जो प्राकृतिक घटनाओं के कारणRead more
प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं में अन्तर
भारत में आपदा प्रबंधन प्रणाली की प्रभावशीलता
निष्कर्ष: भारत की आपदा प्रबंधन प्रणाली ने संस्थागत ढांचे, तैयारी और प्रबंधन में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं, जिससे आपदा की स्थिति में प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा रही है। फिर भी, स्थानीय स्तर पर सुधार और सतत निगरानी की आवश्यकता है।
See less