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ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOFs) के कारणों और प्रभाव की व्याख्या कीजिए। इस संदर्भ में सरकार द्वारा कौन-से उपाय किए गए हैं?(250 शब्दों में उत्तर दें)
ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOFs) तब होते हैं जब ग्लेशियल झीलें अचानक फट जाती हैं, जिससे भारी मात्रा में पानी और मलबा तेजी से निचले इलाकों में बहता है। यह एक विनाशकारी प्राकृतिक आपदा हो सकती है, जिसके कई कारण और गंभीर प्रभाव होते हैं। कारण: जलवायु परिवर्तन: ग्लेशियरों के पिघलने की दर बढ़ रही है, जRead more
ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOFs) तब होते हैं जब ग्लेशियल झीलें अचानक फट जाती हैं, जिससे भारी मात्रा में पानी और मलबा तेजी से निचले इलाकों में बहता है। यह एक विनाशकारी प्राकृतिक आपदा हो सकती है, जिसके कई कारण और गंभीर प्रभाव होते हैं।
कारण:
जलवायु परिवर्तन: ग्लेशियरों के पिघलने की दर बढ़ रही है, जिससे झीलों में पानी का स्तर बढ़ जाता है और उनमें दबाव बढ़ता है, जिससे वे टूट सकती हैं।
मोराइन बांधों की अस्थिरता: मोराइन (ग्लेशियरों द्वारा जमा की गई मिट्टी और पत्थर) से बनी बांधें अस्थिर होती हैं। भूकंप, भूमि धसाव, या हिमस्खलन जैसी घटनाएं इन बांधों को कमजोर कर सकती हैं, जिससे झीलें फट सकती हैं।
बर्फ के पुलों का ध्वंस: कई बार ग्लेशियर झीलों के ऊपर बर्फ के पुल या आइस डैम्स होते हैं। जब ये बर्फ के पुल टूटते हैं, तो झील का पानी अचानक बाहर निकल सकता है।
प्रभाव:
निचले इलाकों में बाढ़: GLOFs के कारण निचले इलाकों में अचानक बाढ़ आ सकती है, जिससे जान-माल का नुकसान हो सकता है।
पर्यावरणीय क्षति: बाढ़ से वनस्पतियों, कृषि भूमि, और जल स्रोतों को नुकसान पहुंचता है। साथ ही, यह नदी तंत्र और पारिस्थितिक तंत्र को भी प्रभावित करता है।
बुनियादी ढांचे का नुकसान: GLOFs से पुल, सड़कों, और भवनों जैसे बुनियादी ढांचे को भारी क्षति पहुंचती है, जिससे आर्थिक नुकसान होता है।
सरकारी उपाय:
मॉनिटरिंग और अर्ली वार्निंग सिस्टम: सरकार ने हिमालयी क्षेत्रों में ग्लेशियल झीलों की निगरानी के लिए उपग्रह आधारित प्रणाली और अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित किए हैं, जिससे समय पर चेतावनी दी जा सके।
जोखिम मूल्यांकन: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने GLOFs के संभावित जोखिमों का मूल्यांकन करने के लिए परियोजनाएं शुरू की हैं, जो संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान और सुरक्षा उपायों को सुदृढ़ करने में मदद करती हैं।
समुदाय की तैयारी: सरकार ने स्थानीय समुदायों को जागरूक करने और आपदा प्रबंधन योजनाओं में उन्हें शामिल करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिससे GLOFs की स्थिति में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके।
इन उपायों के माध्यम से, सरकार GLOFs के खतरों को कम करने और इससे होने वाले नुकसान को नियंत्रित करने का प्रयास कर रही है।
See lessआकस्मिक बाढ़ (फ्लैश फ्लड) का भारत के निचले इलाकों में स्थित अधिवासों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है। भारत में बार- बार आने वाली आकस्मिक बाढ़ के कारणों की विवेचना कीजिए। साथ ही, उनके प्रभावों पर प्रकाश डालिए। (उत्तर 250 शब्दों में दें)
