उत्तर लेखन के लिए रोडमैप 1. प्रस्तावना भारत में विभिन्न विकास पहलों की लेखापरीक्षा रिपोर्टों में अक्सर सार्वजनिक व्यय से संबंधित अक्षमताएँ सामने आई हैं। इन अक्षमताओं का मुख्य कारण शासन संरचनाओं की कमजोरियाँ और वित्तीय संसाधनों का प्रभावी उपयोग नहीं होना ...
मॉडल उत्तर प्रस्तावना भारत में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह वृद्धि अनेक कारकों के परिणामस्वरूप हुई है जो महिलाओं को आर्थिक गतिविधियों में सम्मिलित करने में सहायक रही हैं। भागीदारी में वृद्धि के कारक कल्याणकारी योजनाएँ: योजनाएँ जैसे उजRead more
मॉडल उत्तर
प्रस्तावना
भारत में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह वृद्धि अनेक कारकों के परिणामस्वरूप हुई है जो महिलाओं को आर्थिक गतिविधियों में सम्मिलित करने में सहायक रही हैं।
भागीदारी में वृद्धि के कारक
- कल्याणकारी योजनाएँ: योजनाएँ जैसे उज्ज्वला योजना और हर घर जल ने घरेलू कार्यों का बोझ कम किया, जिससे महिलाओं को अधिक समय मिल सका।
- सरकारी रोजगार योजनाएँ: मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी 54.54% थी, जो समान वेतन के साथ स्थानीय रोजगार प्रदान करती है।
- घटती प्रजनन दर: भारत की प्रजनन दर 2.0 तक गिर गई है, जिससे महिलाओं को काम करने का अधिक समय मिलता है।
- शिक्षा और साक्षरता: महिला साक्षरता अब 77% है, जो रोजगार के अवसर बढ़ाने में सहायक है।
- स्वरोजगार: प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत 55% खाताधारक महिलाएँ हैं, जिससे उन्हें औपचारिक बैंकिंग पहुँच मिली है।
- डिजिटलीकरण: इंटरनेट की पहुँच ने महिलाओं को गिग और रिमोट वर्क में भाग लेने के नए अवसर प्रदान किए हैं।
संरचनात्मक चुनौतियाँ
हालांकि, कई संरचनात्मक चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं:
- लैंगिक सामाजिक मानदंड: पारंपरिक मानदंड महिलाओं को घरेलू भूमिकाओं तक सीमित रखते हैं।
- अवैतनिक देखभाल कार्य: घरेलू कार्यों का बोझ महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी को सीमित करता है।
- अनौपचारिक रोजगार: अधिकांश महिलाएँ अनौपचारिक क्षेत्रों में काम कर रही हैं, जहाँ कम वेतन और सामाजिक सुरक्षा का अभाव है।
- कमज़ोर नीतियों का कार्यान्वयन: मातृत्व लाभ और अन्य नीतियों का सही ढंग से कार्यान्वयन नहीं हो रहा।
- सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: महिलाओं की गतिशीलता में रुकावटें उत्पन्न होती हैं।
स्थायी आर्थिक सशक्तिकरण के लिए रणनीतियाँ
- कौशल विकास: उभरते क्षेत्रों में महिलाओं के लिए विशेष कौशल विकास कार्यक्रम शुरू किए जाएँ।
- बाल देखभाल सुविधाएँ: किफायती डेकेयर केंद्रों का विस्तार किया जाए।
- ऋण तक पहुँच: महिलाओं के लिए औपचारिक ऋण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
- लैंगिक-संवेदनशील बुनियादी ढाँचा: सुरक्षित परिवहन और स्वच्छता सुविधाएँ प्रदान की जाएँ।
- कार्यस्थल नीतियाँ: लचीले कार्य घंटे और मातृत्व अवकाश को लागू किया जाए।
- नेतृत्व में प्रतिनिधित्व: महिलाओं को नेतृत्व भूमिकाओं में सशक्त बनाने के लिए कार्यक्रमों की शुरुआत की जाए।
आगे की राह
महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी में वृद्धि के लिए आवश्यक सुधारों को लागू करना महत्वपूर्ण है। वास्तविक लैंगिक समानता के लिए शिक्षा, कौशल और कार्य स्थितियों में सुधार आवश्यक हैं। महिलाओं का सशक्तिकरण भारत की आर्थिक क्षमता को खोलने में सहायक होगा।
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मॉडल उत्तर 1. प्रस्तावना भारत में विभिन्न विकास पहलों के तहत सार्वजनिक व्यय की अक्षमताओं का बार-बार पर्दाफाश किया गया है, जिससे संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग नहीं हो पा रहा है। संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समूह (यूएनडीजी) द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के बावजूद, केंद्र और राज्य स्तर पर वित्तीय संसाधनोंRead more
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1. प्रस्तावना
भारत में विभिन्न विकास पहलों के तहत सार्वजनिक व्यय की अक्षमताओं का बार-बार पर्दाफाश किया गया है, जिससे संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग नहीं हो पा रहा है। संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समूह (यूएनडीजी) द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के बावजूद, केंद्र और राज्य स्तर पर वित्तीय संसाधनों का उचित प्रबंधन चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
2. प्रमुख अक्षमताएँ
3. समाधान
4. निष्कर्ष
भारत में सार्वजनिक व्यय की अक्षमताएँ एक गंभीर चुनौती बनी हुई हैं, लेकिन सुधार की दिशा में उठाए गए कदम, जैसे कि बजट का पुनर्विन्यास, व्यय सुधार, और तकनीकी उपकरणों का उपयोग, इन समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। उचित निगरानी और विशेषज्ञ संस्थाओं के मार्गदर्शन से सार्वजनिक वित्तीय संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव हो सकता है।
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