उत्तर लिखने का रोडमैप 1. परिचय चौरी चौरा की घटना और असहयोग आंदोलन का संक्षिप्त परिचय दें। स्पष्ट करें कि चौरी चौरा की घटना असहयोग आंदोलन के दौरान हुई और यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण मोड़ कैसे बन गई। 2. चौरी चौरा की ...
आदर्श उत्तर परिचय भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। यह उचित मूल्यों पर खाद्यान्नों का वितरण सुनिश्चित करती है। लेकिन, इस प्रणाली को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जैसे फर्जी कार्ड, पहचान में विफलता, अनाज की लीकेज, और विवाहित महRead more
आदर्श उत्तर
परिचय
भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। यह उचित मूल्यों पर खाद्यान्नों का वितरण सुनिश्चित करती है। लेकिन, इस प्रणाली को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जैसे फर्जी कार्ड, पहचान में विफलता, अनाज की लीकेज, और विवाहित महिलाओं को आ रहा कठिनाई। इन चुनौतियों से निपटने के लिए, PDS के डिजिटल परिवर्तन की पहल की गई है।
डिजिटल परिवर्तन का प्रभाव
1. पारदर्शिता में वृद्धि
PDS के अंतर्गत एंड-टू-एंड कंप्यूटराइजेशन ने वितरण में पारदर्शिता को बढ़ाया है। छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, दिल्ली और मध्य प्रदेश में इस प्रक्रिया से धन और अनाज के आवंटन में सुधार हुआ है। स्मार्ट राशन कार्ड में डेटा स्टोरेज की विशेषताएं हैं, जो जालसाजी को रोकने में मदद करती हैं (स्रोत: सरकारी रिपोर्ट)।
2. वैध लाभार्थियों की पहचान
इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (ePoS) उपकरणों की स्थापना ने राशन के वितरण में प्रभावी प्रमाणन सुनिश्चित किया है। वर्तमान में, 5.33 लाख में से 5.07 लाख FPS में ePoS उपकरण स्थापित किए गए हैं, जो बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण द्वारा पहचान की पुष्टि करते हैं (स्रोत: सरकारी आंकड़े)।
3. ट्रैकिंग और निगरानी
GSP का उपयोग ट्रकों की आवाजाही की ट्रैकिंग के लिए किया जा रहा है, जिससे खाद्यान्न के वितरण में किसी भी तरह की कमी और लीकेज पर सख्त निगरानी रखी जा रही है (स्रोत: सरकारी रिपोर्ट)।
4. डेटा संग्रहण और प्रबंधन
IM-PDS और अनवितरण पोर्टल ने राशन कार्डों और लाभार्थियों की केंद्रीय डेटा संग्रहण को संभव बना दिया है। इसके जरिए “एक देश, एक राशन कार्ड” योजना को लागू किया जा रहा है, जिससे लाभार्थियों के लिए खाद्यान्न प्राप्त करना और भी आसान हो गया है (स्रोत: सरकारी रिपोर्ट)।
निष्कर्ष
भारत में PDS का डिजिटल परिवर्तन विभिन्न चुनौतियों का सफलतापूर्वक समाधान करने में सहायक रहा है, जैसे कि पारदर्शिता में वृद्धि, वैध लाभार्थियों की बेहतर पहचान, और खाद्यान्न की ट्रैकिंग। इन पहलुओं से एक मजबूत और प्रभावी सार्वजनिक वितरण प्रणाली का निर्माण हो रहा है। आगे की चुनौतियों का समाधान करने के लिए तकनीकी अवसंरचना में सुधार की आवश्यकता है।
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मॉडल उत्तर चौरी चौरा की घटना और असहयोग आंदोलन की भूमिका चौरी चौरा की घटना, जो 5 फरवरी, 1922 को घटित हुई, ने भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष की प्रगति को कुछ समय के लिए रुकने पर मजबूर कर दिया। इस घटना में पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के जवाब में आक्रोशित भीड़ ने पुलिस थाने में आग लगा दी, जिसमेRead more
मॉडल उत्तर
चौरी चौरा की घटना और असहयोग आंदोलन की भूमिका
चौरी चौरा की घटना, जो 5 फरवरी, 1922 को घटित हुई, ने भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष की प्रगति को कुछ समय के लिए रुकने पर मजबूर कर दिया। इस घटना में पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के जवाब में आक्रोशित भीड़ ने पुलिस थाने में आग लगा दी, जिसमें 22 पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गई। गांधीजी ने इसके बाद असहयोग आंदोलन को वापस लेने का निर्णय लिया, जिससे आंदोलन का सक्रिय चरण अचानक समाप्त हो गया।
असहयोग आंदोलन का ठहराव
गांधीजी की घोषणा के चलते कांग्रेस कार्यसमिति ने भी असहयोग आंदोलन को समाप्त कर दिया और रचनात्मक कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया। इसके अतिरिक्त, गांधीजी की गिरफ्तारी और कारावास से आंदोलन और भी कमजोर पड़ा। नेताओं जैसे सुभाष चंद्र बोस और मोतीलाल नेहरू ने इस अचानक बदलाव पर चिंता व्यक्त की, जिससे राष्ट्रवादी गुटों में अव्यवस्था पैदा हुई।
महत्वपूर्ण मोड़
हालांकि, असहयोग आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक निर्णायक मोड़ बना रहा। इसने जनता में निडरता एवं आत्मविश्वास का संचार किया। सुभाष चंद्र बोस ने इसे “लोगों के उत्साह को चरम पर पहुंचाने वाला” बताया (Source: “The Indian National Movement” by Subhash Chandra Bose)।
इस आंदोलन के कारण, राष्ट्रवादी भावना देश के हर कोने में फैली, जिससे विभिन्न वर्गों—किसानों, छात्रों, महिलाओं—का राजनीतिकरण हुआ। औपनिवेशिक शासन के “अजेयता” के मिथक को भी चुनौती मिली।
भविष्य के लिए आधार
असहयोग आंदोलन ने भविष्य के आंदोलनों जैसे सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन के लिए मजबूत आधार तैयार किया (Source: “The History of Modern India” by Bipan Chandra)। इसने ब्रिटिश सरकार को गंभीरता से विचार करने के लिए मजबूर किया और गांधीजी को जनता का नेता स्थापित कर दिया।
इस प्रकार, चौरी चौरा की घटना ने असहयोग आंदोलन को रुका दिया, लेकिन इसके व्यापक प्रभावों ने स्वतंत्रता संघर्ष को एक नई दिशा दी।
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