उत्तर लेखन के लिए रोडमैप 1. प्रस्तावना आर्कटिक क्षेत्र में हिम के पिघलने की वर्तमान स्थिति का उल्लेख। नासा और विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा दिए गए तथ्यों का उपयोग करते हुए समस्या का परिचय दें। 2. महासागरों पर संभावित प्रभाव समुद्र स्तर में वृद्धि: वैश्विक ...
मॉडल उत्तर प्रवासी भारतीयों का महत्व और सरकार की पहल भारत के प्रवासी भारतीय, जो भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) और गैर-निवासी भारतीय (NRI) के रूप में जाने जाते हैं, विश्व के सबसे बड़े प्रवासी समुदायों में से एक हैं। 2024 में, प्रवासी भारतीयों ने भारत को 129.1 बिलियन डॉलर का धन प्रेषण भेजा, जो देश की GDPRead more
मॉडल उत्तर
प्रवासी भारतीयों का महत्व और सरकार की पहल
भारत के प्रवासी भारतीय, जो भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) और गैर-निवासी भारतीय (NRI) के रूप में जाने जाते हैं, विश्व के सबसे बड़े प्रवासी समुदायों में से एक हैं। 2024 में, प्रवासी भारतीयों ने भारत को 129.1 बिलियन डॉलर का धन प्रेषण भेजा, जो देश की GDP में 3.3% का योगदान देता है। इनका योगदान न केवल आर्थिक है, बल्कि ये सांस्कृतिक राजदूत के रूप में भी कार्य करते हैं, जिससे भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ावा मिलता है।
प्रवासी भारतीयों का राजनीतिक और कूटनीतिक महत्व भी अत्यधिक है। वे द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करते हैं और वैश्विक मंचों पर भारत की आवाज़ को उठाते हैं। उदाहरण के लिए, भारतीय मूल के सांसदों ने भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते की वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
सरकार को प्रवासी समुदाय के साथ जुड़ने के लिए कई पहल करनी चाहिए। e-Migrate प्लेटफार्म के माध्यम से, सरकार ने विदेशों में रोजगार चाहने वाले भारतीयों के लिए सुरक्षित अवसर प्रदान किए हैं। MADAD पोर्टल के जरिए, प्रवासी भारतीयों को आपात स्थितियों में सहायता प्राप्त होती है। इसके अलावा, OCI योजना प्रवासी भारतीयों को भारत में विशेषाधिकार प्रदान करती है, जिससे उनकी सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने में मदद मिलती है।
अनुसंधान और शैक्षणिक पहल, जैसे VAJRA और रामानुजन फेलोशिप, प्रवासी वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को भारत में काम करने के अवसर प्रदान करती हैं। ये पहल प्रवासी भारतीयों के ज्ञान और अनुभव का लाभ उठाने में सहायक हैं।
निष्कर्षतः प्रवासी भारतीय भारत की वैश्विक पहचान को सुदृढ़ करते हैं। सरकार को उनकी क्षमताओं का अधिकतम उपयोग करने के लिए नीतियों में सुधार करना चाहिए और प्रवासी समुदाय के साथ मजबूत संबंध स्थापित करना चाहिए। इससे न केवल भारत का विकास होगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत की स्थिति में सुधार होगा।
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मॉडल उत्तर समुद्र के जलस्तर में वृद्धि आर्कटिक हिम के पिघलने से ताजे जल की मात्रा बढ़ने के कारण महासागरों का जलस्तर तेजी से बढ़ेगा। नासा के अनुसार, आर्कटिक हिम हर दशक में 13% की दर से घट रही है और पिछले 30 वर्षों में इसमें 95% की कमी आई है। इसका सीधा प्रभाव वैश्विक तटीय क्षेत्रों पर पड़ेगा, जिससे बाRead more
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समुद्र के जलस्तर में वृद्धि
आर्कटिक हिम के पिघलने से ताजे जल की मात्रा बढ़ने के कारण महासागरों का जलस्तर तेजी से बढ़ेगा। नासा के अनुसार, आर्कटिक हिम हर दशक में 13% की दर से घट रही है और पिछले 30 वर्षों में इसमें 95% की कमी आई है। इसका सीधा प्रभाव वैश्विक तटीय क्षेत्रों पर पड़ेगा, जिससे बाढ़ और भूमि क्षरण की घटनाएं बढ़ सकती हैं।
महासागरों की रासायनिक संरचना में परिवर्तन
पिघला हुआ ताजा जल समुद्र की कार्बोनेट संरचना को प्रभावित करता है। इससे महासागरों का pH कम होता है, जिससे समुद्री जल अधिक अम्लीय हो जाता है। यह अम्लता समुद्री जीवन को संकट में डाल सकती है, विशेष रूप से शंख, कोरल और कंकाल बनाने वाले जीवों को।
समुद्री धाराओं पर प्रभाव
कम सांद्रता वाले ताजा जल के कारण समुद्री धाराओं का प्रवाह प्रभावित हो सकता है। इसका परिणाम समुद्र के तापमान संतुलन में गड़बड़ी और वैश्विक जलवायु परिवर्तन के रूप में होगा।
भारत पर संभावित प्रभाव
समुद्र के जलस्तर में वृद्धि
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (2021) की रिपोर्ट के अनुसार, आर्कटिक हिम के पिघलने से भारतीय तटों पर जलस्तर में औसत से अधिक वृद्धि हो रही है। इससे तटीय क्षेत्रों जैसे मुंबई, चेन्नई, और सुंदरबन में बाढ़ और भूमि क्षरण की संभावना बढ़ेगी।
प्रवासन और सामाजिक समस्याएं
सुंदरबन डेल्टा से पहले ही 1.5 मिलियन लोग विस्थापित हो चुके हैं। भविष्य में जलस्तर बढ़ने से अन्य तटीय क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर पलायन होगा, जिससे रोजगार, आवास और संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा।
भारतीय मानसून पर प्रभाव
ग्रीनलैंड सागर में समुद्री हिम के पिघलने से भारतीय मानसून कमजोर हो सकता है। इससे कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
निष्कर्ष
आर्कटिक हिम के पिघलने का प्रभाव केवल उत्तरी ध्रुव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक जलवायु और भारत की सामाजिक-आर्थिक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है। कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने और जलवायु परिवर्तन की गति को धीमा करने के लिए तत्काल उपाय आवश्यक हैं।
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