भारत में आकस्मिक बाढ़ के कारण और प्रभाव आकस्मिक बाढ़ (फ्लैश फ्लड) तीव्र और अचानक उत्पन्न होने वाली बाढ़ है, जो निचले इलाकों में भारी तबाही का कारण बनती है। भारत के कई हिस्सों में बार-बार आकस्मिक बाढ़ आने के कारण निम्नलिखित हैं: कारण: तेज वर्षा: मॉनसून की सक्रियता: मानसून के दौरान अत्यधिक वर्षा के काRead more
भारत में आकस्मिक बाढ़ के कारण और प्रभाव
आकस्मिक बाढ़ (फ्लैश फ्लड) तीव्र और अचानक उत्पन्न होने वाली बाढ़ है, जो निचले इलाकों में भारी तबाही का कारण बनती है। भारत के कई हिस्सों में बार-बार आकस्मिक बाढ़ आने के कारण निम्नलिखित हैं:
कारण:
प्रभाव:
निष्कर्ष:
भारत में आकस्मिक बाढ़ की समस्या के कारण जटिल हैं, जिसमें अत्यधिक वर्षा, भौगोलिक विशेषताएँ, और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं। इसके विनाशकारी प्रभाव मानव जीवन, संपत्ति, और पर्यावरण पर गहरा असर डालते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए जलवायु अनुकूलन, बेहतर जल निकासी प्रणालियों और प्रभावी आपातकालीन प्रबंधन की आवश्यकता है।
See lessऔद्योगिक आपदाएं क्या होती हैं? पर्याप्त उदाहरणों सहित चर्चा कीजिए। साथ ही, औद्योगिक आपदाओं के जोखिम को कम करने के लिए आवश्यक संस्थागत ढांचे पर प्रकाश डालिए। (उत्तर 250 शब्दों में दें)
औद्योगिक आपदाएं: औद्योगिक आपदाएं उन घटनाओं को कहते हैं जिनमें औद्योगिक क्षेत्र में हानि या अनियंत्रित परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं। इनमें विप्लव, उद्ध्वस्तु, औद्योगिक अपराध, औद्योगिक अपराधों से होने वाली ध्वनि और प्रदूषण जैसी स्थितियाँ शामिल हो सकती हैं। उदाहरण: भोपाल गैस त्रासदी (1984): यह भारत मेRead more
औद्योगिक आपदाएं:
औद्योगिक आपदाएं उन घटनाओं को कहते हैं जिनमें औद्योगिक क्षेत्र में हानि या अनियंत्रित परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं। इनमें विप्लव, उद्ध्वस्तु, औद्योगिक अपराध, औद्योगिक अपराधों से होने वाली ध्वनि और प्रदूषण जैसी स्थितियाँ शामिल हो सकती हैं।
उदाहरण:
संस्थागत ढांचे:
इन संस्थागत ढांचों के माध्यम से औद्योगिक आपदाओं के जोखिम को कम किया जा सकता है और जनसामान्य की सुरक्षा को बढ़ावा दिया जा सकता है ।
See lessआपदाओं से निपटने में पंचायती राज संस्थानों (PRis) द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए, चर्चा कीजिए कि पंचायती राज मंत्रालय की आपदा प्रबंधन योजना इन चुनौतियों से निपटने में कैसे सहायता कर सकती है। (उत्तर 250 शब्दों में दें)
पंचायती राज संस्थानों की आपदा प्रबंधन योजना: चुनौतियां: क्षेत्रीय असमानता: अधिकांश PRIs कम संसाधनों और प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी से ग्रसित हैं। क्षेत्रीय जागरूकता: अधिकांश PRIs में आपदा प्रबंधन की जागरूकता कम है। सहायता के उपाय: शिक्षा और प्रशिक्षण: PRIs को आपदा प्रबंधन में प्रशिक्षित कर्मचारी पRead more
पंचायती राज संस्थानों की आपदा प्रबंधन योजना:
चुनौतियां:
सहायता के उपाय:
पंचायती राज संस्थानों की आपदा प्रबंधन योजना जनसामान्य की सक्षमता को बढ़ाने और समुदाय को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
