उत्तर लेखन के लिए रोडमैप 1. प्रस्तावना पंचायती राज संस्थानों (PRIs) की परिभाषा: पंचायती राज संस्थान (PRIs) तीन स्तरों पर कार्य करते हैं – ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद। ये संस्थान ग्रामीण क्षेत्रों के स्वशासन के लिए जिम्मेदार होते हैं। स्रोत: ...
मॉडल उत्तर महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत पृथ्वी की सतह पर महाद्वीपों की एक दूसरे के सापेक्ष गति को दर्शाता है। इस सिद्धांत को सबसे पहले अल्फ्रेड वेगेनर ने 1912 में प्रस्तुत किया। वेगेनर के अनुसार, सभी महाद्वीप पहले एक विशाल भूखंड पैंजिया के रूप में जुड़े हुए थे, जो पैंथालासाRead more
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महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत
महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत पृथ्वी की सतह पर महाद्वीपों की एक दूसरे के सापेक्ष गति को दर्शाता है। इस सिद्धांत को सबसे पहले अल्फ्रेड वेगेनर ने 1912 में प्रस्तुत किया। वेगेनर के अनुसार, सभी महाद्वीप पहले एक विशाल भूखंड पैंजिया के रूप में जुड़े हुए थे, जो पैंथालासा महासागर से घिरा था। लगभग 200 मिलियन वर्ष पूर्व, पैंजिया का विभाजन शुरू हुआ, जिससे लारेशिया और गोंडवानालैंड जैसे बड़े महाद्वीपों का निर्माण हुआ, और अंततः ये छोटे महाद्वीपों में बंट गए जो आज के महाद्वीप हैं।
इस सिद्धांत का समर्थन करने वाले साक्ष्य
- महाद्वीपों का साम्य (जिग-सॉ-फिट): अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका की तटरेखाएं एक दूसरे के साथ अद्भुत साम्य दर्शाती हैं। जब इन तटरेखाओं को मिलाया जाता है, तो यह स्पष्ट होता है कि ये एक बार जुड़े हुए थे .
- चट्टानों की समानता: ब्राजील और पश्चिमी अफ्रीका के तटों पर पाए जाने वाले प्राचीन चट्टानों की आयु समान है, जो दर्शाता है कि ये क्षेत्र पहले एक साथ थे .
- टिलाइट निक्षेप: गोंडवाना प्रणाली के तलछटों में पाए जाने वाले ग्लेशियल टिलाइट्स भारत, अफ्रीका, अंटार्कटिका, और ऑस्ट्रेलिया में समान हैं, जो इन महाद्वीपों के एक साथ होने का संकेत देते हैं .
- प्लेसर निक्षेप: घाना के तट पर सोने के बड़े निक्षेप पाए जाते हैं, जो ब्राजील पठार से उत्पन्न होने के संकेत देते हैं, जब ये महाद्वीप जुड़े हुए थे .
- जीवाश्मों का वितरण: मेसोसॉरस जैसे जीवाश्म केवल दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में पाए जाते हैं, जो दर्शाता है कि ये महाद्वीप पहले एक साथ थे, जबकि अब ये 4,800 किमी दूर हैं .
वेगेनर के सिद्धांत को बाद में प्लेट विवर्तनिकी के विकास के साथ और अधिक समर्थन मिला, जिसने महाद्वीपों की गति को समझाने के लिए बेहतर तंत्र प्रदान किया
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मॉडल उत्तर भारत दुनिया के सबसे आपदा-प्रवण देशों में से एक है, और इसके राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को बार-बार प्राकृतिक खतरों का सामना करना पड़ता है (UNICEF)। ऐसे में पंचायती राज संस्थानों (PRIs) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि ये स्थानीय स्तर पर होते हैं और स्थानीय समस्याओं से अच्Read more
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भारत दुनिया के सबसे आपदा-प्रवण देशों में से एक है, और इसके राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को बार-बार प्राकृतिक खतरों का सामना करना पड़ता है (UNICEF)। ऐसे में पंचायती राज संस्थानों (PRIs) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि ये स्थानीय स्तर पर होते हैं और स्थानीय समस्याओं से अच्छी तरह परिचित होते हैं। हालांकि, PRIs को आपदा प्रबंधन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:
पंचायती राज मंत्रालय की आपदा प्रबंधन योजना का समाधान
पंचायती राज मंत्रालय ने इन समस्याओं से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन योजना (DMP) तैयार की है। यह योजना PRIs की मदद करती है और निम्नलिखित तरीकों से इन चुनौतियों का समाधान करती है:
यह योजना पंचायती राज संस्थानों को आपदाओं के प्रति अधिक तैयार और सक्षम बनाने के लिए एक ठोस ढांचा तैयार करती है, जिससे स्थानीय स्तर पर आपदाओं से निपटने में सुधार होगा।
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