See lessआपदा जोखिम न्यूनीकरण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर प्रकाश डालिए। साथ ही, आपदाओं को कम करने में क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने के लिए भारत द्वारा प्रारंभ की गई पहलों का भी उल्लेख कीजिए। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व: संयुक्त प्रयास: अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आपदा प्रबंधन में संयुक्त प्रयासों को मजबूत करता है। तकनीकी ज्ञान साझा करना: विभिन्न देशों के तकनीकी ज्ञान का साझा करना आपदा प्रबंधन को सुदृढ़ बनाता है। भारत की पहलें: साथी अब्याहता अभियान: भारत ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में "साथी अRead more
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व:
भारत की पहलें:
इन पहलों के माध्यम से भारत ने आपदा प्रबंधन में क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
See lessभारत के शहरों में व्यापक जलजमाव और बाढ़ को देखते हुए, बाढ़ प्रबंधन के पारंपरिक दृष्टिकोणों को त्यागना महत्वपूर्ण होता जा रहा है। चर्चा कीजिए। साथ ही, इस संदर्भ में अपनाए जा सकने वाले कुछ वैकल्पिक दृष्टिकोणों का भी वर्णन कीजिए। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
बाढ़ प्रबंधन में पारंपरिक दृष्टिकोणों का त्याग: सद्भावनात्मक संवेदनशीलता: अब लोग जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझ रहे हैं और सहयोग कर रहे हैं। प्रौद्योगिकी समर्थन: नए और उन्नत तकनीकी समाधानों का उपयोग किया जा रहा है। वैकल्पिक दृष्टिकोण: हरित क्षेत्राधिकार: भूमि का अनुप्रयोग और वन्यजीव संरक्षण बाढ़Read more
बाढ़ प्रबंधन में पारंपरिक दृष्टिकोणों का त्याग:
वैकल्पिक दृष्टिकोण:
ये दृष्टिकोण व्यवस्थित और सहयोगपूर्ण बाढ़ प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
See lessभारतीय संदर्भ से उदाहरण प्रस्तुत करते हुए, स्पष्ट कीजिए कि रासायनिक आपदा से आप क्या समझते हैं। साथ ही, ऐसी आपदाओं का शमन करने के समक्ष मौजूद चुनौतियों का उल्लेख कीजिए और चर्चा कीजिए कि इन चुनौतियों का समाधान कैसे किया जा सकता है। (उत्तर 250 शब्दों में दें)
रासायनिक आपदा से तात्पर्य उस घटना से है जिसमें खतरनाक रसायनों का अप्रत्याशित रूप से लीक होना, फैलना या विस्फोट होना शामिल है, जिससे मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और संपत्ति को गंभीर खतरा होता है। भारतीय संदर्भ में, भवना गैस कांड (1984) एक प्रमुख उदाहरण है। भोपाल में यूनियन कार्बाइड के प्लांट से मिथाइल आइRead more
रासायनिक आपदा से तात्पर्य उस घटना से है जिसमें खतरनाक रसायनों का अप्रत्याशित रूप से लीक होना, फैलना या विस्फोट होना शामिल है, जिससे मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और संपत्ति को गंभीर खतरा होता है। भारतीय संदर्भ में, भवना गैस कांड (1984) एक प्रमुख उदाहरण है। भोपाल में यूनियन कार्बाइड के प्लांट से मिथाइल आइसोसाइनाइट (MIC) गैस का रिसाव हुआ, जिससे हजारों लोगों की मृत्यु हुई और लाखों प्रभावित हुए।
चुनौतियाँ:
समाधान:
इन उपायों से रासायनिक आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सकता है और भविष्य में ऐसी आपदाओं की संभावना को घटाया जा सकता है।
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